शक की सुई हमेशा बहू पर आकर क्यों अटक जाती है!! – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” अरे लड़कियों तुम्हारा तैयार होना कब खत्म होगा ?? घुड़चढ़ी का वक्त होने को आ गया और तुम लोगों का सजना- संवरना ही पूरा नहीं होता …… केतकी बहू तुझे तो रमन को काजल लगानी है ….. जल्दी से आ जा तैयार होकर …. ,,। आज कांता जी के छोटे बेटे की शादी थी। … Read more

“दाता मैं तेरी शुक्र गुजार हूं ” – बिमला महाजन : Moral Stories in Hindi

 10 जुलाई,1993 रविवार का वह दिन भूलाए नहीं भूलता है। गर्मी की छुट्टियों के पश्चात् अगले दिन यानी सोमवार से स्कूल खुलने वाला था। स्कूल की प्रधानाध्यापिका होने के नाते एक दिन पूर्व ही स्टाफ मीटिंग कर चुकी थी। छुट्टियों का आखिरी दिन था । बच्चों को मनपसंद नाश्ता कराके बरामदे में निकली ही थी … Read more

“ खून के रिश्तो से बढ़कर” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

चलिए चलिए… पार्क बंद होने का समय हो गया है बाहर पार्क का समय लिखा हुआ है फिर भी लोग हैं कि समझते ही नहीं है, 10:00 बजे तक पार्क बंद हो जाता है फिर क्यों यहां बैठे रहते हो?  मुझे सभी को भगाना अच्छा नहीं लगता! सभी जल्दी-जल्दी वहां से निकलने लगे, मिस्टर एंड … Read more

अपनों का साथ.… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

 कंधे पर दुपट्टा डाल… गीता घर से निकलने ही वाली थी… कि बड़ी भाभी बोल उठीं…   “क्यों अपनी जिंदगी का… सत्यानाश करने पर तुली हैं… यह कोई उम्र है सत्संग करने की… मैं जाऊं करूं तो समझ आता है… आप क्यों रोज निकल पड़ती हैं…!”  वह गीता से उम्र में काफी बड़ी थीं…  ” भाभी… … Read more

निर्णय – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शाम का समय था, आकाश में डूबते सूरज की नारंगी छटा बिखरी हुई थी। मंदिर के बाहर, लोग हाथ में पूजा और चढ़ावे की थाल लिए सरोज देवी की पूजा समाप्त होने का इंतजार कर रहे थे। सरोज देवी, 55 वर्षीय महिला, माथे पर बड़ी सी लाल बिंदी, माॅंग में सिंदूर की लंबी लाल रेखा … Read more

“अपनापन” – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

कालिंदी काकी की टोकरी लाल, नीली, पीली, आसमानी और हरी चूड़ियों से भारी पड़ी थी और  जल्दी-जल्दी  सर पर टोकरी रख वह कहीं जा रही थीं कि–  तभी एक आवाज आई–  अरे काकी—-कहां भागी जा रही हो—? हमें नहीं पहनाओगी चूड़ियां–!   देखी तो वैजयंती उनके पीछे-पीछे भागे आ रही थी ।  अरे बिटिया– अभी मैं … Read more

बाबूजी की हिम्मत को सलाम – नेकराम : Moral Stories in Hindi

दिल्ली के जमनापार में हमारा एक छोटा सा घर था पढ़ाई पूरी होने के बाद पिताजी ने मुझे जहांगीरपुरी के एक कारखाने में लगा दिया था  पिताजी भी उसी कारखाने में काम किया करते थे उन्हीं दिनों पिताजी ने एक पुरानी स्कूटी खरीद ली थी उसी स्कूटी पर कारखाने जाते हुए मुझे बाबूजी के साथ … Read more

अपनों का साथ – सरोज सिंह : Moral Stories in Hindi

      हमने पूछ ही लिया आप  कठोर होकर इतने सहज कैसे हैं?बहुत दिनों तक तक बस ओ (राम)हमारी बातों को टालते रहे या यूं कह सकते हैं कि अनदेखा करते रहे पर उन्हें देखकर और सुनकर लगता था कुछ तो है जो छुपा हुआ है।हमारा फेवरेट सब्जेक्ट psychology था सो थोड़ा लोगों की भावनाओं को समझता … Read more

“अपने तो अपने होते हैं” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“उमा! सुनो ग्रीन लेबल टी तो मंगा ली ना, जीजी वही पीती हैं!” “क्यूँ परेशान हो रहे हो? मैंने जीजी की पसंद की हर चीज़ जो जो तुमने बताई सब मंगा ली हैं” उमा ने हंसते हुए विजय से कहा? विजय की बड़ी बहन आज बरसों बाद एक हफ़्ते के लिए रहने को आ रही … Read more

तूफानों से उबरना – *पूनम भटनागर। : Moral Stories in Hindi

बड़ी ही सराहा रात्रि थी। निमेष अंधेरे में बैठा ये सोच रहा था कि आखिर वह करें तो क्या करें।सब कुछ तबाह होने के बाद किस तरफ का रूख करें। क्या नहीं था उसके पास , एक हंसता-खेलता परिवार। अच्छी नौकरी, घर परिवार । पर न जाने किस की नजर लग गई। उसके आफिस में … Read more

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