पंखे की डोर –   बालेश्वर गुप्ता

     अरे रामदीन क्या मर गया है, हाथ क्यों नहीं चल रहे?देखता नही कितनी गर्मी पड़ रही है,जल्दी जल्दी डोर खींच।          जी माई बाप, कह कर  पसीने से तरबतर रामदीन ने और जोर से डोरी खींचनी शुरू कर दी।         असल मे अबकी बार गर्मी कुछ अधिक ही पड़ी थी।वैसे भी बड़े आदमियों को गर्मी हो या … Read more

मम्मी वक्त के साथ बदल जाने में ही समझदारी है। – दीपा माथुर

शैली मम्मी से जिद्द करती हुई बोली ” प्लीज़ मम्मा अबकी बार भाभी को मैं जो ड्रेस दे रही हूं आप पहनने दीजियेगा।” आप ही तो कहती थीं ” मेरे मोंटू की शादी होगी तो देखना  उसकी बहू को तुमसे भी अच्छा रखूंगी “ बस दिखावे के लिए क्या? मम्मी जी आंखों की त्योरियां चढ़ा … Read more

विरासत – अनुज सारस्वत

अमेरिका से विदुषी 15 साल बाद भारत लौटी थी, अपने दादा जी की चहेती थी ,जो कि अब भी भारत के एक पहाड़ी गांव में गंगा के समीप रहते थे ,रिटायर्ड मेजर थे उसके दादू, 80 साल की उम्र में भी फिट और यंग रहते थे सारा ऑर्गेनिक फार्म खुद ही व्यवस्थित करते थे, विदुषी … Read more

वासना – पृथ्वीराज

रॉकी, शहर के सबसे अमीर आदमी का बेटा.. जिसने कभी हारना नही सीखा, वो जो चाहता वो चीज उसके कदमों में होती थी.. और जिसे वो हासिल नहीं कर पाता था, उसे वो मिटा देता था.. दिन भर घूमना फिरना और रातों में पार्टी उसकी आदत थी.. शराब और शबाब दोनो से दिन रात घिरा … Read more

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