बूढ़ी घोड़ी, लाल लगाम – सोनिया कुशवाहा

“बहन जी देखा आपने अंजू को?” मिसेज़ कुमार ने मिसेज़ सक्सेना से पूछा। “हद हो गई भई, दोनों बेटियों की शादी क्या हुई ये दोनों मिया बीवी को तो पर ही लग गए। जमीन पर पैर ही नहीं टिकते इनके। ना शर्म है ना उम्र का लिहाज।” इस बार  मिसेज़ पांडेय ने जुमला उछाला। “छोड़ो, … Read more

दो कुँवारे हुए एक – संगीता अग्रवाल

“अरे यार ये गाड़ी के ब्रेक क्यो नहीं लग रहे लगता है आज तो यमराज से साक्षात् दर्शन होंगे !” रागिनी स्कूटी चलाते हुए बड़बड़ाई। ” ओ मैडम , मैडम देख क…!” इससे पहले की सामने से आती गाड़ी मे बैठे शख्स का वाक्य पूरा होता रागिनी की स्कूटी एक पेड़ से टकरा गई और … Read more

बहू मुझे जाने के लिए मत कहना… – रश्मि प्रकाश

“ नमस्ते मम्मी जी , आप कब आ रही है..?” कृतिका ने सासु माँ रत्ना जी से पूछा. “ बहू अभी तो मेरी तबियत ठीक नहीं चल रही है… ठीक होते ही खबर करूँगी फिर रितेश से कह कर टिकट करवा देना..।” कराहती सी आवाज़ में रत्ना जी ने कहा. “ ओहह…. सोच रही थी … Read more

वक्त करता जो वफ़ा –  सुषमा यादव

शुभा जब जब बाहर धूप सेंकने अपने आंगन में बैठती,तब तब उसके पड़ोस में रहने वाले दो बुजुर्ग पति पत्नी आपस में खूब प्रेम से हंसते बतियाते रहते। दोनों खूब देर तक धूप में बैठते,पति अपनी पत्नी को अखबार से समाचार पढ़ कर प्रतिदिन सुनाते, कुछ हास्य व्यंग भरी खबरें भी सुनाते,जिसे सुनकर दोनों खूब … Read more

प्रायश्चित – पुष्पा जोशी

सुनीता जी बड़ी खुश थी और उनकी खुशी का कारण यह था कि उनके छोटे बेटे अमित का विवाह बहुत अच्छे ढंग से हो गया था और वह पिछले कुछ दिनों से अमित की शादी की वजह से बहुत ही व्यस्त थी।सारे रिश्तेदार भी खुशी-खुशी जा चुके थे और लड़की वालों ने भी बारातियों का … Read more

यह तो वक्त ही बताएगा कि बहुएं हसाएंगी यां रुलाएंगी  – गीतू महाजन

सुनीता जी बड़ी खुश थी और उनकी खुशी का कारण यह था कि उनके छोटे बेटे अमित का विवाह बहुत अच्छे ढंग से हो गया था और वह पिछले कुछ दिनों से अमित की शादी की वजह से बहुत ही व्यस्त थी।सारे रिश्तेदार भी खुशी-खुशी जा चुके थे और लड़की वालों ने भी बारातियों का … Read more

वक्त़  –   अनामिका मिश्रा

राधिका और राहुल एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। राधिका की राहुल से अच्छी दोस्ती थी और राधिका दिल ही दिल में उसे चाहने लगी थी। राधिका एक साधारण सी लड़की थी कॉलेज में रितिका नई नई आई थी। बड़े घराने की थी,अलग ही दिखती थी रितिका। धीरे-धीरे राधिका ने देखा राहुल रितिका की ओर … Read more

  वक़्त करवट बदलता है –  के कामेश्वरी

प्रतीक और प्रज्वल दोनों एक ही जगह नौकरी करते थे और अच्छे दोस्त बन गए थे। एक-दूसरे के घर आना-जाना खाना पीना और साथ मिलकर घूमने जाना भी करने लगे थे । इस बीच प्रज्वल ने नोटिस कि प्रतीक बहुत ही आलसी हो गया है और पैसे भी ख़ूब कमाने लगा था। दो तीन बार … Read more

वक्त वक्त की बात है – सुभद्रा प्रसाद

“धीरज बाबू,   साहब आपको अपने कक्ष में बुला रहे हैं |” कार्यालय का आदेशपाल धीरज बाबू से बोला |           “नये साहब आ गए, क्या? ” धीरज ने पूछा |            “हाँ, कल ही आये हैं |आप दो दिन से छुट्टी पर थे ना |कल ही सारे कर्मचारियों से उन्होंने मिल लिया | आप आज मिल … Read more

“वक्त का मिजाज” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

 प्लेन को जमीन पर उतरने में अभी दस मिनट बाकी था लेकिन माही अपना खिलौने वाला बैग सम्भाल पहले ही उतरने के लिए तैयार थी। जब से उनलोगों ने सफर शुरू किया था तब से वह माता -पिता से सैकड़ों बार पूछ चुकी थी कि वह अपने दादी के गाँव कब पहुंचेगी। उसे अपनी दादी … Read more

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