चाहतों का आशियाना – तृप्ति शर्मा

ऋचा का बचपन आर्थिक तंगी के कारण बड़ा सादा सा बीता ।जरूरतों की चीजें ही बड़ी मुश्किल से जुड़ पाती ‌मां पापा दोनों ही बड़ी जी तोड मेहनत करते।तब जाकर चार बच्चों को साधारण सी पढ़ाई के साथ एक साधारण जिंदगी दे पा रहे थे।        ऋचा सभी भाई बहनों में सबसे छोटी थी ।जब कभी … Read more

चाहत है ख़ुशियों वाला घर मिले नौकरों वाला नहीं…. – रश्मि प्रकाश 

 “वह हमारे सपनों का घर था.. और आज उस घर को यूँ तोड़ फोड़ कर के नया रंग रूप देना ज़रूरी था क्या… अरे बच्चे कितने दिन हीहमारे पास में रहेंगे…..आपको नहीं लगता ये निर्णय हम बहुत जल्दी में कर रहे … ।”अपने पति से कहती कल्याणी जी अपने सपनों केघर को निहार रही थी  … Read more

चाहत – मेरा भी सम्मान हो – अमिता कुचया

  मीनल  और रीतिका अच्छी सहेली है।मीनल गरीब परिवार से हैं। जबकि रीतिका अच्छे भरे पूरे परिवार से हैं उसके यहां कोई कमी नहीं है पर उसकी मां का स्वभाव बिल्कुल ही अच्छा नहीं है वेअपने पैसे के घमंड के कारण कभी कोई  गरीब की बेइज्जती करने से नहीं चूकती। जबकि मीनल एक मध्यम वर्गीय … Read more

एहसास और अल्फाज़ – ऋतु गुप्ता

शगुन जल्दी जल्दी अपना काम निपटा रही थी, क्योंकि उमस जोरों पर थी, लगता था आज बारिश जरूर आएगी। शगुन का पति शरद भी आजकल घर से ही काम कर रहा था, तभी बारिश शुरू हो गई, शगुन भागकर आंगन में पड़े कपड़े समेटती है, तभी शरद ने आवाज लगाई, शगुन जरा एक कप मसाला … Read more

अद्भुत चाहत – भगवती सक्सेना गौड़

गुप्ता जी अपनी बेटी माधुरी को बुला बुला कर परेशान हो रहे थे, कहाँ हो, देखो तो दरवाजे की घंटी कोई बजा रहा है, लीना आयी होगी, कोई खोल ही नही रहा। भागते भागते दूसरे कमरे से माधुरी आई, और फिर वही रोज वाली बात से परेशान होकर अपने काम में लग गयी। वो अपने  … Read more

एक बार आ जाओ ना (भाग-2) – मीनू झा 

अरे वो बुआ के घर गई है,अगले हफ्ते रश्मि की शादी है ना..हमलोग भी दो तीन दिन में निकलेंगे,उसे रश्मि ने पहले बुलाया था। तो क्या..बिना मिले जाना होगा शुभा से,कैसे और कब कहेगा अपने दिल की सारी बातें..कैसे कहेगा कि अब तुम बिन जीना मुश्किल है,बहुत हो गया अब छुपना छिपाना,अब हमलोग साथ साथ … Read more

हमारे घर में औरतों के लिए अलग से कुछ नहीं बनता –  सविता गोयल 

शिवानी एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। पिता की कमाई भले हीं संयमित थी लेकिन कभी उसके माता पिता ने अपने बच्चों की ख्वाहिशों को नहीं मारा था…..  जब वो विवाह लायक हुई तो  रूप और गुण को देखते हुए कई बड़े बड़े घरों से उसके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे । शिवानी के … Read more

भाभी मां – शाहीन खान

स्नेहा का सामान पैक करते समय उसकी विदाई के ख़्याल से ही रह-रहकर आराध्या की आंखें भर आती थीं| अपनी आंखों की नमी को सबसे छुपा कर वह अपने काम में लगी हुई थी| बस! आज भर की ही तो थी स्नेहा! इस घर में कल पराई हो जाएगी| सोचने बैठी तो लगा वक्त कितनी … Read more

” चाहत पूरी करने का जज़्बा होना चाहिए ” – अनिता गुप्ता

वह अपनी अधूरी ख्वाहिश को पूरा करना चाहती थी। लेकिन कभी मौका ही नहीं मिला या ये कह लो कि लोक लाज, झिझक के कारण कभी पूरा ही नहीं कर पाई। ख्वाहिश भी कोई बड़ी नहीं थी,बस एक बार क्वीन एलिजाबेथ बनना था। जब से उन्होंने क्वीन को टीवी में देखा था तब से उनकी … Read more

जन्मदिन अखबार का – -देवेंद्र कुमार

अखबार देखते ही विनय का माथा गरम हो गया। पता नहीं यह किसकी बेहूदगी थी। अखबार के पहले पन्ने पर किसी ने जगह जगह ‘जन्मदिन’ शब्द टेढ़े मेढ़े अक्षरों में लिख दिया था। उन्होंने तुरंत अखबार वाले जीतू को फोन मिलाया। उससे अखबार की नई प्रति लेकर आने को कहा। जीतू कई वर्षों से उनके … Read more

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