*कापुरुष* – मुकुन्द लाल
रात के सन्नाटे को चीरती हुई कई लोगों की मिली-जुली आवाजें “रिक्शा रोको।” ने रिक्शे पर बैठे दम्पति को चौंका दिया। रिक्शावाला भी शायद भयभीत हो गया था। पैडल पर उसने दबाव बढ़ा दिया था। सहसा अंधेरे के बीच से कई साये एक साथ उभर आये। उनमें से दो ने दौड़कर रिक्शे की हैंडिल … Read more