*कापुरुष* – मुकुन्द लाल

   रात के सन्नाटे को चीरती हुई कई लोगों की  मिली-जुली आवाजें “रिक्शा रोको।” ने रिक्शे पर बैठे दम्पति को चौंका दिया। रिक्शावाला भी शायद भयभीत हो गया था। पैडल पर उसने दबाव बढ़ा दिया था।  सहसा अंधेरे के बीच से कई साये एक साथ उभर आये। उनमें से दो ने दौड़कर रिक्शे की हैंडिल … Read more

‘ संस्कार ‘ – विभा गुप्ता

 ” मालकिन, चार बजने को आये हैं, आप कहें तो आरती की थाली तैयार कर देती हूँ।दीपक भैया बहुरानी को लेकर आते ही होंगे।” गृहसेविका नंदा ने जब अपनी मालकिन से पूछा तो देविका जी ने बेमन-से उत्तर दिया, ” इसकी कोई आवश्यकता नहीं है नंदा,नई बहुरानी तो नये विचारों वाली विदेशी है। वो भला … Read more

उसके चेहरे पर डर साफ़ दिख रहा था – के कामेश्वरी 

किरण अपने पति की मृत्यु के बाद वह कुछ ज़्यादा ही चिड़चिड़ी हो गई थी । उसके घर में सास और बेटा ही थे परंतु उसे लगता था कि वह बहुत सारा काम कर रही है इसलिए सुबह से ही अपनी सास से लड़ती रहती थी । सास बहू के बीच पहले भी पटती नहीं … Read more

तलाश (कहानी ) – अंतरा 

दस लड़कियों का एक ग्रुप हंसता -ठिठोली करता पहाड़ियों पर चल रहा था। सभी लड़कियां सेल्फी लेने में व्यस्त हैं और प्राकृतिक छटा को निहार कर विस्मृत हो रही हैं लेकिन एक लड़की बिना किसी विस्मयी भाव के प्रकृति की फोटो लेने में व्यस्त है! वह हर उस छोटी चीज की फोटो ले रही है … Read more

छुटकारा – ऋतु अग्रवाल

    “पूनम! मैं तुमसे हजार बार कह चुका हूँ कि मुझे नई गाड़ी खरीदनी है और जिसके लिए तुम अपने पापा से मुझे रुपए लाकर दोगी।” प्रशांत घर में चीख चिल्लाहट मचाए हुए था।     “प्रशांत, आप जानते हैं कि कोविड के बाद पापा का कारोबार ठंडा पड़ा हुआ है और फिर पूरे घर की जिम्मेदारी और … Read more

“मां की गुलक” -गीतांजलि गुप्ता

रंजना जी कई दिनों से परेशन है। दीप्ति की बातों पर बार बार सोचने को मजबूर हो जाती है। बड़े अरमानों से उसने अपने इकलौते बेटे की शादी दीप्ति से की थी। दीप्ति अभिनव के साथ ही काम करती थी। रंजना जी ने अभिनव को जी तोड़ मेहनत कर के पाला था। सोमेश तो आठ … Read more

बेटी के साथ साथ मां भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे क़दम बढ़ाएगी…… – भाविनी केतन उपाध्याय 

  ” क्या बेटी की शादी उसे आत्मनिर्भर बनाने से ज्यादा जरूरी है विमला ? मुझे तो लगता था कि तुम्हें तो पढ़ाई लिखाई और केरियर का इतना बड़ा लगाव सा होगा ? परंतु सच कहते हैं लोग कि जिसके पास जिस चीज़ नहीं हो उसको उसकी कदर भी नहीं रहती…. सच तुम एक मॉं … Read more

प्यार की जीत – नूतन योगेश सक्सेना

ये कहानी आज से करीब 25 — 30 बरस पुरानी है । अजय और सीमा के घर पास — पास थे । सीमा एक साधारण परिवार की तीसरी बेटी थी, और अजय उच्च मध्य वर्ग से संबंधित था । दोनों हम उम्र ही थे, जैसा कि उन दिनों का चलन था लडके लडकियां आपस में … Read more

सोने का  मंगलसूत्र – प्रियंका सक्सेना

 “माँ, तुम  काला धागा गले में क्यों पहनती हो?” मीरा ने पूछा. “बेटा, ये मंगलसूत्र है, सभी औरतें पहनती हैं।” कांता ने बर्तन साफ करते-करते बेटी को बताया. तभी रसोई घर में विभा आ गई, मीरा को देखकर कहा, “अरे! आज मीरा भी आई है, कांता तुम्हारे संग।” “जी मेमसाब, इसके स्कूल में छुट्टी चल … Read more

चाहत – कुमुद मोहन

रिचा और अनुज एक ही बस में आते जाते थे!दोनों एक दूसरे के प्रति खिंचाव महसूस करते पर एक दूजे की पहल का इंतज़ार करते करते मौन ही रह गए! ये सफर कब चाहत में तब्दील हो गया दोनों को पता ही न चला! एक दिन अनुज अपने प्यार का इज़हार कर चिट्ठी बनाकर लाया … Read more

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