बुजुर्ग दरख़्त – मनप्रीत मखीजा

उर्वी और अर्शी, दोनों बचपन की सहेलियां थीं| दोनों ही सुंदर, तेज दिमाग, और हुनरबाज थीं। लेकिन दोनों की समझ में भी काफी अंतर था। किस्मत का खेल था कि अर्शी ने परिवार की मर्जी के बिना लवमैरिज कर ली और विदेश चली गई। वहीं दूसरी तरफ उर्वी ने अपने बचपन की सहेली अर्शी के … Read more

जब विश्वास टूटता है तो बहुत दर्द होता है – सविता गोयल 

” सुनिए जी, आप गुस्सा थूक दीजिये.. नवीन अब बड़ा हो रहा है ..। जवान बेटे पर इतना गुस्सा करना सही नहीं है। कल को वो आवेश में आकर कोई गलत कदम ना उठा ले  …। ,, “तो क्या.. अब मुझे अपनी औलाद से भी डर कर रहना पड़ेगा !! आने दो आज उसे घर  … Read more

बंद दरवाजा – मधु वशिष्ठ  

 भारती जी ने अपने कमरे का दरवाजा खोला तो पाया कि मोनिका और पवन के कमरे भी अब पूर्णतया बंद ना होकर केवल पर्दे ही लगे हुए थे।              जब से वर्क फ्रॉम होम शुरू हुआ तो भारती जी को बहुत खुशी हुई कि अब बच्चे घर पर ही रह कर काम करेंगे। मोनिका के कॉलेज  … Read more

घड़ी का बहाना -कहानी- देवेन्द्र कुमार

अमल और मीना अपने बाबा रामदयाल से बहुत गुस्सा हैं। उस दिन दोनों दौड़े दौड़े चाकलेट की फरमाइश लेकर आये पर बाबा किसी दूसरे मूड में थे। उन्होंने डपट कर भगा दिया-‘ कोई चाकलेट वाकलेट नहीं मिलेगी।’ अमल और मीना ने माँ उमा से बाबा की शिकायत की,पिता सुरेश से भी कहा। ऐसा पहली बार … Read more

बस, इतनी सी चाहत है – शाहीन खान

राहुल अभी तक ऑफिस से घर नहीं आए थे, आज कुछ ज़्यादा ही लेट हो गए, इंतजार करते-करते थक चुकी थी अपर्णा | घड़ी पर नज़र डाली तो 10:30 होने वाले थे, बोरियत से बचने के वह  टीवी ऑन कर सीरियल देखने लगी| सीरियल की कहानी में रोमांचक मोड़ आया ही था कि राहुल की … Read more

चाहत माँ बनने की –  सुभद्रा प्रसाद

 “मैं पूछती हूँ, तुम्हारे भैया, भाभी और कितने दिन यहाँ रहेंगें  ? ” सुमन अपने पति उमेश से पूछी |            “अरे आठ दिन की छुट्टी लेकर आये हैं, अभी छ: दिन हुए हैं, तो दो दिन और रहेंगे |पर तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो  ? ” उमेश ने पूछा |           “क्योंकि मैं परेशान हो … Read more

चाहत बस थोड़े प्यार की – कुमुद चतुर्वेदी

  इकलौते भाई और तीन बहनों में बीच की बेटी थी वह।बड़ी बहन पहली संतान होने से पिता की लाड़ली और माँ की चहेती थी,फिर भाई था जो बचपन से ही दुबला, पतला होने के साथ इकलौता बेटा भी था और माँ,पापा का लाड़ला था।उसके बाद वह और उससे छोटी बहन जो सबसे छोटी होने से … Read more

बांँसुरीवाले बाबा – मुकुन्द लाल 

  “अजी सुनती हो!… ड्यूटी पर जाना है, देर हो रही है।… तुम तो सुबह से ही लटक में लाये गये भाई के आगे-पीछे डोलती रहती हो…”   “आ रही हूंँ!… जरा बैजू को सर्ट पहनने में मदद कर रही थी…”   “हांँ! हांँ!… सर्ट ही क्यों?… उसके सिर में तेल डालकर बाल भी संवार दो, उसका श्रृंँगार … Read more

हां यही प्यार है – डा.मधु आंधीवाल

नीलाक्षी हां यही तो नाम है उसका पर सब उसे नीला के नाम से ही पुकारते थे क्योंकि उसकी आंखें नीली थी । रंग गोरा आँखे नीली बाल भी हल्के सुनहरी । पूरे साल बस एक ही बात का इन्तजार रहता कि कब छुट्टियाँ हो और वह नानी के गांव जाये ।  नीला को गांव … Read more

विदेश जाने की चाहत पूरी हुई तुम्हारी,पर मेरा क्या??? – सुषमा यादव

कुछ दिनों से सर्दी खांसी हो गई थी शिवानी को, घरेलू उपचार भी किया, एलोपैथिक दवाएं भी खाई ,पर खांसी जाने का नाम ही नहीं ले रही थी,, वो जल्दी किसी डॉक्टर के पास नहीं जाती,पर जाना पड़ा,, अकेले ही रहती है, ज्यादा तबियत ना ख़राब हो जाये, नहीं तो अकेले अपने आप को कैसे … Read more

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