मां-बाप के सपने – मधु वशिष्ट  

कहां कमी रह गई जो सब लोग मुझे इस तरह से घूर रहे हैं। पिता की मृत्यु के समय मैं आ नहीं पाया घर में सब लोग समझते क्यों नहीं ? अपनी तरफ से मैंने पूरी कोशिश की थी आने की लेकिन काम को यूं ही छोड़कर नहीं आ सकता था। वहां से आने के … Read more

समृद्ध किसान कहानी – डॉ अंजना गर्ग

रेखा कहां की तैयारी है? मोनिका जैसे ही रेखा के घर आई तो लॉबी में टेबल पर बहुत सा खाने-पीने का सामान और साथ ही अटैची और कपड़े देखें तो उसने रेखा से पूछा । ‘बस दो-तीन दिन के लिए गांव जा रहे हैं।’ रेखा ने बताया । ‘कोई शादी है क्या? या मिट्टी (पूजा) … Read more

एक बार आ जाओ ना (भाग-1) – मीनू झा

खुशबू जैसे लोग मिले अफसाने में,एक पुराना खत खोला अनजाने में- पता नहीं ये ग़ज़ल थी,या किसी ने अपना सीना चीर कर उसे लफ्जों हर्फों में सजा दिया था,उसकी हर शाम इस गाने से शुरू होकर जाने कहाँ कहाँ भटकती हुई एक अंतहीन मोड़ पर जाकर रूक जाती,पर जीवट की दाद तो बनती है ना … Read more

जिन्दगी की नीरसता – डा. मधु आंधीवाल

 आशू तुम मुझे छोड़ कर तो नहीं जाओगे ये वाक्य हमेशा पीहू पूछती थी और आशू का एक ही उत्तर होता क्या तू अकेली नहीं रह पायेगी मेरे बिना ? ये बात होती थी दोनों में अभी उम्र ही क्या थी दोनों की आशू 10 साल का और पीहू 6 साल की । दोनों के … Read more

“वृद्धाश्रम ही क्यों “-अंतरा

जब मैं कक्षा 12 में थी तो हमारे अध्यापक ने हम लोगों से पूछा कि आप लोग क्या करना चाहते हैं भविष्य में । कोई बोल रहा था कि सी.ए. बनेगा, बैंक में नौकरी करेगा, टीचर बनेगा ….जब मेरी बारी आई तो मैंने बोला कि मैं बड़े होकर एक वृद्ध आश्रम और एक अनाथ आश्रम … Read more

क्या पैसा रिश्तों में इतना फर्क करा देता है –  किरण विश्वकर्मा

आइने गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते! पर जब भी बीती बातें याद आती हैं….. तो दिल में दर्द जरूर दे जाते हैं। मैं प्रमिला ससुराल में सबसे बड़ी बहू…. आज से बीस वर्ष पहले हमने शहर में मकान बनवाया कर्ज लेकर, आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया…. सबसे बड़े होने के नाते मेरे पति प्रखर … Read more

शक का घेरा – डॉ उर्मिला शर्मा : Short Moral Stories in Hindi

   Short Moral Stories in Hindi : अक्षिता और आकाश का सम्बंध करीब सात साल पुराना था। बारहवीं कक्षा में थे तब से उनकी दोस्ती चल रही थी जो आज प्यार में बदल गया था। उसके बाद अक्षिता इंजीनियरिंग के लिए बेंगलुरु चली गई और आकाश पुणे से इंजीनियरिंग करने लगा। इतनी दूरी के बाद … Read more

“बहू” और “बेटी” सीखना दोनों को है। – रचना कंडवाल

कांता जी अपने सात साल के पोते के साथ क्रिकेट खेल रही थी। अंशु कह रहा था दादी आप बॉलिंग करो।”अंशु बेटा दादी तो बुढ़िया है। देखो ज्यादा नहीं दौड़ सकती।” “दादी मैं जोर से नहीं मारूंगा” दादी पोते का मैच चल ही रहा था कि गेट पर आहट‌ हुई।देखा तो अंशु की बुआ कामिनी … Read more

तुझे सब है पता, है ना माँ! – सुषमा तिवारी

कोचिंग क्लास से लौटते समय वेदांत के कदम और भारी हो चले थे। जाने क्यों आज मन ही नहीं हो रहा था कि घर वापस लौटे। यूँ तो वह परिवार में घुल मिलकर रहने वाले बच्चों में से था पर आज क्लास में भी उसका मन कुछ खास नहीं लग रहा था। उसे बिल्कुल समझ … Read more

सुलभा दीदी की बारात – गीतू महाजन

सुलभा की बारात किसी भी वक्त आ सकती थी।सारी तैयारियां ज़ोरों शोरों से हो चुकी थी।सुलभा दुल्हन बनी बहुत ही सुंदर लग रही थी..ऐसा लग रहा था जैसे कोई अप्सरा ही स्वर्ग से धरती पर पधार गई हो।सुलभा की मां उसे देखते हुए उसकी बलाएं लेती थक नहीं रही थी।उन्होंने तो शायद यह सपना देखना … Read more

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