चाहत – शकुंतला अग्रवाल ‘शकुन’

‘संदीप’, हाँ !, यही तो नाम था उनका, अजीब -आदमी थे। हमेशा पढ़ाई की धुन चढ़ी रहती थी।  अपने बच्चे को कभी खेलने भी नहीं देते थे। यदि कभी कोई कुछ कहता भी तो कहते…..”प्राइवेट- कम्पनियों में हमेशा कर्मचारियों का शोषण ही होता आया है। जितनी तन्ख्वाह देते हैं, उससे कहीं ज्यादा व्यक्ति का खून … Read more

” चाहत का उपहास” – कविता भड़ाना : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : “सोनम के लिए जब उसकी छोटी भाभी ने अपने भाई के साथ रिश्ते की बात ससुराल में कही, तो मानों भूचाल ही आ गया…  सोनम की मां, और छोटी बहु की सास दहाड़ कर बोली “तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी नाजों से पली बेटी के लिए अपने गंवारू भाई … Read more

स्मार्ट – मधु मिश्रा

सिद्धि इस बार तू ससुराल में बहुत दिन रही, क्या हुआ …कोई ख़ास बात… ! प्रिया ने अपनी सहेली से विस्मयता के साथ पूछा… हाँ यार इस बार ज़्यादा दिन रुकना पड़ा, सास ससुर बुज़ुर्ग हैं और उन्होंने पहले जो मेड रखी थी, उसने काम छोड़ दिया  l जब तक कोई दूसरी लग नहीं जाती, … Read more

यह मेरा घर है – ज्योति अप्रतिम

सुमिता ! कभी तो सोच समझ कर काम किया करो। तुम्हें मालूम भी है क्या हुआ रजनी को ? क्या हुआ छोटी भाभी को ? सुमिता ने बड़ी भाभी के कड़े शब्दों को सुन कर सहमते हुए पूछा। तुम्हारी वजह से उसका ब्लड प्रेशर एकदम नीचे गिर गया है।अभी हॉस्पिटल गई है भैया जी के … Read more

फिर कहीं कोई फूल खिला – नीरजा कृष्णा

आज वे दोनों माली के साथ अपनी बालकनी के गमलों की देखरेख कर रहे थे। अचानक सुरेश बाबू की निगाहें  कोने में रखे गमले पर पड़ी और उसमें अनायास उग आए एक छोटे से गुलाबी रंग के फूल पर रीझ कर पूछ बैठे, “दीनू काका, ये कौन सा फूल है…ये तुमने कब लगाया?” माली भी … Read more

मैं इस घर को प्यार का मंदिर समझती थी – चाँदनी झा 

“बेटा तुम तो ऐसी न थी, घर में कोई कुछ कह दे तो घर माथे पर उठा लेती थी…और आज?” मालती जी ने मोनिका को फोन पर उसकी हालत जानकर कहा। आंखों में आंसू छिपाते हुए, मोनिका ने कहा मां, दर्द होता है तो तुम्हें बता देती हूं, अच्छा लगता है। पर मां….आचनक से कुछ … Read more

मां जी”आपकी बहू समझदार हो गई!! – सरगम भट्ट

मां जी”आप थोड़ी देर रूही को देख लेंगी, मैं अभी थोड़ी देर में मार्केट से आती हूं ” इतना कह मानसी रूही को गीता जी के पास छोड़कर बिना उनका जवाब सुने चली गई। मानसी का अब यह रोज का हो चुका था, वह रूही को गीता जी के पास छोड़कर रोज किसी न किसी … Read more

मैं तो जैसे तुमसे फ्री में काम करवाती हूँ!!! – मनीषा भरतीया 

“अरे शांताबाई आज फिर तुम लेट आई हो मैं तुमसे पूरी तरह से तंग आ चुकी हूं…. तुम्हारे यह रोज के बहाने….भाभी आज डॉक्टर के पास गई थी, आज बच्चे की तबीयत खराब हो गई, स्कूल में मीटिंग थी, आज मेरी तबीयत खराब हो गई वगैरा-वगैरा….. वैसे आज क्या बहाना है तुम्हारा? ??” “भाभी आप … Read more

मम्मी जी की ये आदत अच्छी नहीं है… – रश्मि प्रकाश

“ हद करती हैं मम्मी जी भी… क्या हुआ जो जरा सा आदि को गोद में लेकर गले लगा लिया….पता नहीं उनके मन में क्या चलता रहता है समझ ही नहीं आता …..सच कह रही हूँ मम्मी जी की ये आदत अच्छी नहीं है … जो मुझे सुना देती है…..निकुंज आप कुछ क्यों नहीं कहते…. … Read more

इस उम्र में शादी! समाज क्या कहेगा? – सोनिया कुशवाहा 

स्वीडन जैसा खूबसूरत शहर, बर्फ से ढकी सड़कें, सड़क किनारे लगे सेब और चेरी के फलों से लदे पेड़। एक सुंदर गर्म कमरा जिसकी खिड़की से पर्दा हटाकर सड़कों  पर होती आवाजाही को एकांत में टकटकी लगाकर देखती आशिता। हाथ में कॉफी का मग और साइड टेबल पर रखा सैंडविच जिसे अपने ही खयालों में … Read more

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