तिरस्कार – कल्पना मिश्रा

काफी अंतराल बाद मैं अपने बचपन के दोस्त नीरज के घर आया तो लॉन में ही उसके दादा जी मिल गये। वह बड़े प्रेम से एक घायल चिड़िया के पंखों पर दवा लगा रहे थे। मुझे देखते ही वह खुश हो गए “अरे बेटा.. तुम अचानक कैसे? आओ,आओ! देखो तो कितनी घायल है ये बेचारी! … Read more

एक अनजान ने मुझे सही राह दिखा दी – ममता गुप्ता

अपने भतीजी अंशु के जन्मदिन पर आई। शालिनी अपने ससुराल वापस जा रही थी..भैया भाभी शालिनी को रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आये थे। ये क्या दीदी कुछ दिन औऱ रुक जाती..आपके भैया आपको अपनी गाड़ी से छोड़ आते..लेकिन आपको तो रुकने की फुर्सत ही नहीं है। अब कभी आओ तो फुर्सत से आना ताकि हम … Read more

हम तिरस्कृत क्यूँ” – भावना ठाकर ‘भावु’ 

ईशांत जैसे, जैसे बड़ा हो रहा था उसके व्यवहार में बदलाव आ रहा था। बचपन में जो लड़का बेहद शरारती था वो आजकल चुप-चाप रहने लगा। ईशांत की मम्मी ने एक दो बार ईशांत के पापा से कहा भी कि ईशांत के स्वभाव में अचानक ये परिवर्तन कैसे आ गया? तो ईशांत के पापा ने … Read more

बहू का तिरस्कार जब-तब !क्यों भई क्यों? – कुमुद मोहन 

मीरा जी बेटे के लिए अमीर बाप की बेटी रीना को  शुरू से ही  दबाकर रखना चाहती थीं कि कहीं पैसे के गुरूर में आकर  वह उनके और बेटे विकास के ऊपर हावी न हो जाए और बेटा उसके और ससुराल वालों कब्जे में न हो जाए! बहू को ताने मारने और उसका तिरस्कार करने … Read more

सीता – कल्पना मिश्रा

“सीता! जल्दी से मेरे लिए चाय बना दे,फिर उसके बाद साहब के लिए नाश्ता तैयार कर देना।” “सीता आँटी! मेरे लिए कॉर्नफ़्लेक्स”..बिट्टू कमरे से ही चिल्लाया।” “सीता बेटा! मेरे लिए तो कम तेल लगाकर दो पराठें ही बना दे और हां,मुलायम बनाना,वरना फिर दाँतों से नही कटते”…दादी माँ ने भी अपनी फरमाइश सुना दी। “जी … Read more

“जब बहू ने किया शुभारंभ” – पल्लवी विनोद

जब से मुम्बई आयी हूँ जाने क्यों मन बार-बार पुराने दिनों में चला जा रहा है। ‘चंचला’ दादाजी ने यही नाम दिया था मुझे ! अक्सर माँ से कहते बहू इसका नाम शालिनी से बदलकर चंचला कर दो, तब माँ कहती अरे पिताजी ! इस नाम पर तो ये लड़की एक जगह नहीं ठहरती ! … Read more

मेरी बेटी अपनी खुशियों की बलि नहीं चढ़ाएगी –  मनीषा भरतीया

सिम्मी जब तू इतनी सी थी बस पैदा ही हुई थी….तब मैंने तुम्हें अपने हाथ में लेकर अपने आप से वादा किया था….कि मैं तुम्हारी हर ख्वाहिश पूरी करूंगी….जिस तरह मेरी खुशियों मुझसे छीन ली गई है मैं अपनी बेटी की खुशियों को किसी को छीनने नहीं दूंगी….. कभी बेटी ,कभी बहन, तो कभी पत्नी … Read more

आदमी – बेला पुनिवाला 

   तो दोस्तों, आज तक सब औरत के लिए ही बातें हो रही है, उनके मान, सम्मान, उनका हक़ और वह क्या – क्या सेहेन करती है, उस के बारे में बहोत कुछ सुना होगा आप लोगो ने। अच्छा चलो माना की ये बात सही, औरत प्रेम की पुजारन और समर्पण की देवी और भी बहोत … Read more

काश तुम लौट आती – मीनाक्षी सिंह 

श्याम लाल की पत्नी का हाल ही में स्वर्गवास हो गया ! उनके मन की व्यथा वो कुछ इस तरह बयां कर रहे हैँ ! कितना अच्छा होता मधू कि तुम देख पाती तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे बहू बेटे कितना बिलखकर रो रहे हैँ ! कहती थी कोई नहीं रोयेगा तुम्हारे सिवा ! सब … Read more

ऐसा भी होता है – नीरजा कृष्णा

आज मीरा अपनी बेटी दिव्या से बहुत चिढ़ गई थी। उसी चिढ़ में खिसिया कर दो झापड़ भी रसीद कर कर दिए…अब क्या था…वो गला फाड़ फाड़ कर रोने लगी। पहले से ही परेशान मीरा और भी चिढ़ गई… उसे और मारने दौड़ी, तब तक विनय ने आकर उसके बढ़े हुए हाथ पकड लिए ,”ये … Read more

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