विषकन्या – सुषमा यादव

नागिन जैसी बलखाती,फन फैलाती,रोब झाड़ती,लाल लाल आंखें, अपने शब्दों से विषवमन करती, किसी भी अन्याय का प्रचंड विरोध करती,वो है एक विषकन्या, जी हां, मुझे यही नाम दिया गया था, मेरी मां ने और बाद में सभी ने। मैं बहुत ही गुस्सैल, स्वभाव की हूं, किसी की ग़लत बात को सहन नहीं कर सकती, बचपन … Read more

 यह विवाह संभव नहीं  – डॉ. सुनील शर्मा

हरीराम मास्टर जी की आंखों के आगे अंधेरा छा गया… पिछले तीन माह से बड़ी बेटी सुधा की शादी की तैयारियों में पूरा घर लगा था. ससुराल वाले ऊंचे तबके के थे. हमारा उनसे कोई मेल नहीं, लेकिन बेटी की ज़िद थी . रमेश लड़का अच्छा था. एक बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर … Read more

हर बार विरोध करना ज़रूरी है क्या..? – रश्मि प्रकाश 

‘‘हमेशा जवाब देना भी अच्छा नहीं होता पलक , मैं ये नहीं कह रही कि तुम चुप ही रहो पर बेटा समय देख कर बोलो तो बात का वजनरहता ,और एक चुप्पी बहुत बार सौ बातों पर भारी पड़ जाता।‘‘रत्ना जी अपनी बहू को समझाती हुई बोली ‘‘ पर माँ गलती तो भईया की ही … Read more

विरोध करोगी तो भी चलेगा…श्रीमती जी – मीनू झा 

मैं अपनी फेवरेट हूं,मैं अपनी फेवरेट हूं, अब मुझे सिर्फ खुद के लिए जीना है,खुद से ही प्यार करना है….ये क्या लगा रखा है निशा… बहुत हो चुका ये सब,अब बस भी करो और अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान दो… कोई चीज जगह पर नहीं मिलती मेरी…खैर मुझे छोड़ो तुमने देखा पिंकी के इस बार हाफ … Read more

भाभी ने सिखाया होगा! – मधू वसिष्ठ 

स्मिता ऑफिस से आई तो रानी दीदी घर पर ही थी और सासू मां से बातें कर रही थी। जैसे ही स्मिता रानी दीदी के पैर छूने को झुकी तो गुस्से में  उसने दूसरी तरफ मुंह फेर लिया। स्मिता हैरान तो थी लेकिन कमरे में जाते हुए उसे रानी दीदी के सासू मां से बात … Read more

हमारे लिए बेटे की ही कमाई काफी है!! – अर्चना खंडेलवाल

मौली बहू चाय बन गई हो तो जरा लाकर दे दें, मनीषा जी ने बगीचे में कुर्सी पर बैठते हुए आवाज लगाई, और सुबह के खूबसूरत नजारे का जायजा लेने लगी और अपने पति राजेश जी से बोली, देखो ये चिड़िया चहकती हुई कितनी अच्छी लगती है, कभी इस डाल तो कभी उस डाल और … Read more

ऐसे मर्द से मैं अकेली भली – सरला मेहता

जगत को अपनी रूपवती बेटी की बड़ी चिंता लगी रहती है। जहाँ भी वह जाती जगत एक बॉडी गार्ड की तरह उसके साथ रहता है। उसने पत्नी से अपनी चिंता जताई, ” देख धनिया !  अपनी रूपा अब जवान हो गई है। वह रंगरूप में तेरे से भी दस कदम आगे है। ऊपर से उसकी … Read more

कौन सी खुशियां या ख्वाहिशों को पूरा नहीं किया… – भाविनी केतन उपाध्याय 

” अब जाने दो ना अनु, एक दस रुपए के बिस्किट के पैकेट की तो बात है…. इस में बात बढ़ाने और मुंह फूलाने की क्या बात है?” समीर ने अपनी पत्नी अनुराधा से कहा । अनुराधा ने जैसे सुना ही नहीं वैसे ही अपने फोन पर निगाहें गढ़ाई रखी। समीर ने उसके हाथ में … Read more

उफ्फ! आपकी दोहरी मानसिकता! – सुषमा तिवारी

ड्रॉइंग रूम ठहाकों की आवाज से गूंज रहा था। रागिनी की सहेलियाँ उसकी खातिरदारी से खासा खुश नजर आ रही थी। सब रागिनी की हाउस हेल्प मालती को छोटी बहन सा मानती थीं क्योंकि उनके आते ही मालती जी जान से उनकी खातिरदारी करती, तीज त्योहार पर हाथ बटाने उनके घर तक चली जाती थी। … Read more

“तेरे बिना जिंदगी तो लेकिन जिंदगी भी नहीं” – कुमुद मोहन

बिस्तर पर लेटी नीरा छत पर घूमते पंखे की घूमती पंखुड़ियों को ध्यान से देख रही थी जिनके घूमने के साथ साथ जैसे वक्त का पहिया कई साल पीछे चला गया हो। सोचते सोचते यादों की किताब के पन्ने जैसे एक-एककर खुलने लगे। वक्त की स्याही धुंधली जरूर पड़ गई थी पर शब्दों के निशान … Read more

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