* लाली का प्रतिकार* –   बालेश्वर गुप्ता

 लाली मेरी बच्ची मुझे माफ़ कर दे,बेटी तुझे सब पता तो है तुझे कैसे बी एड, करा पाया हूँ।मुझ पर अब कुछ भी नही बचा है, तेरे हाथ कैसे पीले करूँ बच्ची?एक बाप की मजबूरी समझ बेटी,बड़े सेठ का बेटा है, थोड़ी उम्र अधिक है,पर परिवार धनवान है,तू जिंदगी भर सुखी रहेगी।तेरी सुंदरता से प्रभावित … Read more

तुम्हारा किया वापिस आ रहा तो विरोध क्यो ? – संगीता अग्रवाल 

” सुनो जी हमने पिछले जनम में ऐसे क्या बुरे कर्म किए थे जो इस जनम में उसकी सजा भुगत रहे हैं !” रीता जी अपने पति देवेन्द्र जी से रोते हुए बोली। ” रीता खुद को संभालो जो होना हो वो हो कर रहता है उसके लिए खुद को यूं सजा देना कहां तक … Read more

आज और कल का विरोध!! – मीनू झा

आइने गुजरा हुआ वक्त नहीं बताया करते…पता नहीं ये अच्छी बात है या बुरी..पर ये तो पक्का है कि आइना अगर अतीत को सहेजता रहता तो अपना विविधताओं से भरा रूप भले ही नजर आता, पर अपने ही अलग अलग उन अवतारों में उलझकर इंसान ये निश्चय ही नहीं कर पाता कि उसका असली चेहरा … Read more

आईना ! – किरण केशरे 

डाकतराईन ने क्या बोला ? लल्ला !  घर में घुसते ही अम्मा ने घेर लिया था भैरव को ! कुछ नही, लड़की है,, भैरव का उखड़ा हुआ स्वर सुनकर अम्मा बिफर ही पड़ी थी,,,, “कब से आस लगाकर बैठी थी अब दूसरी बार तो बेटा जनेगी करमजली”  पोते की चाह ने अम्मा को विकल कर … Read more

आखिरी आवाज़ – कंचन श्रीवास्तव 

की बोड पर हर वक्त थिरकती हुई उंगलियां अचानक शांत हो गई है ऐसा लगता है जैसे पोर पोर दुखता है पास होते हुए भी बेगाने सा पड़ा रहता है। आज पूरे दो महीने हो गए समीर को गए, पर ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है । हां कल ही कि बात … Read more

बर्दाश्त की हद – सुनीता मिश्रा

“कलुआ,पानी दे ।” “कल्लू मेरी चुनौटी तो ला दे।” “मास्टर जी,बुला रहे काले राम तेरे को।” कल्लू,कलुआ,कालेराम सब उसे इसी नाम से बुलाते।वैसे रंग ही उसका झक काला तो नहीं हाँ थोड़ा दबा जरूर था। छबि सुंदर थी।माँ पर गया था,बस रंग छोड़ कर।।संयुक्त परिवार मे बड़ी बहू जानकी(उसकी मां)दो देवर,उनकी पत्नियाँ,सास थी।सम्पन्न घर।सुघड़ जानकी … Read more

माँ का विरोध करना मेरी गलती है – के कामेश्वरी

मैं अपनी फेवरेट हूं,मैं अपनी फेवरेट हूं, अब मुझे सिर्फ खुद के लिए जीना है,खुद से ही प्यार करना है….ये क्या लगा रखा है निशा… बहुत हो चुका ये सब,अब बस भी करो और अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान दो… कोई चीज जगह पर नहीं मिलती मेरी…खैर मुझे छोड़ो तुमने देखा पिंकी के इस बार हाफ … Read more

दोषी – सुधा शर्मा

आज चौपाल पर मजमा लगा हुआ था ।     सब लोग मिलकर नन्दा को भला बुरा कह रहे थे। कोई एहसान फरामोश कह रहा , कोई कृतघ्न , कोई लालची ।         एक स्वर मे सब उसको गाँव से निकालने या पुलिस के हवाले करने की सिफारिश कर रहे थे ।  आखिर उसने अपराध ही ऐसा किया … Read more

 नैना – मंजुला

“ताई जी और ताऊ जी दोनों सवेरे मंदिर गये हुए थे। शरद मौका पाकर नैना के कमरे में चला आया। डर और गुस्से से काँपती नैना चिल्लाना चाहती थी लेकिन शरद ने बायें हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया। शरद की पकड़ से छूटने के लिए कसमसाती नैना का पैर जोर से कोने में … Read more

हैसियत तो आपकी नहीं थी बहू लाने की। –  सविता गोयल

” हूंह… एक भी सामान ढंग का नहीं दे रखा जो हमारे घर में रखा जा सके।  कपड़े लत्ते भी ऐसे दिये हैं कि सारे रिश्तेदारों के सामने हमारी नाक कट गई।  हमने तो सोचा था सरकारी मास्टर की इकलौती बेटी है तो कम से कम ब्याह तो ठीक से करेंगे … लेकिन यहां तो … Read more

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