आत्मा – अंजू अग्रवाल ‘लखनवी’

वो बिलख-बिलख कर  रोते हुए अपने माता-पिता को देख रही थी। वो उससे लिपट लिपट कर रो रहे थे। “लेकिन.. वो किससे लिपट रहे हैं…! मैं तो यहां खड़ी हूँ…! ये मेरा शरीर खून से लथपथ क्यों है…! और…ये नाखूनों के निशान कैसे हैं…! मेरा एक गाल भी आधा गायब है…! उफ्फ.. तो फिर मुझे … Read more

मेरी जिन्दगी की डायरी का दर्दीला पन्ना – डा. मधु आंधीवाल

                एक ऐसा अपार दर्द मैं दिल में समेटे हुये हूँ । बहुत लम्बा समय गुजर गया मेरी पूरी जिम्मेदारी भी लगभग पूरी चुकी हैं पर जब तक हम जिन्दा रहते हैं मां बाप को भूलना बहुत मुश्किल होता है। बच्चों के सामने भी वह दर्द नहीं दिखाया जाता बस अकेले में आंसू बहा लेते … Read more

पुनर्जन्म – कमलेश राणा

राशि स्कूल जाने के लिए घर से निकल ही रही थी कि सास और ननद की कर्कश ध्वनि कानों को बेध गई,, लो चली महारानी छम्मक छल्लो बनकर,, स्कूल जाती हैं या फ़ैशन परेड में। मुझे तो लगता है रूप का प्रदर्शन करने जाती हैं क्या खाक पढायेंगी बच्चों को।  राशि की आँखों में आँसू … Read more

फिर अब क्यूं – तृप्ति शर्मा 

   आज क्यों उसके सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद नहीं दे पाई मैं ।उसे कई दिन से देख रही थी ।अदिति का बदला हुआ रुख ,मानव के जाने के बाद जो संजीदगी उसके चेहरे पर आई थी धीरे-धीरे छटने लगी थी जो मुझे असहज किए जा रही थी।    अदिति उसे मुझसे मिलवाने ले आई तो मैंने … Read more

21वीं सदी की बुलबुल – प्रेम बजाज

शीतल के पापा को माईनर सा हार्टअटैक आता है, डाक्टर ने कहा कोई खतरे वाली बात नहीं, वो अब ठीक हैं। लेकिन जिसे सुनकर शीतल रह नहीं पाती और पापा से मिलने आती है, शीतल की बेटी बुलबुल दस साल की है और बेटा सौरभ चार साल का है। बेटे को तो शीतल साथ ले … Read more

आज की नारी – नताशा हर्ष गुरनानी

पापा में जूडो कराटे सीखना चाहती हूं।   अभी बेटा तुम इन सबके लिए बहुत छोटी हो   थोड़ी बड़ी हो जाओ फिर सीखना जूडो कराटे   पापा मै बड़ी ही हूं।   देखिए मै आपके पेट तक आ जाती हूं।   हेहेहे हस्ते हस्ते पापा ने कहा अरे वाह मेरी गुड़िया तो इतनी बड़ी … Read more

जुर्म के खिलाफ – विनोद प्रसाद

कमला मुझे पाँच-पाँच सौ के चार नोट पकड़ाते हुए बोली- “दीदी इसे बैंक में जमा कर देना।” उसके नाम मैंने बैंक में एक खाता खुलवा दिया था ताकि वह दूसरों के घरों में झाड़ू-पोछा कर होने वाली कमाई के कुछ पैसे पति से छुपाकर भविष्य के लिए जमा कर सके। घर में पैसे रखने पर … Read more

जनसंख्या विरोध – भगवती सक्सेना गौड़

सुजाता अस्पताल के बेड पर थी, अचानक उसने कहा, “अरे मैं यहां कैसे आयी?” तभी उसे आभास हुआ, सुकन्या बेटी उसका सिर सहला रही है, “हां, मम्मा, आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी पापा ने फ़ोन किया, तो रात को मैं आकर आपको यहां लेकर आयी। अब कैसा लग रहा है।” “ठीक है, … Read more

मेरी बहू भी बेटी से कम नहीं •••• – अमिता कुचया

 मालती जी को कोई बेटी नहीं थी। उन्हें घर की बहू बेटी जैसी ही दिखती थी।वो चाहती थी कि बहू को इतना प्यार दूं कि बेटी की कमी न रहे •••• वो हमेशा ही बहू को बेटी के नजरिए से देखती और वो हमेशा सोचती कि अगर मेरी बेटी ऐसी होती तो क्या लड़के लड़की … Read more

“क्यों हम छोटे शहर वालों को सपने देखने का हक नहीं है क्या?” – ज्योति आहूजा|

यह कहानी है छोटे से शहर की रहने वाली एक ऐसी लड़की संध्या की जिसके सपने ऊंचे आसमान में उड़ने के थे|  बहुत ऊंचा उड़ना चाहती थी वह| दबंग इतनी कि पूछो मत, जो मन में वही जुबान पर था उसके| परिवार में पिता आलोक, मां जानकी, एक बड़ी बहन सुरभि और दादी सुमित्रा देवी … Read more

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