मां होती तो उसके दर्द को तो समझती – किरण कुशवाहा

अंजू की शादी को डेढ़ साल हुए थे, पति अजय दूसरे शहर में नौकरी करते थे| महीने में दो-तीन दिन के लिये आते तो दिन भर तो घरवालों के साथ ही रहते तो कुछ कहने और सुनने का समय ही नहीं मिलता। इधर कुछ दिनो से अंजू कुछ भी खा रही थी तो उसे उल्टी … Read more

तुम्हारी वजह से मैं आज खुद से प्यार करने लगी हूं – चाँदनी झा 

बीबीजी, आप इतना झल्लाई सी क्यों रहती है? विमला ने डरते हुए सुधा से पूछा। झल्लाई क्या, सारा काम मुझे ही करना पड़ता है। तुम्हारे साहब को, ऑफिस के आलावा किसी चीज की चिंता नहीं, रोहन, रिया सबका ख्याल रखना, मेरी सास भी बीमार रहती है, और तुम कहती हो की मैं झल्लाई क्यों रहती … Read more

मन की खुशी – सोनिया कुशवाहा

इस साल बहुत धूमधाम से मनाऊंगी करवाचौथ, खुशी ने मन ही मन निश्चय किया। हर साल पूजा और विधि के शानदार फोटो देखकर मुझे कितना खराब लगता है, ना सही से तैयार हो पाती हूँ ना ही कभी मुकुल ने कहा कि कोई नई साड़ी या जेवर खरीद लो। बस वही पुरानी साड़ियाँ पहन कर … Read more

 लड़का हो या लड़की। दर्द भी बराबर होता है – सविता गोयल 

अरे बहू, ये क्या कर रही हो। अभी तो लल्ला खाली बीस दिन का हुआ है और तुम अभी से कपड़े धोने चल पड़ी। माँ जी, पिछली बार भी तो बीस दिन होते ही मैं काम करने लगी थी। तो इस बार भी कर लूंगी। नहीं नहीं बहू, अभी तेरा शरीर कच्चा है। आस-पड़ोस में … Read more

इतना आसान नहीं है उसे भूल पाना – संगीता अग्रवाल 

” स्नेहा कहां हो तुम …स्नेहा …!” निकुंज अपनी पत्नी को आवाज लगाता हुआ घर में दाखिल हुआ। ” लो तुम यहां बैठी जाने कहां गुम हो और मैं तुम्हे घर भर में ढूंढ रहा हूं !” निकुंज पत्नी को बालकनी में गुमसुम बैठे देख बोला। ” आ गए आप … मैं चाय लाती हूं … Read more

खिलवाड़ ! – वर्षा गर्ग

“सुना काव्या?”तुमने “किस बारे में बात कर रही हैं स्पष्ट बताइए ना।” “यही राकेश जी के बारे में..!” “ओह,मुझे लगा कोई खास बात होगी।अच्छा भाभी, धरा के आने का समय हो गया, मैं चलती हूं।” काव्या तो कुछ ही पलों में आंखों से ओझल हो गई पर आंखों के सामने पूरी फिल्म गुजरने लगी। बीस … Read more

रिश्तों का जटिल ताना बाना – डॉ. पारुल अग्रवाल

आज राशि इधर से उधर सजीधजी इधर से उधर काफी भाग दौड़ कर रही थी, पूरा घर भी मेहमानों से भरा हुआ था। चारों तरफ बहुत हंसी-खुशी का माहौल था, हो भी क्यों ना आज राशि और उसके पति की कई सालों की तपस्या का परिणाम था कि वो इतनी अच्छी सोसायटी के सभी सुविधाओं … Read more

“वेदना और स्वार्थ ” – कविता भड़ाना

स्वार्थ… स्वार्थ आखिर है क्या? अपने सुख के लिए या कोई इच्छा पूरी करने के लिए किसी ऐसे इंसान के भी तलवे चाट लेना, जो हो सकता है के हमे बिलकुल पसंद ना हो….पर अपने स्वार्थ के लिए हम अपने जीवन में उसे स्थान देते ही है। कभी कभी हम बरसों तक एक ऐसे इंसान … Read more

आस्था या स्वार्थ – कमलेश राणा

दादी, दादी जल्दी आओ,,, देखो यह क्या हो रहा है टीवी में..  विभु जोर जोर से चिल्ला रहा था और काफी डरा सहमा सा था..  उसकी आवाज़ की तड़प महसूस कर मैं दौड़कर वहाँ पहुंची तो सचमुच वह नजारा भयाक्रांत कर देने वाला था। मैं भी डर गई और सांस रोक कर उस लाइव टेलीकास्ट … Read more

सच्चा प्यार, सवार्थ से परे – राशि रस्तोगी 

प्यार शब्द का अर्थ बहुत ही गहरा है,प्यार में क्या मेरा क्या तेरा, ये तो बस स्वार्थ से परे होकर दूसरे व्यक्ति के लिए कुछ कर जाने का जज़्बा है| आइये पढ़ते हैं ये कहानी.. स्नेहा की शादी वरुण से हुई.. स्नेहा दो बहने हैं.. एक छोटी बहन है ज्योति। वरुण दो भाई हैं.. उसके … Read more

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