मेरे लिए तो आप हो ना जी !! -मीनू झा

  आप चिंता मत करो पापा सब हो जाएगा मैं कहीं भी थोड़ी सी भी कमी नहीं आने दूंगा ना किसी कर्म कांड में ना ही दान में और ना ही ब्राह्मण भोजन में आप निश्चिंत रहो एकदम से–बेटे सुधीर ने पिता रमेश जी को कहा। मैं क्या कह रहा था सुधीर…मेरे खाते में भी … Read more

ये सब बातें कहने सुनने में अच्छी लगती हैं…… – भाविनी

पोती के जन्म पर इतनी बड़ी दावत कर रही हो पागल हो गई है क्या? सुमन जी ने अपनी सहेली विमला जी से कहा।  ‘हॉ, तो इस में क्या हुआ और लड़की तो लक्ष्मी का अवतार है” विमला जी हंसते हुए कहा।  “ये सब बातें कहने सुनने में अच्छी लगती है पर असलियत में तो … Read more

स्वार्थ पर टिके रिश्तों का टूट जाना ही बेहतर है!!  –  मनीषा भरतीया

दीदी इस बार राखी पर आपके लिए क्या बनाऊं ….चाऊमीन और छोला भटूरा बना दूं क्योंकि आपको यह मेरे हाथ का सबसे ज्यादा पसंद है ना???  निशा ने अपनी ननंद सरिता से फोन पर कहा, तब सरिता ने कहा निशा अभी तो 10 दिन पड़े हैं पता नहीं कल क्या हो ना हो इतने दिन … Read more

 “स्वार्थी कौन” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव

 ऊजे कांच ही बांस के बहँगिया …बहँगी लचकत जाये  ऊजे भरिया जे होइहें …… छठी मईया के इस अधूरे गीत ने सुमन जी के हृदय में हाहाकार उठा दिया था। वह एक हाथ अपने कलेजे पर रखी हुई थी और दूसरे हाथ से अपने वियोग के निकले आंसुओं को पोंछ रहीं थीं। पिछले साल पति … Read more

कैसा ये इश्क है – कमलेश राणा

बात पिछले साल की है। नवम्बर का महीना था। गुलाबी ठंड दस्तक दे रही थी, मौसम बड़ा ही सुहाना था।  पड़ोस में रहने वाले मिश्रा जी के बेटे की शादी की रौनक मौसम के साथ साथ दिलों में भी सुहानी खुशियों का संचार कर रही थी।  वो कहने को हमारे पड़ोसी थे, हमारे बीच रक्त … Read more

पत्थर दिल – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

सुकन्या की नन्द की शादी को दो साल हो गए थे लेकिन उनको कोई बच्चा नही था। बच्चे के लिए वे काफी परेशान रहती थी तो सुकन्या ने उनको एक बहुत ही प्रसिद्ध काबिल डाक्टर के बारे मे बताया और कहा, आप इनको दिखाइए मै गारंटी देती हूं आपको एक साल के अन्दर ही बच्चे … Read more

कांच की दीवार – डा. मधु आंधीवाल

आज माधवी और अमर में फिर वाद विवाद होगया । इतनी उम्र साथ साथ व्यतीत होने के बाद भी कभी कभी तकरार भयंकर रुप ले लेती है। ऐसा नहीं कि दोनों में प्यार नहीं । एक के बिना दूसरा नहीं रह सकता ।  दोनों बेटियों की शादियाँ होगयी । बेटे की भी शादी हो गयी … Read more

हमारे घर का चिराग़ हमारे ही आँगन में होगा – रश्मि प्रकाश

रागिनी को जब पता चला कि वह माँ बनने वाली है तो उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा था ये यूँ तो उसका दूसरा बच्चा था पर ख़ुशी दुगुनी हो रही थी क्योंकि उसने अपने पति तुषार से यही कहकर दूसरे बच्चे के लिए हामी भरी थी कि पहले बच्चे के वक़्त मुझे महसूस ही … Read more

जिद्द की कीमत – पुष्पा पाण्डेय

राखी की पढ़ाई को लेकर घर में भाई-भाभी के बीच जो विवाद हुआ उसे लेकर चंदा काफी दुखी थी। घर के मुख्य दरवाजे पर चुपचाप उदास बैठी थी। भाभी चाहती थी कि राखी घर में ही रहकर काॅलेज की पढ़ाई करे। गाँव से शहर का काॅलेज पाँच किलोमीटर की दूरी पर था। बस तो आती-जाती … Read more

वक़्त का पहिया – डॉ उर्मिला शर्मा

 एक छोटे से शहर के निकटवर्ती गॉव की नम्रता स्नातक की छात्रा थी। जो रोजाना सायकिल से शहर के कॉलेज में पढ़ने जाया करती थी। औसत दर्जे की पढाई में नम्रता बहुत ही महत्वाकांक्षी लड़की थी। घर में तीन भाई- बहनों में नम्रता सबसे छोटी सबकी चहेती थी। उसका निम्न मध्यमवर्गीय परिवार बुनियादी जरूरतों को … Read more

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