” मजबूरी बनाम समझौता ” – अनिता गुप्ता

कोख में होती हलचल को महसूस  करती नमिता उदास बैठी विचारों की दुनिया में खोई हुई थी। ज्यों – ज्यों समय निकलता जा रहा था , उसका अपने अजन्मे बच्चे से मोह बढ़ता जा रहा था।…… और बढ़े भी क्यों ना, वो अपने खून से जो सींच रही थी। कितना आसान लगा था, उसे जब … Read more

कन्या-पूजन – डाॅ संजु झा

पूरे देश में दशहरा का पर्व धूम-धाम से मनाया जा रहा है।आज अष्टमी तिथि को घर-घर कन्या -पूजन हो रहा है।कमला जी भी इस पावन सुअवसर पर बड़ी तन्मयता से बच्चियों के चरण पधारकर उन्हें अपने आँचल से पोंछती हैं।उन्हें सिन्दूर का टीका लगाकर बड़े प्रेम से खीर-पूड़ी,हलवा का प्रसाद खिलाती हैं।बच्चियों के विदा के … Read more

पति परमेश्वर – डा. मधु आंधीवाल

करवा चौथ का व्रत सुहागिनें बहुत खुशी से रखती हैं ।पति की लम्बी आयु के लिये पत्नियाँ पूरी तरह समर्पित होती हैं। मंजरी भी बहुत खुश थी । शादी के बाद उसकी पहली करवा चौथ थी । वह इसे जीवन की यादगार करवा चौथ बनाना चाहती थी । अनुज उसका पति एक उच्च अधिकरी ऊपर … Read more

  बदलाव  – आरती झा”आद्या”

  एक आम सी गृहिणी है सुचित्रा। सबके काम पर निकलने के बाद सुबह के काम निपटाने के क्रम में बिछावन ठीक करती हुई, उसी बिछावन पर निढ़ाल सी बैठ जाती है।  क्या हो गया उसे.. एक जगह मन ठहरता ही नहीं है.. हमेशा अतीत में भटकने की आदत सी हो गई है मुझे…सुचित्रा सोचती … Read more

चरित्र से समझौता – कमलेश राणा

निधि एक छोटे से कमरे में लेटी हुई है, दो दिन से कुछ खाया भी नहीं है,, शरीर में इतनी भी ताकत नहीं है कि बाहर जाकर कुछ ले आये और सच तो यह भी है कि गांठ में पैसे भी नहीं हैं,, ऐसे में माँ, पापा, भाई, बहन सारा परिवार बहुत याद आ रहा … Read more

वो कौन था प्रीति?? – गरिमा जैन 

यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है अंकुर बेटा मैं तेरे लिए एक से एक लड़कियों की तस्वीरें लेकर आई हूं । यह देख यह  मालती है ।इसकी आंखें कितनी सुंदर है और यह या चंदा है इसके बाल कितने लंबे और सुनहरे हैं । “मां मैं तुमसे कितनी बार कह चुका हूं मैं … Read more

चाहत आँखों की – विजया डालमिया

…..”अर्थ ,मैंने कितनी बार कहा तुमसे, मेरा पीछा मत करो। मैं तुमसे प्यार नहीं करती”। जैसे ही आलिया ने यह बात कही अनु नींद से जाग गई। उसने देखा आलिया नींद में बार-बार यही बात कह रही थी ।अनु ने जैसे ही उसके सर पर हाथ रखा वह चौंक कर जाग उठी। पसीने से तरबतर … Read more

सांझ की बेला पंछी अकेला – सुषमा यादव

,, एक मूलमंत्र मैंने पा लिया है, नज़रिया बदलो तो नज़ारे बदल जायेंगे, चारों तरफ़ खुशनुमा माहौल नजर आयेंगे,, जहां हमारे भीतर कहीं खो जाने का डर है, वहां हम अपने साहस और उम्मीद को बनाये रखेंगे,,, बड़ी बेटी रीना जब छः साल की थी,तब से उसके पापा राम उसे बोर्डिंग स्कूल में डालने की … Read more

किस्मत का अनोखा खेल – डॉ. पारुल अग्रवाल

नन्ही सी फ्रॉक पहनकर घूमने वाली कृति,आज दुल्हन के लिबास में सजी धजी ऐसे लग रही थी कि जैसे कोई अप्सरा उतर आई हो। संध्या की तो जैसे जान बसती थी उसमें, विदाई के समय मां-बेटी का एक दूसरे से अलग होते हुए बुरा हाल था। पर कहते हैं ना कि ये विदाई ऐसी विदाई … Read more

मेरा नाम ही मेरी पहचान है – संगीता अग्रवाल

सुरीली हां यही नाम था उसका बिल्कुल उसके नाम के अनुरूप कितनी सुरीली आवाज थी उसकी जो कानों में रस घोलती थी। गांव में भले रहती थी सुरीली पर दसवीं जमात पढ़ी थी तो समझदार भी थी। “मेरी सुरीली अगर किसी मुर्दे के कान में भी बोल दे तो उसमे भी जान आ जाए!”बाबा अक्सर … Read more

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