खुशी – सुधा शर्मा

 शाम के साथ ही जैसे डूबते सूरज के साथ ही मन भी डूबने लगा था , रात की गहराती स्याही उतरने लगती थी चेतना में ।बरामदे में गौरी पिछले कुछ समय में घटी घटनाओं की त्रासदी में डूबने लगी थी।         कितना प्यारा भरा पूरा परिवार ।बेटा , बहू, सात वर्ष की चहचहाती पोती।बेटा कनाडा में … Read more

सुमि – सुधा शर्मा

‘सुमि’,इतने मधुर स्वर में कहा किसी ने कि हवाओं में रस भर गया । सुमि रसोईघर से बाहर आई।’क्या कर रहीं थीं? भूल गयीं? आज मेरी छुट्टी है हमें बाहर चलना है लंच के लिए । आज सारा दिन  हम सब साथ बितायेगे । चलो , अनु  को तैयार होने  को कह कर आया हूँ … Read more

सुनो न: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

—– सुनो न, हाँ तुमसे ही बोल रहा हूँ, सुनो न! क्या? बोलो न, सुन रही हूँ। वो मैं बोल रहा था न! क्या? याद आती है मेरी? बुद्धु, ये भी पुछने वाली बात है क्या? हाँ, जब बोलती हो न, तब दिल ज़ोर से धड़कने लगता है। कुछ भी। नहीं, सच में। तो सुनो, … Read more

 प्यार में बदल गया  बिजनेसमैन –  निशू गर्ग

 एक बार एक मानसी नाम की लड़की होती है वह बहुत चुलबुली और हंसमुख थी उसे सिर्फ दो ही सबसे ज्यादा शौक थे पहला – बहुत ज्यादा हंसने बोलने का और दूसरा – लड़कों के साथ दोस्ती करने का  पर उसने लड़कों के साथ तो दोस्ती कभी नहीं की यह सोचकर की कभी उसकी फैमिली … Read more

सांझे सुख दुःख – सुनीता मिश्रा

पिता की तेरहवीं होने के कुछ दिन पश्चात् निखिल नें सावित्री से कहा “माँ मेरी छुट्टियाँ खत्म हो रहीं हैं। इस मंडे को मुझे ऑफिस ज्वाइन करना है। मैं चाहता हूँ आप हमारे साथ चलें। दो दिन का समय है, आप तैयारी कर लें।” सावित्री कुछ देर चुप रहीं, फिर एक गहरी साँस लेकर बोलीं … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे – के . कामेश्वरी

पूजा गाना गुनगुनाते हुए घर में कदम रखती है । अपनी ही धुन में थी जैसे ही बैठक में उसने कदम रखा देखा कुछ नए लोग बैठे हुए हैं । उन्हें देख कर नमस्ते करती है और अपने कमरे की तरफ़ चली जाती है । उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर ये … Read more

सुहागन – अनुज सारस्वत

“मां जी मैं मार्केट जा रही हूं शॉपिंग के लिए अब समय ही कहां बचा है शादी के लिए 2 महीने ही तो रहे हैं इधर हमारे देवर जी इतने भोले हैं कि बिना भाभी के उनका काम नहीं होता” सुप्रिया ने अपनी सासू मां से कहा सासू मां बोली “बेटा तुझे मना किया ना … Read more

चाॅंद सी मेरी जिंदगी, – अनीता चेची

“ऐ चाॅंद मुझे पता है ,तू जीवन से जुड़ा है जैसे आते हैं जीवन में उतार-चढ़ाव वैसे ही तू घटता बढ़ता है कभी पूर्णिमा में खिलता है कभी अमावस में खो जाता है कभी धरा संग प्रीत लगाता कभी भानु से चमकता है।” पूर्णमासी के खिले हुए चाॅंद को देखते हुए नीलिमा उसमें अपना जीवन … Read more

अंधविश्वास – ममता गंगवार

मैं एक शिक्षिका हूं .एक बेसिक स्कूल में पढ़ाती हूं.मैं कक्षा छह में एक दिन विज्ञान पढ़ा रही थी.पढ़ाते -पढ़ाते मैं बच्चों को अंधविश्वास की हानियों से परिचित कराने लगी.इसी क्रम में मैं समझाने लगी कि कुछ औरतें यह दावा करती हैं कि उन पर देवी आती हैं. यह गलत है. वह देवी के नाम … Read more

 सोशल मीडिया का लुभावना संसार – किरण केशरे 

जिधर देखो उधर ज्ञान ही ज्ञान पसरा हुआ है, क्या व्हाट्सएप और क्या फेसबुक,,क्या इंस्टाग्राम और क्या ट्विटर ,,, हे ईश्वर! भला हो इन एप्स बनाने वालों का, नही तो मुझे अल्प बुद्धि जीव को इतनी महत्वपूर्ण और अनमोल जानकारियाँ कहाँ से मिलती ?  कौन कब जन्मा  ? कौन कब सिधारा ! नाना प्रकार के … Read more

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