अपने पराये की समझ ज़रूरत पड़ने पर ही होती है – के कामेश्वरी 

घनश्याम जी कोरबा के एक स्कूल में गणित के शिक्षक थे । पत्नी सुकन्या और तीन बच्चों के साथवहाँ वे सालों से रह रहे थे । उनकी दो बेटियाँ थीं और एक बेटा था ।बड़ी बेटी सरोजा,दूसरी बेटी सरलाऔर बेटा सुबोध । घनश्याम जी गणित बहुत अच्छा पढ़ाते थे । अभिभावकों की सोच यह थी … Read more

स्वयं की तलाश – डॉ. मधु आंधीवाल

पंखुरी खिड़की में खड़ी थी । आज घनघोर बारिश हो रही थी ।  उसके साथ ही उसके मन में भी  अंधेरी घटायें घिरी थी । सोच रही ऐसी ही तो बारिश की शाम थी । वह बस का इन्तजार कर रही थी । आज प्रेक्टीकल क्लास देर से छूटी । वह अकेली रह गयी उसकी … Read more

बेटी का त्याग –   डॉ अंजना गर्ग

रात के ग्यारह बजे फोन की घंटी बजी सुमन ने भागकर फोन उठाया उधर से भाई शेखर  बोल रहा था। शेखर ने धीरे से पूछा,” सुमन मां बाबूजी तो सो गए ना? “हा, हा क्या बात है?सुमन ने पूछा “इसीलिए मैं देर से फोन कर रहा हूं ताकि तेरे से बात अकेले में हो सके … Read more

नज़र – विनय कुमार मिश्रा

“अबे देख! क्या लग रही है” “हाँ यार! एकदम जबरदस्त माल है” चिड़ियाघर में, अपने तीन साल के बच्चे के साथ घूम रही, एक गांव की खूबसूरत लड़की को दिखा, वो पांच-सात कॉलेज के लड़के यही बातें कर रहे थे। वो उस खूबसूरत, अकेली देहाती लड़की के पीछे हो लिए। लड़की अपने बच्चे को कभी … Read more

 छोटा – विनय कुमार मिश्रा

आम के पेड़ के ही थोड़े बगल में अमरूद का पेड़ है। ये अमरूद का पेड़ हमने बाद में लगाया था।ऐसा लगता है ये अमरूद कभी बड़ा नहीं हो पायेगा। आम का वृक्ष अपने मजबूत और बड़े होने के कारण इसे चारो तरफ से घेर रखा है। ये अमरूद का पेड़ आम की वजह से … Read more

वुमन इन डेंजर’ – प्रियंका सक्सेना

सेमेस्टर ब्रेक होते ही सभी छात्र-छात्राएं घर जाने के लिए बसों से निकल पड़े। आस्था के साथ उसके दो सहपाठी भी थे।  डेढ़ घंटे बाद उन दोनों का गंतव्य आ गया।  वे बस से  उतर गए। आस्था‌ के लिए आगे का तीन  घंटे का सफर काटना कोई  मुश्किल नहीं था । सिर सीट से टिकाकार … Read more

मृत्यु भोज,, बहिष्कार अथवा स्वीकार,, – सुषमा यादव

,,,हम अपने देश में बहुत सी परम्पराओं और संस्कारों, तथा प्रथाओं को ज़माने से निभाते आ रहे हैं,, इनमें से समय के साथ कुछ कुरीतियों और कुप्रथाओं में तब्दील हो चुकी हैं हमारे रीति रिवाज,,जो समय के साथ जरूरी भी है,,कब तक हम इन अंधविश्वासी बेड़ियों में जकड़े रहेंगे,, परिवर्तन होना ही चाहिए,, आज़ के … Read more

मैं माँ को धोखा नही दे सकता – मीना माहेश्वरी

 अमन का वर्मा जी के यहाँ बहुत आना _जाना था, और कई बार तो आंटी , वर्मा जी की पत्नी उसे वही रोक लेती | वो भी तो मना नही कर पाता, आखिर आंटी भी तो उसे अपने सगे बेटे जैसा मानती थी|नेहा वर्मा जी की बेटी और अमन बचपन से एकसाथ खेलेकूदेपढ़े लिखे, संगसंग … Read more

 जीवन में पति के साथ ही खुशी न ढूंढ पाई !!! – अमिता कुचया

आज मौसम भी खुशगवार हो गया काफी उमस के बाद मौसम में ठंडक आ चुकी थी।  उसने बालकनी से  देखा बाहर काफी लोग टहल रहे हैं ,उसका मन भी हुआ। वो भी टहले।पर पहले उसे लगा कि  घर के काम पहले जरुरी है।वो कर लें। फिर उसने  देखा उसके पति ने सुबह से चाय पी … Read more

बुखार का वो एक दिन – पिंकी नारंग

जरा मेरा मोबाइल उठा कर दे दो, कब से बज रहा है? एक हाथ से कमर पकड़ते हुए घुटी घुटी आवाज मे बिस्तर पर लेटे हुए वर्षा ने मोबाइल पर गेम खेलते हुए पति चन्दर से कहा |   जैसे ही वर्षा का मोबाइल बजना बंद हुआ पति की छठी कामचोर इंद्री जागृत हो कर पूछने … Read more

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