भिंडी के फूल – मंजू तिवारी

बात काफी पुरानी है। जब अमिता और नमिता एक मांटेसरी प्राइवेट स्कूल में पढ़ा करती थी उनका स्कूल फर्स्ट फ्लोर पर लगता था सारे बच्चे घर से टिफिन लेकर आया  करते थे लेकिन उसमें अधिकतर टिफिन के साथ पानी वाली बोतल नहीं लाते थे छात्र  छात्राओं की पानी पीने की व्यवस्था स्कूल के नीचे लगे … Read more

पर्यावरण और हम – राम मोहन गुप्त

शाश्वत संकल्प और अथक प्रयास से ही पर्यावरण संरक्षण संभव है हाल ही में हुई अमरनाथ धाम की त्रासदी, देश-विदेश में बाढ़ से तबाही, दरकते पहाड़, देश-दुनिया में पड़ रही भीषण गर्मी, सुलगते जंगल आदि अनेकों उदाहरण हैं जो कि सिध्द करते हैं कि प्रकृति से की गई छेड़छाड़ और संसाधनों के अंधाधुंध दोहन का … Read more

आर्कमिडीज का डूबता जहाज (नॉलेज)  – मंजू तिवारी

अपने वजन के घनत्व के बराबर जहाज पानी को हटा लेता है और समुद्र में तैरता रहता हैजबकि एक लोहे की कील उसी पानी में डूब जाती है इसे समझने में रमा को बहुत ही अच्छा लगता था वह सोचती चलो ज्यादा पढ़ना नहीं पड़ेगा समझने की चीजें उससे अच्छी लगती किसी चीज को समझना … Read more

कहीं कोई फाँस  चुभा है दिल में – कंचन श्रीवास्तव 

वर्षों बाद दहलीज के भीतर कदम रखते ही रेखा ने देखा सब अनमने से थे।ऐसा नहीं कि चाय नाश्ता ,खाना नहीं कराया सब कराया पर पहले जैसा उसके पहुंचने पर लोगों में उत्साह ,जोश और अपनापन नहीं मिला। खैर कोई नहीं, वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता,जब लोग बदलते है तो बात व्यवहार रहने सहन … Read more

सत्तू की कचौरी (#रेसिपी ) – कुमुद मोहन

सत्तू है तो सस्ता मगर हम सभी जानते हैं कि यह बहुत गुणकारी है, सत्तू जौ का भी होता है और चने का भी। फाइबर से भरपूर, इसमें आयरन, प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। गर्मी के मौसम में कहीं बाहर लू के थपेडों के बाद घर लौट कर थोड़ा सा सत्तू ले … Read more

गलती  चाहे किसी की-कुसूरवार बहू ही – कुमुद मोहन 

गीता  ने घड़ी देखी”हाय राम!सात बज गए?मम्मी पापा मार्निग वाॅक से आ गए होंगे कहकर उठने की कोशिश की तो रमन  ने उसे वापस खींच लिया कहते हुए “कोई लाम पे जाना है क्या ?आज संडे है थोड़ी देर और रूको ना?”मन तो गीता  का भी था सुबह-सुबह की मीठी नींद की बात ही कुछ … Read more

अपने जीवन साथी पर भरोसा रखना भी तो प्रेम ही है  – सोनिया कुशवाहा 

हे भगवान ना जाने क्या देख कर मैंंने इस आदमी से शादी की! मेरी तो ज़िन्दगी ही बर्बाद हो गई, जब देखो तब लडाई झगड़ा अपने अलावा किसी और की पड़ी ही नहीं है इनको। मैं भी पूरा दिन ऑफिस में दिमाग खपाती हूँ तब जाकर चार पैसे कमा पाती हूँ। फिर घर जाकर खाना … Read more

खोल दिया साहब – प्रेम बजाज

राशिद खान को जैसे ही स्ट्रेचर से उतारकर रखा उसके जिस्म में दर्द की लहर उठी, उसे लगा जैसे किसी ने उसके जिस्म की एक-एक हड्डी तोड़ दी हो।  हिलना-डुलना बहुत मुश्किल लग रहा था, फिर भी हिम्मत करके उसने उठने की कोशिश की तो किसी हाथ ने उसे पकड़ कर रोक दिया। एक आवाज़ … Read more

मुझे बचा लो माँ । – संगीता अग्रवाल 

” गौरव बहु को अच्छे से समझा देना कल के लिए और हां ये भी कि इस बात का जिक्र कही ना करे वो !” बेटे के घर आते ही कान्ति जी बोली। ” हां माँ आप फ़िक्र मत करो वो कल आपके साथ जाएगी !”  गौरव बोला। ” जाना ही होगा बरखुदार कोई और … Read more

अपूर्व बंधन – संध्या पंडित

            सुबह के ठीक पांच बजकर तीस मिनट पर अलार्म की संगीतमय धुन से मुक्ता जी की नींद टूटी । उनींदी आँखो  से उन्होंने साइड टेबल पर रखा मोबाइल उठाकर ,अलार्म बंद कर, खिड़की के शीशे पर नज़र डाली। रातभर हुई झमाझम बारिश से हवाओं मे नमी थी। शीतल ठंडक का एहसास पाकर एक पल … Read more

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