वह एक पल – विजया डालमिया

आकाश से मेरी मुलाकात एक कवि सम्मेलन में हुई थी ।हर कविता पर उसका सटीक वाहवाही करना, बरबस ही मेरा ध्यान उसकी तरफ आकर्षित कर गया ।मेरी निगाहें उसकी तरफ उठी और मैं अचंभित रह गई। गोरा चिट्टा ,लंबा पूरा, घुंघराले बाल। होंठ ऐसे जैसे जन्मजात लिपस्टिक लगी हो ।आँखों में वो आकर्षण जो किसी … Read more

मम्मी का मौन – दर्शना जैन

प्रत्युश ने आवाज लगाकर रेखा से पूछा, मम्मी, सुई धागे का डिब्बा कहाँ रखा है? रेखा किचन में थी, वहीं से बोली,” मेरी अलमारी में है, क्यों चाहिये?” प्रत्युश ने कारण नहीं बताया और डिब्बा लेने चला गया।   जवाब न मिलने पर रेखा आयी, प्रत्युश भी डिब्बा लेकर आ गया। रेखा ने कहा कि तुमनें … Read more

दृष्टिकोण – मधु मिश्रा

पिछली नवरात्रि में निधि अपने भैया के यहाँ थी l दोपहर का समय था, गेट में कुछ बच्चों की आवाज़ सुनकर वो भी भाभी के साथ बाहर निकली तो उसने देखा-कुछ लड़कियाँ बाहर खड़ी थी, उनमे से एक ने भाभी को देखते ही कहा-” अंटी… कुँवारी कब खिलाओगी ? कब आयेंगे हम लोग..? ” तो … Read more

मानवता जिंदा है – नेकराम

साड़ी वाला,,,  साड़ी ले लो रंग ,,, रंग बिरंगी सुंदर सुंदर साड़ी ले लो,,,आ गया हूं आपके मोहल्ले में आप की गली में लेकर चलती फिरती साड़ियों की दुकान – विमला रसोई घर में खाना पका रही थी रंग बिरंगी साड़ी का नाम जब कानों में गूंज  ,,तो ,, रहा नहीं गया मन करने लगा … Read more

पेट – विनय कुमार मिश्रा

दुकान बंद करने का समय हो आया था। तभी दो औरतें और आ गईं “भैया साड़ियां दिखा देना कॉटन की, चुनरी प्रिंट में”  आज मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है।आज पाँच महीने हो गए हैं, अपनी ये छोटी सी दुकान खोले। आज से पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। आज सुबह से दस पंद्रह कस्टमर आ … Read more

देवदूत – कमलेश राणा

वो दिन जब भी याद आता है, सिहर जाती हूँ मैं,, उन दिनों मेरा ट्रीटमेंट दिल्ली में चल रहा था और मुझे गोविंदपुरी से रोहिणी जाना पड़ता था,, हम मेट्रो से जाया करते थे,,  उस दिन बेटा आकाश और मैं मेट्रो स्टेशन पहुंचे तो भीड़ बहुत ज्यादा थी,, मेट्रो में एक बहुत अच्छी बात देखी … Read more

 “रिश्तों में सन्देह ठीक नहीं”  -अनु अग्रवाल

“रिश्तों के बीच विश्वास का एक पतला धागा होता है”…..तुम्हें इतनी छोटी सी बात समझ में क्यों नहीं आती? रोज़ नये नये पैंतरे अपनाती हो उसे परखने के लिए….ये अपनी बहु पर शक करने की आदत कब छोड़ेंगी आप?- दीनदयाल जी ने अपनी धर्मपत्नी प्रेमा जी से कहा। प्रेमा जी- “अरे कैसी बातें कर रहे … Read more

उम्मीद – माता प्रसाद दुबे

बारिश थम चुकी थी..रामू बहुत खुश था..”अरे मुन्नी बिटिया!बीज वाला थैला लेकर जल्दी आओ?”रामू ने अपनी छोटी बेटी मुन्नी को आवाज दी।”अभी लाती हूं बाबू! मुन्नी बीज वाला थैला रामू के हाथ में थमाते हुए बोली।”बाबू मुझे भी ले चलो अपने साथ?”मुन्नी उछलते हुए बोली।”अच्छा चल बिटिया! रामू मुन्नी को साथ लेकर अपने खेत की … Read more

“ममता की छाँव” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

 बहुत सालों बाद भतीजे की शादी में वह गांव आई थी। माँ बाबूजी के गुजरने के बाद आने का कोई प्रयोजन ही नहीं था । ऐसा नहीं है कि भाई भाभी ने बुलाया नहीं था। पर इच्छा ही नहीं होती थी या यूं कहें कि बिन माँ का मायका कैसा !  जैसे बिना खुशी का … Read more

बुजुर्ग भी प्यार के हकदार हैं  – कृष्णा विवेक

बड़ा से आँगन के बीच में तुलसी जी  बड़े से गमले में शोभायमान हो रहीं हैं,  दीवार से लगी चारपाई पर कमला देवी जी बैठी है उम्रदराज लगती हैं। चूल्हे पर बन रही खीर की महक पूरे घर में मिठास फैला रहीं हैं, इतने में कमला जी का पोता (रमन) फोन ले के भागता हुआ … Read more

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