बेटियों के सुखो का त्याग लेता समाज – मंजू तिवारी

अभी हाल में ही रक्षाबंधन के मौके पर प्रेरणा का अपने मायके जाना हुआ वह कभी भी रक्षाबंधन पर अपने मायके नहीं जाती थी क्योंकि वह दो बहने है। घर में कोई भाई नहीं है। आना-जाना रक्षाबंधन पर पर उसके लिए कोई विशेष महत्व नहीं रखता है। इस बार न जाने क्यों पापा के बहुत … Read more

अनदेखा अनोखा अनमोल त्याग –  नीतिका गुप्ता 

निशा; बारात बस आने ही वाली होगी…. ले यह जीजी के कंगन….. जीजी हमेशा कहती थीं ,”यह कंगन तो बस मैं मेरी निशा को ही दूंगी”…ले संभाल जीजी की अमानत…. अपने लहंगे के दुपट्टे से वह अपनी आंखों के कोर को साफ कर रही थीं। उफ मौसी; अगर तुमने यह रोना-धोना मचाया ना…. मैं नहीं … Read more

उम्र का आखिरी पड़ाव – राजीव रावत : Short Moral Stories in hindi

Short Moral Stories in Hindi : नंदिता बिटिया की विदा होने के बाद धीरे धीरे सभी मेहमान एक एक करके चले गये थे। तीनों बेटे भी अपने अपने परिवार केसाथ अपनी अपनी जगह चले गये थे। बस उस सूने घर में रवि और अल्का ही रह गये थे। अलका चुपचाप उदास बैठी थी तभी रवि … Read more

पिता का उपहार – बेला पुनीवाला

    एक दिन  राधिका के लिए बहुत अच्छा रिश्ता आया था, इसलिए राधिका के मना करने के बावजूद भी उसके पापा ने उसकी शादी तय कर दी। राधिका ने अपने पापा को कहा,  राधिका : अभी तो मेरा b.com भी कम्पलीट नहीं हुआ, कॉलेज का आख़री साल ही चल रहा है, सिर्फ़ 6 महीने ही बाकि … Read more

अज्ञात लेखिका – कविता भड़ाना

छोटी छोटी कहानियां लिखने वाली मैं एक अदना सी लेखिका हूं। पर आजकल जो भी लिखती हूं, वो ना जाने क्यों सच हो जाता है। अब तो अपने ही लेखन से डर सा लगने लगा है, कौन सी ऐसी शक्ति है जो जबरदस्ती अपनी मनमर्ज़ी का लिखाने लगती है मुझ से, अभी कुछ देर पहले … Read more

मैं का त्याग – गुरविंदर टूटेजा

गौरव ने बताया कि जेठ जी अपने परिवार के साथ आ रहें है तो निधी टेन्शन में आ गयी…साल में एक बार वो आतें ही हैं मम्मीजी से मिलनें…जेठ जी की नौकरी बहुत अच्छी थी तो जेठानी जी जब भी आती तो उनके नखरें अलग ही होते थे….ये चद्दर ऐसी क्यूँ है…आ रो का पानी … Read more

अनंत यात्रा – उमा वर्मा

मै जा रहा हूँ ।तुम मेरे पास नहीं हो,शरीर ठंढा पड़ता जा रहा है ।बहुत कुछ कहना चाहता हूँ, पर कौन सुनेगा अब ? वक्त ही नहीं है मेरे पास ।गहरा अंधेरा, परम शान्ति महसूस कर रहा हूँ ।तुम को ही याद कर रहा हूँ ।कल रात से ही तबियत ठीक नहीं है सीने में … Read more

अमीरी – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू

महंगे महंगे कपड़े पहन लेने से कोई धनवान नहीं बनता कहते हुए रीना ने अपनी बेटी सन्नो को गले से लगा लिया।मेरी बच्ची ऐसा क्यों सोचती है।नहीं नहीं ऐसा मत सोच गर ऐसा सोचेगी तो यूं कुछ नहीं कर पाएगी और तुझे तो अभी बहुत आगे जाना है ना, गर ऐसे सोचेगी तो मेरी सारी … Read more

शह और मात – कीर्ति रश्मि

  हमेशा की तरह आज भी छोटी बहू आभा की साड़ी का सेट ब्लाऊज़ गायब था। उसे कल सुबह तड़के ही घर से अपने गंतव्य की ओर निकल जाना था । वह डिनर के बाद पैकिंग में जुट गई… पर ये क्या उसकी सबसे कीमती साड़ी का ब्लाऊज़ ही नहीं मिल रहा था ।     ये तो … Read more

एक औरत का माँ बनने  का सफर  – मीनाक्षी सिंह

मीता एक बहुत ही अल्हड़ सी मस्त मौला मिजाज की लड़की थी ! दर्द ,परेशानी ,समस्या क्या होती हैं ,जानती ही नहीं थी ! उसकी पढ़ाई पूरी होते ही परिवार वाले उसके लिए योग्य वर की तलाश करने लगे ! मीता को घरेलु कार्य  भी ठीक से नहीं आते थे ! रोहन को उसके लिए … Read more

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