पुनर्प्रतिष्ठा – दीप्ति मित्तल

बच्चों को स्कूल बस में बैठाकर वापस आ शालू खिन्न मन से टैरेस पर जाकर बैठ गई. सुहावना मौसम, हल्के बादल और पक्षियों का मधुर गान कुछ भी उसके मन को वह सुकून नहीं दे पा रहे थे, जो वो अपने पिछले शहर के घर में छोड़ आई थी. शालू की इधर-उधर दौड़ती सरसरी नज़रें … Read more

“ईर्ष्या बनी औजार” –   सीमा वर्मा

अंधेरी रात। साढ़े आठ के करीब बिहार प्रांत के किसी शहर के पास किसी कस्बे में जहाँ शाम में ही रात का सन्नाटा पसर जाता है। आवाज आ रही है एक सफेद रंग से पुते चार कमरों वाले घर से। घर की दो बहुएँ हैं हीरा और नीरा जो आपस में सगी बहनें भी हैं। … Read more

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