एक मजबूत डोर-दोस्ती – तृप्ति शर्मा
अलमारी के सामने खड़ी पाखी हैंगर में टंगी साड़ियों को देख रही थी। ये वहीं साड़ीयां थी जो उसकी मां ने उसके लिए अपने आशीर्वाद और स्नेह के साथ इकट्ठी की थी। तभी मोहित की नजर पाखी पर पड़ी, “हां देखती ही रहा कर, पहन लेगी तो 5 गज की साड़ी 2 गज की ना … Read more