अधूरी_दोस्ती – गुरविंदर टूटेजा

गरिमा व अनुराधा बहुत गहरी दोस्त थी…गरिमा अपने घर में पापा-मम्मी व दोनों भाईयों की लाडली थी जो वो मुँह से निकालती वो हाज़िर हो जाता था  उससे उल्ट अनुराधा के पापा-मम्मी नहीं थे व भाई-बहन भी नहीं था तो चाचा-चाची के पास रहती थी व अपने दिल की हर बात वो गरिमा से ही … Read more

मीठे रिश्ते – नम्रता सरन “सोना”

“बेटा, आज तुम्हें चौका छुलाई की रस्म करनी है, मैंने और महाराज ने बाकी सब खाना बना लिया है बस तुम्हें मीठे केसरिया चावल बनाने है ,शगुन के तौर पर” नवेली बहू से रागिनी ने कहा। “जी मम्मीजी” सलोनी धीमे से बोली। “आते हैं न बेटा” होस्टल मे पढ़ी सलोनी से रागिनी ने संशयपूर्ण स्वर … Read more

 काई –  दिव्या शर्मा | Hindi Kahaniya

“कहाँ  खोई हो अपेक्षा?” “इन तितलियों में।”गार्डन में फूलों पर मंडराती तितलियों की ओर इशारा कर अपेक्षा ने जवाब दिया। “बहुत सुंदर हैं।”श्रुति ने तितलियों को निहारते हुए कहा। “यह कितनी स्वतंत्र है ना!बेखौफ उन्मुक्त और खिलखिलाती।”अपेक्षा ने कहा। “हाँ….बिल्कुल हम स्त्रियों की तरह ना!” “स्त्रियों की तरह!!क्या बोल रही हो श्रुति! स्त्रियों के लिए … Read more

लड़का – लड़की दोस्त नहीं हो सकते – रिंकी श्रीवास्तव

नमिता  घर का सामान लाने के लिए बाजार गयी थी,घर लौटी तो शाम के सात बज गये थे| घर मे घुसी तो देखा उसके पति राकेश आफिस से आ गये थे ,उसने कहा अरे आज आप जल्दी आ गये ,रोज तो आप नौ बजे तक आते हैं | राकेश ने कोई जवाब नही दिया  | … Read more

कड़वे बोल जो बदले सोच – संगीता त्रिपाठी

 बचपन में तो हर दोस्त न्यारा लगता था, जो खेलने को मिल जाये वही पक्का दोस्त। बचपन में कृष्ण -सुदामा की दोस्ती पढ़ी थी। मन के अंदर कुछ ऐसा ही करने का जज्बा जोर मारने लगा था, पर जज्बे से क्या होता। हम भी छोटे थे दोस्त भी छोटे थे।बड़े हुये तो दोस्ती की परिभाषा … Read more

कहां ऐसा यारना – कमलेश राणा 

  सहकारी कृषि पर दुनिया भर के लेख लिखे जा रहे हैं,,कोर्स में भी पढ़ाया जाता है पर असल के धरातल पर अभी यह कोसों दूर है,,   पर आज से 45 साल पहले मैने अपने गाँव में इसका सुन्दर रूप देखा ही नहीं बल्कि मैं खुद इसका हिस्सा भी बनी और इसके आनंद को … Read more

 ” दोस्ती _यारी हो तो ऐसी ” –   रणजीत सिंह भाटिया 

” अरे बेटा राजू.. जा तीन चाय तो तो बोल कर आ और हाँ.. आज जो  बिस्किट बनाए हैं वह भी लेता आ…. ” रेहमत चाचा अपने नौकर राजू से कह रहे थे l उनका पड़ोसी और दोस्त धनीराम भी पास ही में बैठा था l और तीसरे दोस्त मंगल राम को आते देख कर … Read more

 माँ का दूध अमृत है ‘ –  विभा गुप्ता 

  दिव्या की प्रेग्नेंसी का सातवाँ माह लग चुका था।आठवें माह में ट्रेवलिंग करना रिस्क है,यही सोचकर उसकी माँ ने उसे सातवें माह के अंत में ही अपने पास बुलवा लिया था।वैसे तो कोई काॅम्प्लीकेशन नहीं था,सब कुछ नाॅर्मल था लेकिन यह उसकी पहली प्रेग्नेंसी थी, इसलिए कभी नये मेहमान के केयरिंग को लेकर तो कभी … Read more

“जो साथ निभाए वह है दोस्त” – ऋतु अग्रवाल 

“सुनो जी! यह प्रभाकर भैया तो आपके साथ ही नौकरी करते हैं। फिर इनके और हमारे जीवन स्तर में इतना अंतर, मुझे समझ नहीं आता। इनके पास हमारी ही तरह कोई पुश्तैनी जमीन जायदाद भी नहीं है।” आभा ने चाय का कप विवेक को पकड़ते हुए कहा।    “हाँ! पहले मैं भी यही सोचता था पर … Read more

अध्यापक-  -देवेंद्र कुमार

रामेश्वर कभी खाली बस में नहीं चढ़ता। वह हमेशा उस बस में चढ़ता है, जिसमें यात्री ठसाठस भरे होते हैं। कोई उससे इसका कारण जानना चाहे तो वह हँसकर रह जाएगा। जवाब उसकी आंखें दे रही होंगी, ‘क्या किया जाए अपना धंधा ही ऐसा है।’ बस में रामेश्वर की आंखें उस काली टोपी वाले की … Read more

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