ये बंधन तो प्यार का बंधन हैं – मीनाक्षी सिंह

मेरा नाम मीनाक्षी ! मेरे पति य़ा कहूँ मेरा सबसे सच्चा दोस्त ! हमारा विवाह जब तय हुआ तो ना इन्होने मुझे देखा ना मैने इन्हे ! क्यूंकी मेरे बी .एड के पेपर चल रहे थे ! और ये मेरे परिवार के देखे हुए थे ! तो देखने की औपचारिकता किसी ने नहीं निभायी ! … Read more

अपने बच्चे को ध्रुव मत बनने दीजिये – संगीता अग्रवाल

आधी रात को नंदिता की नींद खुली तो उसे प्यास का अनुभव हुआ जैसे ही पानी पीने को उठी देखा जग तो खाली है एक बार तो मन किया यूँही सो जाये वापिस से पर प्यास जोर से लगी थी मजबूरी मे वो जग उठा रसोई की तरफ चल दी ।बेटे ध्रुव के कमरे के … Read more

कच्चे धागे से बुने रिश्ते – संजय मृदुल

सुनो अखिल! अब तुम्हें यहां आने की जरूरत नहीं। तुम्हारे पापा है मुझे सम्हालने के लिए। जब जरूरत थी तब तुम्हे नहीं लगा कि यहां होना चाहिए तुम्हें, तो रोज यूँ आकर दिखावा मत करो। अखिल ने कुछ कहना चाहा पर माँ ने चादर ओढ़ कर करवट बदल ली। अखिल चुपचाप बाहर आ गया। पिछले … Read more

 “मन की पीड़ा ” – गोमती सिंह

——-पुष्पा बचपन से ही गुमसुम सी चुपचाप स्वभाव की लड़की थी , वह एक संयुक्त परिवार में रहती थी , अतः घर में  रिश्ते दारों का आना जाना लगा रहता था  इसके बावजूद घर में कौन आ रहे हैं, कौन जा रहे हैं इन सब  गतिविधियों में उसकी जरा सी भी रूचि नहीं थी । … Read more

ना जाने उसकी ज़िंदगी इतनी सी क्यों लिखी… रश्मि प्रकाश

प्रिया करीब पांच साल की थी, जब हम इस शहर में आए थे। हमारे तबादले की वजह से हमें हमेशा नई जगह और नए लोगों से रूबरू होने का मौका मिलता रहा… कितने लोगों से मिल कर ऐसा बँधन बँध जाता कि वो बस अपने से ही लगने लगते…. बिना किसी रक्त संबंध के वो … Read more

बंधन – नेकराम

बात सन 1985 की है जब मैं 5 वर्ष का था यह कहानी आज से 37 वर्ष पुरानी है आज मेरी उम्र 42 वर्ष 11 दिन 10 घंटे 9 मिनट 7 सेकंड हो चुकी है दिल्ली की एक छोटी सी पुनर्वास कालोनी में हमारा एक छोटा सा कच्चा सा मकान था बरसात के दिनों में … Read more

भावनाओं का बंधन – विनोद प्रसाद : Emotional Hindi Stories

बाजार से घर लौटते ही माँ ने राधा को एक लिफाफा दिया जो थोड़ी देर पहले ही डाक से प्राप्त हुआ था। लिफाफा खोलकर पढ़ते ही वह खुशी से उछल पड़ी और माँ के सीने से लग गई। “माँ, मेरी नौकरी लग गई। तुम्हें याद है पिछले महीने मैंने जो इंटरव्यू दिया था, उसमें मुझे … Read more

चरण – अनुज सारस्वत

“विदुषी डोंट टच हिम ही इज डर्टी स्माल पीपुल “ कस्बे में अपनी माँ के यहाँ आयी ज्योति ने अपनी 8 साल की बेटी से कहा। क्योन्कि वह एक सफाई वाले से बात कर रही थी। विदुषी बोली “पर मम्मा हिज स्माइल इज सो क्यूट।एंड व्हाट इज द प्रॉब्लम?” ज्योति झल्लाकर बोली “डोंट आरगयु विद … Read more

मोतीचूर के लड्डू प्रियंका के रसोड़े से 

मोतीचूर का शाब्दिक अर्थ होता है मोती चूर कर पड़े हुए। मोतीचूर के लड्डू बनाने में वास्तव में ही महीन बूंदी रूपी मोतियों को बांधकर लड्डू बनाये जाते हैं। मोतीचूर के लड्डू महीन बूंदी से बनी  बहुत ही स्वादिष्ट मिठाई है। मोतीचूर एक प्रकार का मीठा पकवान है जो बेसन की छोटी छोटी बूँदियों को … Read more

फैसला – चेतना अग्रवाल

“मैं खुद के लिए क्यों आगे नहीं बढ़ सकती। क्या सारी जिंदगी मैं उसी गम में जीती रहूँगी। क्या मुझे कोई अधिकार नहीं है अपनी खुशियों को जीने का… आखिर कब तक मैं परिवार और सबकी जिम्मेदारियों में बँधी रहूँगी। आखिर मुझे भी अपने हिस्से की आजादी चाहिए।  जिससे मैं जो चाहे वो कर सकूँ। … Read more

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