बेटी – शबनम सागर

ननद भाभी की खूब बनती थी।एक दूसरे से राय लेना, सबके साथ निभाना ,ऊंचा नीचा वक़्त आने पर एक दूसरे की सहायता करना,मनोबल बढ़ाना मन से जुड़ी थी दोनों। एक बार ननद जब पीहर आई, तो दोनों ने खूब मस्ती की,बच्चे भी खुश थे बहुत।रोज कहीं आना जाना, खाना पीना सब बढ़िया रहा। एक दिन … Read more

सात फेरों का बंधन – संगीता त्रिपाठी

 गेट खुलने की आवाज से, बेचैनी से चक्कर काटती सावि, झट से दरवाजा खोल कर रधिया पर बरसने वाली थी,पर उसकी भेष -भूषा देख निःशब्द हो गई। तेल लगा कर संवारे गये रूखे केश,, मांग के बीच सिंदूर की लाल रेखा, माथे पर बड़ी सी बिंदी और साफ -सुथरी साड़ी पहनी रधिया रोज से कुछ … Read more

“बंधन” – भावना ठाकर ‘भावु’

शादी का शोर थम गया मानसी ने  ससुराल की दहलीज़ पर कदम रखा ही था की सास, जेठानी और ननंद ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए। एक तो ससुराल कैसा होता है उसका मिश्र वर्णन मायके में अलग-अलग मुँह से सुन लिया था तो थोड़ी डरी हुई थी मानसी। पर मायके का दामन छोड़ … Read more

रिश्तों के बंधन – सरला मेहता

आकर्षक व्यक्तित्व की धनी सुष्मिता जी परमार, अनाथालय-अधीक्षिका नियुक्त हुईं हैं। पहली बार इतनी जिम्मेदारी का कार्य  करना है। वे झिझकती हुई कार्यालय आती हैं। वहाँ शहीदों की तस्वीरें देख उन्हें अपने कर्नल परमार सा याद आ गए। वह काला दिन आज तक नहीं भूल पाई हैं…सरहद पर तैनाती के दौरान वो ऐसे लापता हुए … Read more

कर्तव्य क्षेत्र – लतिका श्रीवास्तव

वो अवाक खड़ी थी जैसे कोई बेजान मूर्ति हो…। मैंने गुरु दीक्षा ले ली है आज….उन्होंने मुझसे कहा। तो..! मेरा मन  जिज्ञासा जाहिर करने ही वाला था कि जवाब आ गया..”इसलिए आज ये मेरा अंतिम दिन है इस घर में ….गुरु जी के ही आश्रम में आश्रय ढूंढ लिया है मैंने… अब मृत्यू पर्यंत समाज … Read more

कैसे इश्क कर लूं? – प्रेम बजाज

मधु (अचल से )- “तुम लड़कियों से इतना दूर क्यों भागते हो•••••? किसी की तरफ़ नज़र उठाकर देखो तो सही कितने खूबसूरत नज़ारे हैं आस-पास। मैं तो कहती हूं अचल तुम भी कर ही डालो इश्क़।  अचल तल्ख लहजे में (मधु से)– “कर गुज़रने के लिए बहुत सी चीजें हैं दुनिया में, इश्क़ करना ज़रूरी … Read more

दादी के परांठे – नीरजा कृष्णा

आज राजकुमार उर्फ़ राजू को फाइवस्टार होटल में डिनर का न्योता मिला है। उसे तो अपने भाग्य पर भरोसा ही नहीं हो पा रहा था। उसका उतावलापन देख कर घर में सब हँस रहे थे। मम्मी उसकी सबसे अच्छी शर्ट पर प्रैस करते हुए बोली, “इन बड़े होटलों के बस चोचले ही होते हैं। किसी … Read more

उन्मुक्त जीवन – सरगम भट्ट

सुबह के आठ बज रहे हैं , अभी तक चाय भी नहीं बनी है जबकि रोज पांच बजे ही बन जाता था ” नौ बजे ऑफिस , और कॉलेज जाने वाले तीनों बच्चे ( यानी कि सिम्मी के पति देव सुयश और नन्द रेनु (अट्ठारह ) देवर मानस ( बाइस ) “!! अभी तक सो … Read more

बालविवाह – आरती झा”आद्या”

आज गुलाबो विद्यालय नहीं आई थी.. सुपर्णा मैडम ने कक्षा में आते ही गौर किया। उड़ती उड़ती जो खबर उन्हें मिली है.. सच तो नहीं है। उन्होंने नजर घुमाया तो गुलाबो की कोई सहेली भी नहीं दिखी, जो वो कुछ पूछ सके ।कल तक तो गुलाबो स्कूल आई थी। आज अचानक कैसे.. परेशान सी सुपर्णा … Read more

“कल का इंतजार क्यों” –  तृप्ति उप्रेती

  “शिल्पी बेटा, आज माला से स्टोर की सफाई करवा लेना। त्योहार सिर पर हैं। रोज थोड़ा थोड़ा तैयारी करेंगे तो आसानी रहेगी।” सरिता जी अपनी बहू से बोलीं। शिल्पी जल्दी-जल्दी रसोई का काम निपटाने लगी ताकि माला के आते ही सफाई शुरू कर दें। वैसे तो घर पर कुल छह प्राणी है पर शिल्पी जैसे … Read more

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