एक और झूठा -पुष्पा कुमारी “पुष्प”

“अम्मा!.आपके बेटे ने मनीआर्डर भेजा है।” डाकिया बाबू ने अम्मा को देखते अपनी साईकिल रोक दी। अपने आंखों पर चढ़े चश्मे को उतार आंचल से साफ कर वापस पहनती अम्मा की बूढ़ी आंखों में अचानक एक चमक सी आ गई.. “बेटा!.पहले जरा बात करवा दो।” अम्मा ने उम्मीद भरी निगाहों से उसकी ओर देखा लेकिन … Read more

धौंस -पुष्पा कुमारी “पुष्प”

“बहू!.तुमसे एक बात कहनी थी।” “जी मम्मी जी!” अभी-अभी दफ्तर से लौटकर झटपट फ्रेश होकर रसोई में पहुंच सभी के लिए चाय बना रही सौम्या ने चूल्हे की आंच थोड़ी कम कर दी। “आज पड़ोस में रहने वाली मिसेज शर्मा हमारे घर आई थी।” धीमी आंच पर खौलते चाय को संभालती सौम्या ने हुंकार भरी.. … Read more

रिश्ता प्यार का – मंजीत कौर

श्रद्धा देवी और दीनानाथ के दो बेटे थे. उनकी शादी हो चुकी थी. बड़े बेटे को औलाद का सुख मिल गया था, मगर छोटे बेटे अरुण का आंगन अभी सूना था | अरुण और दीपिका दोनों की जोड़ी को जैसे भगवान ने अपने हाथों से बना कर भेजा था. दोनों एक दूसरे पर जान देते … Read more

सेरोगेट मदर – भगवती सक्सेना गौड़

डॉक्टर प्रतिभा के क्लिनिक में चपरासी और नर्स मिलकर एक महिला को पकड़कर अंदर ला रहे थे और वो जोर से चिल्ला रही थी, “ढूढों, ढूंढो कहीं से भी लाओ मेरी बेटी को।” प्रतिभा को  कुर्सी पर बिठाया, साथ मे एक सज्जन भी थे। ये मिस्टर बासु थे, बताया, “घर मे हमदोनो ही हैं, मैं … Read more

ख़ामोश प्यार – बेला पुनीवाला 

नीलिमा की शादी हुए २ महीने ही हुए थे, नीलिमा के पति निशांत जॉब करते थे, नीलिमा के ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे, शादी के बाद निशांत की जॉब पुणे लग गई, तो घरवालों ने नीलिमा को भी निशांत के साथ पूना भेज दिया। पूना में दो बैडरूम, हॉल, किचन का बड़ा सा फ्लैट … Read more

जिंदगी की मुस्कान – सीमा वर्मा 

आज अदीति और उनके पति जी सुधीर बेहद खुश हैं उनके इकलौते होनहार बेटे ‘  सौरव ‘  के विवाह का तीसरा दिन था । सारा घर नाते रिश्तेदारों से भरा हुआ है । अदीति ने आज  सत्य नारायण भगवान् की पूजा रखवाई है  जिसमें  उसकी  आस पड़ोस की कुछ सखी सहेलियाँ  भी निमंत्रित हैं । … Read more

रक्तदान-महादान  – सीमा वर्मा

कॉलेज की बार्षिक परीक्षा खत्म हो चुकी है। महीने के आखरी हफ्ते के शनिवार  की सुबह। दिसम्बर की सर्दियों में ‘शेफाली’ अभी बिस्तर में ही है। जब मोबाइल की घंटी बज उठी, शेफाली यह सोच कर कि, “कंही कोई आवश्यक फोन ना हो ? “ बहुत मुश्किल से लिहाफ से सिर निकाल  कर फोन उठाया। … Read more

घर रूपी पेड़ – डॉ संगीता गाँधी

जिस पेड़ पर बैठे हों, उस पेड़ को काटा नहीं करते।वही पेड़ आपकी जीवन दायनी शक्ति होता है।” सासु माँ के समझाये ये शब्द आज छोटी बहू को याद आ रहे थे। आज उसकी जिठानी यानी बड़ी बहू के मायके वाले आए थे।उन्होंने कहा:”हमारी बेटी सबसे ज्यादा तारीफ अपनी देवरानी की करती है. हमेशा कहती … Read more

उलझन सुलझ गई – अर्चना कोहली “अर्चि”

विवाह के बाद नम्रता पहली बार मायके रहने आई तो माँ की पारखी दृष्टि ने पहचान लिया कि वह कुछ परेशान -सी है। उसके दिमाग में ऊहापोह-सी चल रही है। नम्रता की हँसी में वह बात न थी जो विवाह से पहले थी। वह चुलबुलापन लुप्त था, जिससे यह घर रोशन रहता था। यह देखकर … Read more

राखी नहीं मिली  – गुरविंदर टूटेजा

 राखी के एक दिन पहले नीतू की रचना से बात हो रही थी तो…रचना  ने बोला दीदी राखी नहीं मिली और हँसतें हुये बोली राज बोल रहें थे कि कोरियर वालों की राखी तो समय से पहुँचनी चाहिए…!! राज ने फोन ले लिया और बोला दीदी जीजाजी ने भेजी या वही तो नहीं पड़ी है…!! … Read more

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