औरत – मनवीन कौर

——- “बेटी हो गई ? मुझे तो पहले ही पता था ।उड़ाने भर रही थी , इसके लच्छ्न तो पहले ही नज़र आ रहे थे ।सास बुदबुदा रही थी ।”पति ने लम्बी साँस भरी  और गाड़ी उठा कर चल दिया । सी सेक्शन होने के बाद वह बेहोशी की हालत में थी । होश आने … Read more

वचन – अंजू निगम

  “माई अब इत्ते में गुजर नहीं होती। आप कोई और देख लो काम करने के लिए।”रमेशी ने जब ऐसा बोला तो अम्मा को विश्वास न हुआ।  छुटपन से अंम्मा ही पाले थी इस रमेशी को।उसकी माई तो जनम देते बखत ही परलोक जा बसी थी।बस गनीमत इत्ती रही कि उसके बाऊ ने दूसरा ब्याह न … Read more

**विश्वास और घात***** –    बालेश्वर गुप्ता

 अंकल अंकल – – ये रही आपकी अदरक वाली चाय और साथ में भुजिया.     टीवी देखते देखते मैंने चौंक कर चाय का कप हाथ में लिया और घड़ी की ओर देखा, उसमे पूरे 4 बज रहे थे.         असल में अभी एक माह पूर्व ही हमारे यहाँ नई नौकरानी आयी थी, नाम था मनीषा. एक माह … Read more

परवरिश – रीटा मक्कड़

अनिता का मन आज सुबह से बहुत ज्यादा उदास था।सुबह से बिटिया की बहुत ज्यादा याद आ रही थी। जब भी उसकी पसंद का कुछ बनता या उसका कोई सामान देखती तो उसकी आंखें बरबस ही छलक जाती।  आज उसकी शादी को एक महीना हो गया था। दोपहर बारह बजे का समय था सोचा इस … Read more

ख्वाब – अनामिका मिश्रा

  मीनू और राज की तीन बेटियां हो गई थी। लड़के की चाह में तीन बेटियां हो गई थी। राज की कोई खास नौकरी भी नहीं थी।इधर उधर छोटे-मोटे काम किया करता था।  बेटियों की जिम्मेदारी मीनू के ससुर उठा रहे थे।  वो सहायता किया करते थे। धीरे धीरे बेटियां बड़ी होने लगीं। मीनू की … Read more

झाँसी की रानी – सरला मेहता

लक्ष्मी बाई पार्क के पास बसी झुग्गियों में ही मनु रहती है। वह मंदिर में प्रार्थना करती है, ” हे देवी माँ ! आज मैं बालिग हो गई हूँ। मुझे रिक्शा ड्राइवर का लाइसेंस मिल गया है। बीमार पापा का रिक्शा चलाकर भाई को फौज में भेजूँगी। शक्ति दो माँ। “ बस चल पड़ी मनु … Read more

गुल्लक – प्रमोद रंजन

आज फिर सिन्हा साहब के दोनों बच्चों की लड़ाई अपने चरम पर थी। यूं लग रहा था कि आज वो दोनों एक दूसरे की जान ले कर ही मानेंगे वजह, दौर दिनों के बाद उनके बेटे का जन्मदिन था। उसके लिए कपड़े और उपहार खरीदते समय उनकी नजर दुकान में रखे एक गुल्लक पर पड़ी … Read more

वो ख्वाब, जो पूरे ना हो सके – सुषमा यादव

## ख्वाब #  टाॅपिक पर आधारित रचना,, सुषमा यादव,, प्रतापगढ़, उ प्र, ,,, जिंदगी के कुछ ख्वाब ऐसे होते हैं,, जो पूरे नहीं होते,,सारी उम्र दिल में टीस सी उठती रहती है,, मेरे भी कुछ ख़्वाब थे,जो आज तक किसी से कह नहीं सकी,,जो पूरे होते,होते रह गये,, ,,, मैं एम ए अर्थशास्त्र विषय से … Read more

एक टुकड़ा ख्वाब – श्वेता शर्मा

भारत सरकार के द्वारा पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है । इसी क्रम में मेरे विभाग को  कॉलेज के छात्रों के बीच एक प्रश्नोत्तरी करवाने का निर्देश हुआ । तो लग गयी हमारी पूरी टीम भारत सरकार के हुक्म को मानने मे। चूंकि आदेश सरकारी था सो सारे नियमित काम … Read more

चरित्रहीन – प्रीती सक्सेना

    शादी को एक माह हो गया, मैं,,, शीला,, आज अपने पीहर जा रही हूं,,, भाई, कल ही लेने आ गया था,, खुशी के कारण मन ही नहीं लग रहा था,, लग रहा था,, पंख लग जाएं और मैं,,, झट से अपने माता पिता के पास पहुंच जाऊं,,, सास, ससुर के पैर छुए,, हसरत से पति … Read more

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