पुरुष – तरन्नुम तन्हा

भाई का फोन आया तो मेरा मन ज़ार-ज़ार रो उठा। हफ्ते भर बाद ही विवाह था, उनकी वाणी बिटिया का। यद्यपि ससुराल पक्ष की ओर से कोई मांग नहीं थी, तथापि भाई की कोरोना काल ही में नौकरी छूट जाने के कारण जैसा सोचा था, वैसा नहीं हो पा रहा था। नई नौकरी से बस … Read more

जागरूक – वंदना चौहान

माँ आपने घर के कागजात तैयार करवा लिए क्या ?कब करवा रही हो? रजिस्ट्री डेट तय कर दो । मैं उसी दिन सीधे रजिस्ट्रार ऑफिस पहुँच जाऊँगी और हाँ अपने लॉकर की चाबी भी ले आना । मैं देखती हूँ इस भाभी को तुझे पलट कर जवाब देती है जब दोनों सड़क पर आ जायेंगे … Read more

नए ज़माने के चोंचले हैं – के कामेश्वरी

संचिता पढ़ी लिखी सुंदर और अपने माता-पिता की अकेली संतान थी । नौकरी कर रही थी और घर उसके लिए रिश्ते भी देख रहे थे । वह दादी की चहेती लाड़ली थी । अपने दिल की बात किसी को बताए या न बताए पर हर बात वह दादी से कहती थी । दादी भी अपने … Read more

मेरी अम्मा – अंजू खरबंदा

हमारी दुकान का नाम ‘भाटिया जनरल स्टोर’ था जो दालें, बेसन आदि सामान के साथ-साथ चाय पकौडों के लिये मशहूर थी । पुदीने की ताजी हरी चटनी के साथ आलू वाले ब्रेड पकौड़े की धूम काफी दूर तक थी । तब मिक्सी नहीं होती थी, पत्थर के दवरी डंडे में चटनी पीसी जाती थी जिसमें … Read more

हैपी रिटायरमेंट – नीरजा कृष्णा

आज सुदर्शन बाबू का रिटायरमेंट हो रहा है। उनके स्पेशल डे पर उनके दोनों बच्चे सरप्राइज देने सपरिवार पहुंच गए थे। वो सुबह से ही सजधज में लगे थे। जो जीवन में कभी पार्लर नहीं गए थे पर आज सुबह ही पूरा मेकअप करा कर आए थे। आशा जी उनको देख कर लोटपोट हुई जा … Read more

दर्पण समाज का ” – गोमती सिंह

—–बाजे गाजे के साथ दुल्हा-दुल्हन की डोली आँगन में आई  । दुल्हा-दुल्हन का मौर परछन का रस्म किया जा रहा था । दीदी, बुआ ,काकी , बड़ी माँ,  सभी अत्यंत उल्लास के साथ मौर परछन के रस्म में शामिल हो रहे थे ।         लेकिन इन सभी रस्म अदायगी को दूर बैठी दुल्हे की  एक … Read more

अन्तर्मन की आवाज – पायल माहेश्वरी

#जादुई_दुनिया  रीमा अकेली चलती-चलती जंगल की और जा रही थी और उसे वहां पर एक बड़ा आईना नजर आया,बड़ी उत्सुकता से रीमा उस आईने की बढ़ी तभी उसे एक औरत की आवाज सुनाई दी।  ” रूक जाओ रीमा !! उस आइने के सामने मत जाओ वह जादुई आईना हैं एक बार उसके सामने जाने पर … Read more

सखियाँ

आज भी बिलकुल नहीं बदलीनब्बे के दशक ,वाली मेरी सखियाँआज भी यादें सहेजे नजर आयीजैसे पलकों तले ,सहेजी गयी अखियाँआज भी सखियों को मैंने मासूम पायाजैसे स्कूल काॅलेज का, बीता वक्त लौट आयाआज भी वो स्वभाव से शरारते करती नजर आयीजैसे फिर जी रही हैं बचपन,और अल्हड़ तरुणाईआज के दौर में सखियाँ समय के साथ … Read more

मन के भाव – बेला पुनीवाला

 हमारी पहचान हमारे चेहरे और नाम से जुडी हुई है। मेरा परिचय और मेरी पहचान मैं कैसे बताऊ ?        सब से पहले तो हम यही कहेंगे, कि हम एक हाउस वाइफ है।  हमारे दो बच्चे है, जो इस वक़्त काफी बड़े हो गए है, पहले मैं  उनको सिखाती थी, अब मोबाइल और इंटरनेट के ज़माने … Read more

प्यार , की कोई उम्र नहीं, – प्रीती सक्सेना

 करीब सात साल पहले की  बात है,, पतिदेव की पोस्टिंग अहमदाबाद में हुई,,, कंपनी ने वहां के सबसे पॉश इलाके में फ्लैट दिया,,,, ग्यारहवीं मंजिल पर फ्लैट,,, नीचे देखा तो चक्कर से आने लगे,,, कुछ दिन सामान सेट करने में लगे,,, बेटी मदद को आ गईं थी,,, उसकी सहायता से,, जल्द ही,,, घर व्यवस्थित हो … Read more

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