न्याय-रीटा मक्कड़

‘बहु…रागिनी बहु जरा इधर तो आना” ‘जी मम्मी जी” ‘वो कल अंजली बिटिया और दामाद जी आ रहे हैं। खाने में कुछ अच्छा सा बना लेना।तेरे पापा जी बाजार जा रहे हैं।जो चाहिए अभी से मंगा लेना उनसे” “जी मम्मी जी मैं अभी लिस्ट बना कर लाती हूँ।’ रागिनी जल्दी से ससुर जी को लिस्ट … Read more

जीत या हार – कमलेश राणा

राणा कीरत सिंह एक छोटी सी रियासत के राजा थे,,वह बहुत धार्मिक प्रवृत्ति के  इन्सान थे,, उनके राज्य में यज्ञ,पूजा,हवन होते ही रहते,,उन्होंने ब ड़े-बड़े मंदिर बनवाये,उन मंदिरों के पुजारियों की गुजर बसर के लिये उन्हें कृषि योग्य भूमि भी दी गई,, वह प्रजावत्सल और न्यायप्रिय राजा थे,, उस समय देश में बहुत सारे छोटे-बड़े … Read more

सौगात – अनिता गुप्ता

“ये कोई उम्र है शादी करने की , समाज क्या कहेगा ?” मालती जी ने सुरेशजी से कहा। ” समाज तो कुछ ना कुछ कहता ही रहता है। अभी भी तो कह रहा है। इसलिए ही तो शादी करने की बात कह रहा हूं। शादी के बाद कुछ दिन बोलेंगे, फिर चुप हो जायेगें। ” … Read more

सहारा – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

प्रतिदिन की एक जैसी दिनचर्या थी सोनाली की ।सुबह-सुबह उठना,जितना जल्दी हो सके घर के सभी कामों को निपटाना, अपने और अपने पति के लिए नाश्ता पैक करना ,सात साल की तान्या को स्कूल के लिए तैयार करना और उसे लेकर ओटो स्टैंड की ओर भागना। पति उसे वहीं ड्रॉप कर अपने ऑफिस के लिए … Read more

निस्वार्थ प्रेम… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

कोमल मृदुल के सीने से लग लगातार रोए जा रही थी..उसके आँखों के आँसूँ रूकने का नाम नहीं ले रहें थे..गोद में लिए नन्हे बच्चे को देख आँसूँ बहाए जा रही थी.. उसकी नर्म कोमल त्वचा का स्पर्श महसूस कर रोमांचित हो रही थी, बच्चे की मातृत्व सुख पाकर निढाल हो रही थी… यही कोमल … Read more

प्यार की पहली पाती – डा. मधु आंधीवाल

———————- अरे नन्दिनी कहां गयी मां समीक्षा बहुत देर से आवाज दे रही थी । जब से इस लड़की का रिश्ता तय हुआ है पत ना कमरे में ही घुसी रहती है। समीक्षा बड़बड़ाये जा रही थी । दादी की लाडली नन्दिनी तो चिपकी हुई थी वीडियो कालिंग पर अपने होने वाले सपनों के राज … Read more

‘अनूठा होमवर्क’ – -पूनम वर्मा

गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं । राहुल बहुत दिनों के बाद अपने मम्मी-पापा के साथ गाँव आया था । गाँव आकर वह बहुत खुश था । दादा-दादी को तो राहुल के रूप में खज़ाना मिल गया था । दिन भर मस्ती में बीतता । सुबह उठते ही दादाजी के साथ खेतों में चला जाता … Read more

*रेजगारी* –     मुकुन्द लाल

बसंती ने भुट्टों से भरी टोकरी को मुश्किल से अपने सिर पर से उतरकर जमीन पर रखा। उसने आंँचल से पसीना पोंछा। उसकी सांँस तेज गति से चल रही थी। पाँच किलोमीटर की दूरी तय करके वह सब्ज़ी मार्केट सुबह तड़के पहुंँच गई थी। कोरोना के भय से। उस समय तक इक्के-दुक्के लोग ही सब्जी … Read more

आपबीती – कुसुम पाण्डेय

आज मैं जो कुछ भी आप सभी से कहने जा रही हूं इसके लिए शायद मुझे फिर उन्हीं सब से गुजरना होगा जो मेरे ऊपर बीती है,, मेरा डेली का रूटीन है मैं सुबह 4:00 बजे उठती हूं और फिर 8 किलोमीटर रनिंग करने के बाद योगा क्लास लेती हूं, रोजाना की तरह मैं सुबह … Read more

दहेज एक व्यवसाय – गोविन्द गुप्ता

सेठ धन्नी सिंह शहर के नामी गिरामी सेठ थे, चार लड़के थे सभी धीरे धीरे विवाह योग्य होते जा रहे थे एक एक वर्ष का अंतर था तो अभी वरावर के लगते थे,दो व्यवसाय में हाँथ बंटाते थे,छोटे बाले दोनो कॉलेज में पढ़ रहे थे तो वाहर ही रहते थे परिवार सुखी था, एक दिन … Read more

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