प्रतिमा घर का पूरा काम ख़त्म करने के बाद बैठक में आँखें बंद कर अपनी थकान मिटाने के लिए बैठी थी । सुबह से काम करते -करते थक गई थी । अब जाकर घर ख़ाली हुआ था । ट्रिंग ट्रिंग !!!!!फ़ोन की घंटी से जैसे उसे होश आया । फ़ोन उठाकर कहा हेलो!!! उधर से उसकी सखी संगीता थी ।हाय संगी कैसी है ?कब आई अमेरिका से ? नाती कैसा है ? शुचि कैसी है?
संगीता ने कहा इतने प्रश्न एक साथ? साँस लेले । शुचि अच्छी है । नाती तंदुरुस्त है । मुझे आए हुए दो दिन ही हुए हैं । बहुत थक गई हूँ प्रतिमा क्या बताऊँ ? क्या हो गया है ?संगीता मुझे बताना । ऐसा क्या हो गया है कि इतना थक गई है ।
प्रतिमा क्या बताऊँ ? मेरी थकान की वजह मेरी बेटी ही है । अब उसकी क्या शिकायत करूँ? पर तू तो मेरी अपनी है तुझसे बात कर के अपना दिल हल्का कर सकती हूँ । देख संगीता अभी इस तरह फ़ोन पर बातें करने के बजाय तुम मेरे घर खाने पर आ जा हम दोनों खाना खाते हुए बातें कर लेंगे । मेरे घर में भी कोई नहीं है । मुझे भी अच्छा लगेगा तुम्हें देख कर !! क्या कहती है ? संगीता ने कहा ‘नेकी और पूछ -पूछ ‘ ज़रूर आऊँगी । बस फिर क्या मैंने संगीता की पसंद का ही खाना बनाने लगी ।
मैं और संगीता स्कूल या कॉलेज के दोस्त नहीं थे उनके पति और मेरे पति एक ही ऑफिस में काम करते थे । पहली ही मुलाक़ात ने हम दोनों में गहरी दोस्ती बना दी । हम दोनों की ही एक एक बेटी थी बेटा नहीं पर हमने कभी ग़म नहीं किया दोनों की बेटियाँ एक ही स्कूल में पढ़ती थी हमारे ही समान दोनों दोस्त थी । दोनों की पढ़ाई ख़त्म होते ही अच्छे घरों में हमने शादियाँ भी करा दी बस फ़र्क़ इतना था कि संगीता की बेटी विवाह के बाद अमेरिका चली गई और मेरी बेटी बैंगलोर में बस गई ।
बड़े ही नाज़ों से हमने अपने बच्चों को पाला पर कमी कहाँ रह गई मालूम नहीं दोनों को अपने माता-पिता की फ़िक्र नहीं रहती है या वे दिखाना नहीं चाहती हैं नहीं मालूम पर कितना भी उनके लिए कर दो वे कभी अपनी ख़ुशी ज़ाहिर नहीं करतीं थी । हमेशा उन्हें लगता है कि दूसरे बच्चों के माता-पिता बहुत करते हैं हमें उनकी कद्र ही नहीं है । ख़ैर खाना डाइनिंग टेबल पर रखकर मैं तैयार हो गई । चाय के लिए पानी भी चढ़ा दिया और संगीता का इंतज़ार करने लगी ।
पाँच मिनट में ही संगीता आ गई । दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया और बैठक में बैठ गई । प्रतिमा चाय बनाकर लाई दोनों चाय पीते हुए बातें करने लगी । पहले इधर-उधर की बातें करते रहे फिर अपने बच्चों की बातें करने लगे । उन दोनों को लगता है कि आख़िर उनके परवरिश में क्या कमी रह गई थी । संगीता बताने लगी कि शुचि के प्रेगनेंसी की ख़बर सुनकर मैं बहुत खुश हो गई । उनके पास जाने के लिए मैं उतावली हो रही थी । तुम्हें मालूम है न राघव को छुट्टी नहीं मिली तो मुझे अकेले ही जाना पड़ा ।
शुचि और दामाद विजय ने टिकट ख़रीद कर मुझे शुचि की डिलीवरी के लिए लेकर गए थे अमेरिका । लेकिन लगता था जैसे टिकट के पैसों की पूरी भरपाई कर लेना चाहते हों । इतना काम प्रतिमा डस्टिंग , डिशवाशर में बर्तन रखना धुलने के बाद जमाना मशीन में कपड़े डालना उन्हें बाहर निकाल कर तह करना । घर को साफ़ सुथरा रखना खाना बनाना । वहाँ तो मैंने देखा था कि पंद्रह बीस दोनों में वे लोग पूरे घर की सफ़ाई के लिए किसी को बुला लेते हैं पर शुचि उसने विजय से साफ़ मना कर दिया
कि नहीं मेरी माँ आई है वे पूरा काम कर देंगी । विजय ने एक बार उसे डाँटा भी था कि वे तेरी माँ हैं तेरी मदद के लिए आई हैं। वे अगर बीमार पड़ गई तो हमें मुश्किल हो जाएगी पर नहीं उसने तो विजय की बात को अनसुना कर दिया । बच्चे के पैदा होते ही उसका काम भी सर पर आ गया पर पोता था न ख़ुशी ख़ुशी सब काम करने लगी । छह महीने कैसे बीत गए पता ही नहीं चला । बहुत थक गई हूँ काम करते -करते फिर भी शुचि उदास थी उसे लगता है
कि मैंने अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई है !!कहते हुए रोने लगी ।प्रतिमा ने कहा चुप हो जाओ संगीता तुम बाहर जाकर थक गई मैं इंडिया में रहकर ही थक गई हूँ । प्रतिमा क्या हो गया है क्या पल्लवी भी !!!!!आजकल की लड़कियों को हो क्या गया है।
प्रतिमा ने बताया हर दो तीन महीनों में फ़ोन कर देती है कि आ जाओ मैं थक गई मुझे आराम की ज़रूरत है । कभी यह नहीं सोचा कि माँ भी बडी हो गई है ।उसे भी आराम की ज़रूरत है नहीं दामाद बोलते हैं मम्मी आपकी मैं मदद कर देता हूँ पर मजाल है मेरी बेटी मेरी मदद करे । ऊपर से दो बच्चे ।
दोनों अपने -अपने बच्चों के बारे में बातें कर रहे थे तभी डोर बेल बजी । प्रतिमा ने कहा अभी कौन हो सकता है ? रुक देख कर आती हूँ ।जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला? संगीता की सास और माँ संगीता के पति !! प्रतिमा के पति सास माँ और पल्लवी सब खड़े थे । हाय सरप्राइज़ है । संगीता और प्रतिमा दोनों आश्चर्यचकित होकर उन्हें देख रहे थे । पूरे घर में हो हल्ला मच गया तभी लैपटॉप पर शुचि भी आ गई । तब ही प्रतिमा के पति ने कहा मैं बताता हूँ कि हम सब एक साथ यहाँ क्यों आए हैं ?
पिछले एक साल से आप दोनों परेशान थी कि आपकी बेटियों को आपकी फ़िक्र नहीं है । आप लोगों से काम कराती हैं । हम सब आप लोगों को यही बताना चाहते हैं कि आपने अपनी माँ की या सास की कद्र की कभी नहीं !!आप लोग तो नौकरी भी नहीं करते थे । फिर भी किटी पार्टी में जाने के लिए बच्चों को अपनी माँ या सास के पास छोड़ देती थी कभी भी उनके बारे में नहीं सोचा । उनकी आयु की कद्र की नहीं । बच्चों ने और हमने मिलकर सोचा कि आपको यह एहसास दिलाएँ
कि इस उम्र में जो काम आप नहीं कर सकती हैं उसी उम्र की दहलीज़ पर आपकी माँ और सास भी थीं । वे इस तरह के काम कैसे कर सकती हैं । प्रतिमा और संगीता दोनों की आँखें शर्म से झुक गईं । दोनों ने अपनी -अपनी माँ और सास के पैर पकड़कर माफ़ी माँगा और यह भी कहा गुजरे हुए कल को तो हम सुधार नहीं सकते हैं पर आइंदा आपको हम कोई भी तकलीफ़ नहीं देंगे । दोनों बेटियों और उनके पिता ने भी इन दोनों से माफ़ी माँगी ।
इस तरह बिना झगड़े बिना कुछ कहे ही बच्चों ने अपनी माँओं को उनकी गलती सुधारने का मौक़ा दे दिया । सबने तहे दिल से दोनों बेटियों का शुक्रिया अदा किया ।
के . कामेश्वरी