जिंदगी कीमती है- अंजना ठाकुर : Moral Stories in Hindi

ये क्या अनर्थ कर दिया एक ऐसी लड़की को तू अपने घर की बहू बना लाया जिसकी बारात वापस चली गई  कुसुम आंखे निकालती हुई बोली और लता डर के कारण सुहास के पीछे छिप गई ।

सुहास बोला मां मेरी बात तो सुनो अगर बारात वापस चली गई तो इसका क्या दोष है ऐन मौके पर उन्होंने दहेज की ज्यादा मांग कर दी अब इसके पिताजी पूरी नहीं कर पाए तो बारात वापस जा रही थी ।पूरा घर दुखी हो रहा था लता अपनी जान देने के लिए जा रही थी और गगन (लता का भाई )मेरा खास दोस्त है मेरे होते हुए वो उसके परिवार पर इतना बड़ा संकट आए ये मैं देख नहीं पाया ।और मैने लता से शादी कर ली । किसी की जिंदगी बचाना अनर्थ नहीं है ।

कुसुम को इस बात की जरा भी उम्मीद नहीं थी वो तो अपने बेटे के लिए बड़े सपने सजा कर बैठी थी।क्योंकि सुहास एक बड़ी कंपनी मैं कार्यरत था और कई बड़े घर के रिश्ते आ रहे थे जिसमे रश्मि और उसका परिवार कुसुम को बहुत पसंद थे रश्मि आधुनिक विचारों की लड़की थी और काफी पैसे वाली भी ।बस सुहास की हां का इंतजार था।

इसी बीच गगन की बहन की शादी निकल आई और आज सब लोग शादी मैं गए थे तभी वहां दहेज को ले कर तमाशा होने लगा तो लोग जल्दी वापस चले गए कुसुम और उनके पति भी वापस आ घर सुहास वहीं रुक गया और सुहास की बहन सिम्मी भी और जब सुहास ने लता की मांग मैं सिंदूर भर दिया तो सिम्मी मां घर पर बताने आ गई ।

कुसुम अभी भी दरवाजे पर खड़ी चिल्ला रही थी की उनके पति बोले अब जो हो गया ठीक है यही ईश्वर की मर्जी होगी अब उन्हें अंदर आने दो।पर कुसुम लता को अपनाने को तैयार नहीं थी एक तो दूसरी बिरादरी और गरीब ये बात कुसुम को हजम नहीं हो रही थी ।

लता इस उपकार को अपने कर्तव्य से पूरा कर रही थी ।उसने घर मैं सब काम की जिम्मेदारी ले ली और सभी का बहुत ध्यान रखती घर मैं सब खुश थे बस कुसुम को छोड़कर ..।।

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समय गुजर रहा था कुसुम अभी भी ताने देने से बाज नहीं आती इसी बीच उसे पता चला की रश्मि की शादी उसकी सहेली के बेटे से तय हुई है इस बात से वो और चीड़ गई शादी मैं भी नहीं गई।

काफी दिनों बाद उसकी सहेली का फोन आया की मैं बहुत परेशान हूं तू घर आजा ।कुसुम मन मार कर गई घर गई तो देखा सहेली के पैर मै फ्रैक्चर है

उसके पास एक नर्स है सेवा के लिए ।कुसुम में सोचा आई हूं तो रश्मि से भी मिल लूं सहेली ने कई बार नौकर भेजा तब रश्मि बड़बड़ाती हुई आई क्यों परेशान कर रही हो ऐसा क्या काम आ गया।

मॉडर्न कपड़े मैं ऐसी बदतमीजी से बात करते हुए कुसुम को तो यकीन ही नहीं हुआ की इसे अपने घर की बहू बनाना चाहती थी ।बाद मैं सहेली ने बताया की पैसे का इतना घमंड है की किसी से ढंग से बात नहीं करती  बेटा भी खुबसूरती का दीवाना हो गया उसे कुछ दिखता नहीं है पैसे के चक्कर मैं हम तो फस गए।

घर वापस आते समय उसको सहेली की जगह अपनी स्थिति दिख रही थी लता कितना उपकार मानती है इस बात का की सुहास ने उसे अपनाया और मैं उसका दिल दुखाती रही ।

कुसुम जल्दी से घर आई  लता उसके लिए पानी ले कर आई तो कुसुम ने उसे पास बैठाकर सर पर हाथ फेरते हुए बोली मैं अपनी गलती पर शर्मिंदा हूं मुझे माफ कर देना ।

लता बोली ये आप क्या बोल रही आप मेरी मां समान है और आप लोगों का उपकार तो मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी ।कुसुम बोली उपकार तो हम पर हुआ ईश्वर का  जो तुम्हारे जैसी बहू मिली ।आज से

इस घर को अपना समझ कर रहो।लता वजह नहीं समझ  पाई पर वो खुश थी की आज उसने मांजी का दिल भी जीत लिया ।

और कुसुम खुश थी की अच्छा हुआ उस दिन वो अनर्थ  हुआ लता के साथ जो आज वो इस घर मैं है ।

स्वरचित

अंजना ठाकुर

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