ज़िंदगी हमारी है तो जीने का सलीका भी हमारा होना चाहिए – निशा जैन  : Moral stories in hindi

ये शालिनी जी का पार्सल है, कहां मिलेंगी वो?

अरे वो जो सामने बैठी है ना, वो जो मोटी सी बैठी है पिंक कलर के सूट में, वही है शालिनी जी…. पडौस के लोग बोलते

भैया चाय का बिल डायरी में नोट कर लेना, थोड़ी देर में आकर पैसा देती हूं शालिनी चाय का कप लेती हुई जब भी बोलती

चाय वाला हमेशा बोलता ठीक है लिख लिया मैडम

किस नाम से लिखा तुम्हें तो मेरा नाम भी नही पता

 शालिनी  जब भी झांक के देखती तो लिखा रहता था मोटी मैडम 80 रुपए बैलेंस

ये रोज़ की कहानी रही थी शालिनी की जो एक न्यूज पेपर में एडिटर थी।

 लोग अलग अलग तरीके से उसे शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते,  अरे आजकल कुछ ज्यादा मोटी नहीं दिखती हो तुम, घर का सारा खाना तुम ही खा जाती हो? कभी देखा है अपने आपको आइने में हैंगर जैसी बनती जा रही हो जब कोई बोलता अपना से मुंह लेकर रह जाती बेचारी शालिनी

 लगता जैसे इस धरती पर बोझ है

उम्र के साथ साथ कुछ हार्मोन बढ़ने पर उसका वजन बढ़ना शुरू हुआ तो निक नेम मिला मोटी

कुछ लोग तो मोटी लिखकर सीधे अपनी भड़ास फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर निकालने लगे

मोटापा बढ़ने के बाद शायद ही कोई दिन गया हो जब उसने बिना किसी गिल्ट के खाना खाया हो

शुरू में भूखा रहकर खुद को मार रही थी फिर जिम ज्वाइन कर लिया कई महीने गुजर गए न वजन घटा और न ही लोगों के ताने और मजाक।

घर के कई लोग तो मुंह पर बोल देते क्यों ड्रामा करती हो?मैं ये नही खाऊंगी,वो नही खाऊंगी।तीन महीने में 3 ग्राम भी तो घटा नही वजन तुम्हारा। सुनकर कैसा लगता होगा जरा आप ही सोचिए।

       कई दिनों से चेहरे पर सूजन महसूस होने लगी थी उसे पर अब तक ये बात समझ नही आई कि एक बार डॉक्टर से कंसल्ट कर लेना चाहिए कि अचानक इतना मोटापा और थकान क्यों। जब चलना फिरना दूभर हुआ तो कई सारे टेस्ट हुए और पता चला कि थायरॉइड के वजह से ऐसा हो रहा था। पीसीओएस और ईटिंग डिसऑर्डर जैसी कई समस्याएं और भी है जिनसे मोटापा बढ़ने लगता है।

      खैर उसे मोटापा बढ़ने की वजह तो पता चल गई थी साथ में दवाइयां भी शुरू कर दी थी लेकिन जो वजन बढ़ चुका था उसे घटाना चुटकियों का काम तो था नही। तो फिर मेहनत की , खाना पीना छोड़ना पड़ा , शरीर को सजा दी।

      दो दो तीन तीन घंटे जिम में बिताए क्युकी ताने सुन सुनकर दिल और दिमाग दोनो छलनी हो चुके थे।

      पर एक वक्त आया ऐसा आया जब वजन कम होने लगा और कपड़े ढीले होने लगे तब भी लोगों के कॉमेंट आते इतने पतले क्यों हो रहे हो , इतने पतले इंसान भी अच्छे नही लगते। खाते पीते घर से हो कुछ खाया करो। कभी कहते _अरे क्यों बेकार ही मेहनत कर रहे हो? आप तो ऐसे ही चबी _ चबी क्यूट लगते हो, गोलू मोलू टेड़ी बीयर

अरे ये क्या बात हुई भला शालिनी मन ही मन सोचती कल तक मोटी कहकर शर्मसार करते थे और अब पतली हो गई तो भी अपने टीका टिप्पणी से लोग तो अब भी शर्मसार करने का कोई मौका नहीं छोड़ते ।

      उसे समझ नही आया बल्कि कंफ्यूज हो गई कि लोग चाहते क्या हैं हमसे क्यों गाहे बगाहे हमे टोकते रहते हैं 

अब तो शर्मसार करना बंद करो । हम जैसे भी हैं अच्छे हैं भई, हमारी लाइफ है हम चाहे जैसे रहे उनको क्या प्राब्लम है। वो अब मन ही मन कहती” हम दिखें जैसी भी आप कौन हैं वैसे भी” 

जिंदगी मेरी है तो जीने का सलीका भी मेरा ही होगा लोग चाहे जो बोलें

शालिनी जो अब तक लोगों की बातों को दिल से लगाती थी और दुखी होती थी, उसने लोगों की परवाह करना अब छोड़ दिया था और अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना शुरू कर दिया और पहले से ज्यादा खुश रहने लगी थी। 

      ये कहानी शालिनी के अलावा और भी कई लोगों की होगी जो दिन प्रतिदिन ऐसी छीटा कशी या फब्तियां से दो चार होते होंगे। मेरा उन सबसे ये कहना है कि लोगों की नही अपनी सोचिए उनके कह देने भर से कि आप पतली अच्छी हैं या मोटी , इससे आपके आंतरिक गुण तो कम नहीं हो जाते, आपके मन की सुंदरता तो कम नहीं होती।

      मेरा मानना है की किसी के हम पर ताने कसने या टोकने से हम जिंदगी जीना तो नही छोड़ सकते ना और वैसे भी तन का सुंदर नही स्वस्थ होना ज्यादा ज़रूरी है।

सुंदर तो मन होना चाहिए और साथ ही हमारे कर्म जिनसे हमारी पहचान जुड़ी हुई है। शरीर का क्या है ये तो बदलता रहता है , कभी मोटा तो कभी पतला 

इसके चक्कर में पड़ गए तो जिंदगी का मज़ा नही ले पायेंगे। मेरा मानना है कि जिंदगी हमारी है तो जीने का सलीका भी हमारा होना चाहिए हां ये बात ज़रूर है कि जिस विषय की हमे कम जानकारी है उसके बारे में दूसरों से राय ली जा सकती है। या मोटापा किसी बीमारी या अन्य वजह से हो रहा है तो समस्या का तुरंत पता लगाकर समय से उपचार शुरू कर देना चाहिए।

पर लोगों की बातों को दिल पे लगाना छोड़ देना चाहिए क्योंकि कुछ तो लोग कहेंगे , लोगों का काम है कहना।

      और साथ ही वो लोग जो किसी को टोकते है या कमेंट करते हैं उनको पहले स्वयं को उसकी जगह पर रखकर देखना चाहिए कि अगर कोई हमे इस तरह बोले तो कैसा लगेगा। कभी सोचा है बजाय मनोबल बढ़ाने के आपके ये सवाल सामने वाले को रुला रहे होंगे या उनका अत्मविश्वास कम कर रहे होंगे इसलिए ताने देने से अच्छा है उनको समझाना चाहिए।

बार बार शर्मसार करने के बजाय समस्या का सही निदान बताना चाहिए ।

दोस्तों ये मेरें व्यक्तिगत विचार हैं । यदि आप सहमत हैं तो मेरा उत्साहवर्धन करना ना भूलें

धन्यवाद

निशा जैन

2 thoughts on “ज़िंदगी हमारी है तो जीने का सलीका भी हमारा होना चाहिए – निशा जैन  : Moral stories in hindi”

  1. Bilkul sahi kaha aapne har insaan alg hota h to har insaan ki body bhi to alg hi hogi na…. Humein apni jindgi me kaise rhna h aur kaise jeena h ye faisla sirf hmara hona chahiye 😇…. Very nice👍👏😊 story💯….

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