जिम्मेदारी – कुलजीत भार्गव

जिम्मेदारी ये शब्द जैसे मेरे जीवन में परिचित सा लगता है।

पापा के दोस्त अंकल जी जिनकी ३ बेटियां और एक बेटा था। जिम्मेदारी क्या होती हैं ये उनको देखकर ही समझ आ जाता था ।

समय से पहले ही उन बच्चो में परिपक्वता आ गई है साफ दिखाई देता था। लड़कियों वाला अल्हडपन, मोजमस्ती करते हम सब ने उन्हें कभी नहीं देखा और उस पर और भी मजेदार बात uncleji उनको पढ़ाना भी नहीं चाहते थे। शराब पीना उनका रोज़ का शौक़ था जबकि सरकारी विभाग में ऊंचे ओहदे पर थे। पत्नी से लड़ने की आवाज़ रोज़ ही आती थी उनके घर से ।

ऑफिस के लोगो के समझाने पर किसी तरह दोनो बड़ी बेटियों को polytechnic से कोई कोर्स करवाया और रिटायरमेंट के पहले बड़ी बेटी की शादी कर दी। मंझली बेटी नौकरी करने लगी और बिना कहे ही सारी जिम्मेदारी उसने अपने हाथों में ले ली।

मकान का किराया, घर के अन्य खर्चे वो सब उठाने लगी क्योंकि रिटायरमेंट का ज्यादा फंड भी नहीं था उनके पास।

छोटी बेटी ने अपने आप ही समझ लिया कि उसे भी घर की जिम्मेदारी उठानी है तो वो type स्कूल में टाइपिंग सीखने लगी और जल्दी ही एक ऑफिस में उसे टाइपिस्ट का जॉब भी मिल गया।

बेटे को अंकल जी के ऑफिस में ही उनके बदले जॉब मिल गई । बेटा चूंकि एक ही था तो जान से प्यारा था। ना तो वो कोई जिम्मेदारी समझता था और न ही माता पिता उसे समझाते थे।

किसी तरह उनकी बेटियों ने मिलकर घर खरीदा और जीवन चल निकला ।

इस कहानी को भी पढ़ें: 

हमारे यहाँ भी एसी आयी हैँ  – मीनाक्षी सिंह

 

हम सब ने कभी भी उन दोनो बहनों को मायूस होते नही  देखा बल्कि वो हमेशा खुश होकर कहती थी कि वो अपने माता पिता के लिए कुछ करने लायक तो हैं। बड़ी बहन के आने पर लेना देना और हर तीज त्यौहार करना सब उन्हें अच्छे से आता था।




धीरे धीरे समय बीतता गया। कहते हैं ना जिसका कोई नहीं होता उसका ईश्वर अवश्य साथ देते है। उन दोनो बहनों की भी शादी हो गई। और सब सामान्य सा हो चला 

शादी के बाद भी दोनों बेटियां अपने माता पिता के लिए जो बन पड़ता करती। उनके चेहरे पर जो संतोष, सौम्यता थी वो भी एक आभा ही थी ।

अपने वैवाहिक जीवन में आने वाले उतार चढ़ावो को कैसे वो दोनों आसानी से निभाते हुऐ आज भी अपना जीवन यापन कर रहीं हैं, देखकर सुखद अनुभूति होती है।

बेटियां बहुत प्यारी होती हैं उनका अल्हड़पन, कभी खत्म नहीं होने देना चाहिए।

मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वो दोनों सदा खुश रहें।

कुलजीत भार्गव

लखनऊ ।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!