ज़िम्मेदारी बराबर की – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“अच्छा सुनो एक गुड न्यूज़ है…  भैया की बेटे की शादी तय हो गई है  दो दिन बाद सगाई है हमें जाना है।”निलय ने नीरा को ऑफिस से फोन कर के गुड न्यूज़ देकर पैकिंग करने को कह दिया 

नीरा कुछ कहती इससे पहले निलय ने फ़ोन रख दिया

 शाम को जब निलय ऑफिस से घर आया तो बहुत चहक रहा था….

“ कल निकलना होगा… माँ और भैया ने कहा है पहले पहुँच जाना…तुमने पैकिंग कर ली?” निलय ने जूते खोलते हुए पूछा 

“ निलय आप चले जाइए, मैं और बच्चे नहीं जा सकते।” नीरा ने रसोई में चाय का पानी चढ़ाते हुए कहा 

“ पर क्यों… यार घर के सारे बच्चों में ये पहला बच्चा है जिसकी शादी तय हुई और सगाई में जाना है… तुम नहीं जाओगी तो तुम्हारे बच्चों की शादी में कौन आएगा?” हर बार निलय  यही दलील दे कर नीरा को साथ चलने के लिए मजबूर कर देता था पर इस बार तो बच्चों ने भी साफ़ साफ़ कह दिया था ,“स्कूल से एक भी छुट्टी लेकर हम कहीं नहीं जाएँगे… जब देखो तब पापा को अपने घर जाना होता है हमारी पढ़ाई की परवाह तक नहीं करते… 

बेटा आठवीं  में तो  बेटी दसवीं में आ गए और पढ़ाई की महत्ता समझने लगे थे ।

“ निलय ये गुड न्यूज़ वाक़ई बहुत अच्छी है आप सब के लिए पर आपको नहीं लगता हमारे बच्चों के लिए ये गुड न्यूज़ नहीं हो सकती…. अगले सप्ताह उनकी परीक्षा है ….उधर जाओ तो माँ के कहने पर आप चार दिन की छुट्टी और कर लेते हैं बीमारी का बहाना कर और बच्चों को भी यही सीखा रहे हैं पर उन्होंने इस बार पहले ही मुझे कह दिया है वो बीच में छुट्टी लेकर कही नहीं जाने वाले।” नीरा ने कहा 

नीरा के मना करने के बाद बच्चों ने भी साफ़ कह दिया है हम ऐसे बीच में नहीं जा सकते…

“ क्या है पापा वो लोग ये सगाई वीकेंड में कर लेते तो हम जाकर भी आ जाते पर उधर जाओ तो दादी माँ के इमोशनल अत्याचार का विरोध कर नहीं सकते …और फिर दो दिन रूकना पड़ता ।” बेटी ने कहा 

निलय को तो जाना ही था आख़िर उसके घर का फ़ंक्शन था… उधर सबने नीरा के ना आने पर शिकायत भी की जो लाज़िमी भी था पर नीरा को इस बार कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा था 

नीरा बच्चों को स्कूल भेज कर बैठी ही थी कि निलय का फ़ोन आया.. ,“ लो माँ बात करेंगी ।”

“ हाँ हैलो बहू क्यों नहीं आई सगाई में ना बच्चे आए…ये क्या बार बार होगा … आना चाहिए था देख रही हूँ आजकल बहुत मनमानी करने लगी हो….अब नहीं आई हो तो क्या ही बोले पर ब्याह के वक़्त पहले आ जाना।” नीरा सासु माँ की बात सुन कर चुप रह गई कुछ नहीं बोली

इन सब के लिए वो पहले से ही तैयार थी ….  फ़ोन रख वो सोचने लगी…. आख़िर मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है…  सासु माँ हमेशा ही बड़े बेटे के पास रहती थी… उसके पास कभी कभी आती थी पर मन ना लगने का कह कर जल्दी ही चली जाती थी स्वाभाविक ही था जहाँ रहते हुए कई साल हो गए हो वहाँ मन तो रम ही जाता है 

नीरा निलय के साथ उसकी नौकरी की वजह से दूसरी जगह रहती थी…उसे आज भी याद है जब ससुराल वालों को अपनी बेटी के पहले जन्मदिन पर ख़ुशी ख़ुशी न्योता दी थी….पर कोई भी नहीं आया… ये कहकर तब जेठानी के बच्चों के स्कूल चल रहे हैं जहाँ छुट्टियाँ जल्दी नहीं मिलती…इसी तरह से बहुत बार ऐसा हुआ जिससे नीरा को बहुत दुख होता था…. और इसके विपरीत निलय  घर के हर छोटे फ़ंक्शन यहाँ तक त्योहारों पर भी नीरा और बच्चों को ज़िद्द कर के घर ले जाता…

उधर जाकर छोटी होने के नाते नीरा बस कामों में ही उलझी रहती ये सब देखते हुए नीरा  को यही लगता था कि जब घर में दो बहुएँ है तो दोनों को एक दूसरे का साथ देना चाहिए पर जब जेठानी घर आती ही नहीं तो मदद कहाँ से करेंगी और इस बार पहले से ही जब सुन रही थी कि जेठ जी के बेटे की शादी की बात चल रही है और निलय बहुत बार बोल चुके थे ….बहुत काम होते हैं शादी में हमें तो पहले ही जाना होगा…. ये सुन सुन कर  नीरा को और बहुत बुरा लग रहा था….

उपर से नीरा ने बातों बातों में जेठानी से कह भी दिया था कि इस बार बच्चों की पढ़ाई बहुत ज़रूरी है जो भी मुहूर्त निकलवाएँ वो परीक्षा के बाद का ही देखिएगा पर यहाँ भी उसकी नहीं चली….इन सब बातों ने उसे इस गुड न्यूज़ में खुश होने का मौक़ा ही नहीं दिया ।

निलय जब आए तो नीरा पर बहुत ग़ुस्सा करते हुए बोले,“ दो तीन दिन की बात थी क्या ही हो जाता चली चलती तो… भाभी को अकेले कितना काम करना पड़ा तुम रहती तो मदद कर देती ।”

“ निलय  सही कह रहे हो तुम.. आपके घर जाने के बाद मेरी हैसियत तो नौकरानी की ही होती…. भई वो बड़ी है तो वो मेरी मदद कैसे कर सकती है…ये गुड न्यूज़ जो देकर आप मुझे ले जाना चाहते थे उसके पीछे की मंशा तो यही थी आपकी उधर जाकर काम करूँ…

कभी सोचा है वो लोग हमारी किसी गुड न्यूज़ पर क्यों नहीं शामिल होते….आप करिए उनकी जी हुज़ूरी पर मुझसे उम्मीद मत रखिएगा…. जैसे उनके बच्चों की पढ़ाई हमेशा महत्वपूर्ण रही मेरे लिए भी बच्चों की पढ़ाई महत्वपूर्ण है… आप जाकर करिए मदद।” नीरा आज चुप ना रह सकी

निलय कुछ देर खामोशी से सब सुनता रहा फिर ना जाने क्यों उसे इस बात का एहसास हुआ कि सच ही तो कह रही है नीरा….माँ भी कभी भी हमारे जाने के बाद भाभी से नहीं कहती नीरा की मदद करने को उपर से हर बार भाभी की ही तरफ़दारी करती और नीरा  सच में वहाँ जाकर काम में ही लगी रह जाती हैं इस बार जब शादी में जाएगी तो इसे भी ज़्यादा काम नहीं करने दूँगा…सब मजे करते हैं और ये बेचारी …

“ नीरा अब से ऐसा नहीं होगा….उस घर में ज़िम्मेदारी दोनों की बराबर होगी….।” निलय नीरा से बोला 

“ देख लीजिएगा निलय … नहीं तो शादी में भी शामिल होने का मेरा मन नहीं करेगा… सबकी गुड न्यूज़ होती और काम की वजह से वो मेरे लिए बैड न्यूज़ बन जाती।” नीरा ने कहा 

“ पक्का प्रॉमिस अब ऐसा नहीं होगा ।” निलय नीरा को मनाते हुए कहा 

 दोस्तों जब भी घर में कोई फ़ंक्शन होता है वो वाक़ई गुड न्यूज़ ही होता है पर जब किसी के हिस्से बस ज़िम्मेदारियाँ ही आए वो इस गुड न्यूज़ पर कैसी प्रतिक्रिया करेगा?

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#वाक्यकहानीप्रतियोगिता 

# आख़िर मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है 

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