जिद – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मुझे भी किसी हिल स्टेशन पर घुमाने ले चलो मां की दस दिनों से जारी यह जिद समझ से परे थी।पता नहीं अचानक मां पर ये घूमने जाने का भूत कैसे सवार हो गया था लेकिन इस भूत भगाने के चक्कर में पिता जी के सारे तंत्र मंत्र बेकार हुए जा रहे थे।

हमेशा की तरह पिताजी ने मां की इस मांग को भी अनुचित और गैरजरूरी ठहराते हुए सख्ती से मना कर दिया था।भला ये भी कोई उम्र है कहीं बाहर घूमने आने जाने की.. अरे विवाह लायक बेटा बेटी घर में हैं और हम दोनों कहीं हिल स्टेशन घूमने जाएं!! इतना बजेट भी नही है कि घर की बाकी जरूरतों से कटौती करते हुए इतना अपव्यय किया जाए एक बेकार की जिद पूरी करने में।

पिता जी के तर्क अंगद के पांव की तरह सख्त और दृढ़ थे एक बार जम गए तो किसी की क्या ताकत जो उखाड़ सके ।

पिताजी आश्वस्त थे कि हमेशा की तरह इस बार भी मां उनके तर्कों और आदेशों के आगे कुछ दिनों के बाद स्वयमेव ही नतमस्तक हो जायेगी

लेकिन इस बार मां ने भी ठान लिया था की अपनी जिद मनवा कर रहेंगी चाहे जो हो जाए।पिताजी के स्पष्ट इनकार से वह चुप तो हो गई थी क्योंकि पिता जी को कभी पलट कर जवाब देना उनकी कल्पना से परे था या उनकी किसी बात का विरोध  भी उनकी हिम्मत से परे था।लेकिन उनकी यह चुप्पी  घर की शांति के लिए लाल सिग्नल थी।

उनकी देवरानी अभी शिमला नैनीताल घूम कर आई है बीते साल भी वह मसूरी घूमने गई थी।उसका बखान फोटो वीडियो सब देख सुन कर मां की शांत दुनिया में उत्ताल तरंगे उठने लगीं।कल वह मोहल्ले के कीर्तन में गईं थीं वहां पर भी उनकी सखी विमला और शांता पचमढ़ी यात्रा का सविस्तार उत्साहित वर्णन कर रहे थे

और उन अनगिनत  फोटो वीडियो …! ने  मां को भी घर की चहारदीवारी से बाहर निकल कर हिल स्टेशन जाने के लिए बुरी तरह उकसा दिया।

तुम लोग कीर्तन करने जाते हो या ये सब परपंच करने कि कौन कहां घूम आया कैसी फोटो खिंचवाई क्या खाना खाया..कीर्तन के बहाने गप्पबाजी…. पिताजी मां से ये सारा बखान सुनकर व्यंग्य से हंस पड़े ।

आपको तो मेरी हर बात मजाक उड़ाने वाली ही लगती रहती है आप भी थोड़ा घर से बाहर निकलिए चार दोस्त बनाइए उठिए बैठिए तो नए जमाने की नई बातें मालूम पड़ेंगी बस वही ऑफिस से घर और घर से ऑफिस इसी में पूरी जिंदगी बीती जा रही है ना कोई नई बात ना कहीं घूमने जाना ।आपको तो कोई शौक ही नही लगता

देवर जी सोनू भैया को देखिए कैसे हर साल अपनी पत्नी को लेकर घुमाने ले जाते हैं कितनी खरीदारी करती है देवरानी कहीं जाने के पहले मां फिर से अपनी जिद लेकर बैठ गई।

अरे विक्की की मां  सोनू और उसकी घरवाली की अभी उम्र हैं कितनी छोटी है तुमसे अब तुम उससे हिरस करोगी..!! अपनी कोई उम्र है घूमने जाने की अरे भगवान चाहेगा तो चार धाम की यात्रा करा देगा पहले इन बच्चों की शादी ब्याह निबट जाए पिताजी ने गहरी सांस लेकर खीजते हुए कहा।

पिता जी घर में सबसे बड़े थे।छोटे भाई बहनों से कायदा करते थे।ज्यादा हंसी ठठ्ठा नहीं करते थे।सबसे बड़ा होना ही शायद उन्हें हर क्षण अपनी जिम्मेदारी का एहसास करवाता रहता था और इसी एहसास ने उन्हें उनके शौकों से कोसो दूर कर दिया था अब तो उनकी आदत ही हो चुकी थी उसी बंधी दिनचर्या में बंधे रहने की इस तरह घूमने जाने की इच्छा होना ही उन्हे अपराध बोध से भर देता था।

हां हां अब तो बस चार धाम करके ऊपर जाने की ही तयारी करने  का समय है उम्र है।ये तो बताओ अभी उम्र नही है घूमने जाने की तो उम्र थी कब!! जब शादी हुई तब कहते थे अम्मा बाबू हैं छोटे भाई बहन हैं अभी कहीं जाना हम लोगो को शोभा नहीं देगा अभी समय नहीं है सबकी जिम्मेदारी कर लूं तब चलेंगे।

जब सबकी जिम्मेदारी हो गई तो अपने बच्चे अभी छोटे हैं फिर अब सब अपने हाथ पैर वाले हो गए है तो अब हमारी उम्र खत्म हो गई! इस बार आपका कोई बहाना कोई कारण नहीं चलेगा अगर इस बार आप मुझे कहीं हिल स्टेशन घुमाने नहीं ले गए तो….!! मां आक्रामक मुद्रा में आ गई थी।

…तो.. तो क्या करोगी विक्की की मां अब इस उम्र में मुझसे तलाक तो ले नही सकती तुम पिता जी मजा लेने लगे थे।

नहीं जी तलाक लेगी मेरी जूती!! इतनी आसानी से आप मुझसे पिंड कैसे छुड़ा लेंगे विक्की के पिता जी मां ने भी पिता जी के सुर में सुर लगा दिया था।

पिताजी उत्सुक हो उठे की आखिर अब यह करना क्या चाहती है ।

विक्की ए विक्की अभी तुरंत शिमला का टिकट बुक कर दे हवाईजहाज से पिताजी की तरफ आग्नेय नेत्रों से देखते हुए मां ने विक्की को आदेशित कर दिया।

विक्की की हालत सांप छछूंदर की हो गई थी… अपना लैपटॉप खोल कर बैठ गया।

बताइए किस तारीख का करवा दूं आप दोनों का बहुत महंगा मिलेगा…उसने बिना आंख ऊपर उठाए पूछा।

दोनों का!! दोनों कौन !! मां चिहुंक उठी।

अरे आप और पापा और कौन.!! अबकी विक्की ने विस्मित नजरें ऊपर उठा लीं थीं।

मैं अकेले ही जा रही हूं …जाने की इच्छा मेरी है उम्र मेरी है तो मैं ही जाऊंगी  पिताजी की तो उम्र बीत चुकी है …. मां ने दहला फेंकते हुए कहा।

क्या तुम अकेली जाओगी तुम पगला गई हो क्या पिताजी चौंक गए थे।

हां अकेली!! क्यों नहीं जा सकती क्या!! दुनिया चांद पर पहुंच गई और मैं शिमला नहीं जा सकती! अभी तक यही गलती करती आई जो आपका मुंह देखती रही.. और विक्की तू क्या महंगा सस्ता की बात कर रहा है।जिंदगी में पहली बार तेरी मां कहीं घूमने जाना चाह रही है तुझे महंगा सूझ रहा है रुक मैं दे रही हूं किराया मां ने हड़क कर कहा तो विक्की सहम ही गया।

अरे नही मां मेरा वो मतलब नहीं था मैं अभी किए दे रहा हूं … विक्की ने पिता जी की तरफ असमंजस की नजर से देखते हुए कहा मानो पूछ रहा हो पिता जी जल्दी बताइए क्या करूं!!

मां आज तक कभी कहीं अकेले नहीं गई थी।हमेशा पापा के साथ ही गई फिर विक्की बड़ा हुआ तब से वह हमेशा मां के साथ जाता रहा है।

फिर मैं चलूंगा आपके साथ मैने भी शिमला नहीं देखा है पिता जी को चुप देख कर विक्की बोल उठा।

नहीं कोई नही जायेगा मेरे साथ इस बार मैं अकेले ही जाऊंगी मां ने पिता जी की तरफ चिढ़ कर देखते हुए गर्जना की और अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया।

इतने दिनो से घर में पसरी हुई अशांति आज अपने चरम पर पहुंच चुकी थी।जब से मां पर यह जिद सवार हुई थी दिन रात घर में बस इसी बात पर वाद विवाद और मनमुटाव होता रहता था।

वास्तव में मन की अशांति खान पान शयन सबको प्रदूषित कर रही थी पूरा घर शांत दिखता था परंतु अशांति के लावे फूटते रहते थे।

पिताजी …. विक्की के जोर से हिलाने पर पिता जी जैसे होश में आए।

विक्की की मां दरवाजा खोलो …. तुरंत दरवाजे पर हाथ मारने लगे देखा तो दरवाजा खुला था।

लो ये दो टिकट बुक हो गए हैं एक सप्ताह बाद चलना है खामोश आंख बंद कर लेटी मां के माथे पर हाथ रख पास बैठते हुए पिताजी ने स्नेह से कहा तो मां उठ कर बैठ गई ।

सच कह रहे हैं आप एक ही पल में चेहरे के भाव खिल उठे।

आप भी खुशी खुशी चल रहे हैं ना मां ने फिर से आश्वस्त होना चाहा था।

अरे चलो भई तुम्हारी खुशी ही हमारी खुशी है तुम खुश तो हम भी खुश पिता जी ने गुदगुदी हंसी के साथ कहा तो मां शर्मा गई।

मां चलो गाड़ी बाहर निकाल दी है शॉपिंग करने नही जाना है क्या विक्की ने बाहर से जोर से आवाज लगाई तो मां चौंक गई शॉपिंग करने कौन जा रहा है विक्की।

हम जा रहे हैं और हमारी श्रीमती जी जा रही हैं अरे भई जिंदगी में पहली बार तुम्हारे साथ घूमने जा रहे हैं तो कायदे के कपड़े तो खरीदने पड़ेंगे ना ….तभी तो फोटो भी अच्छी आयेंगी और वीडियो भी शानदार बनेगा… वैसे भी शिमला ठंडी जगह है और तुम्हें गरम कपड़ों की जरूरत है… पिता जी मां की ओर मुस्कुरा कर देखते हुए कहा तो मां निहाल हो गई।

और फिर तुम्हारी देवरानी भी तुमसे पूछेगी शॉपिंग नहीं की?? तो कुछ दिखाने और बताने को होना चाहिए ना तुम्हारे भी पास पिता जी ने मां को फिर छेड़ा..!!

आप भी ना… मां झेंप गई और तुरंत तैयार होने चल पड़ी…।

घर आज फिर शांत हो गया था पर इस बार की शांति में संतोष और प्रसन्नता की मिठास भी शामिल थी।

लतिका श्रीवास्तव 

#अशांति#

2 thoughts on “जिद – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi”

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!