“क्या हुआ सपना, इतनी अपसेट क्यों लग रही हो?,, अपनी पत्नी को उदास देखकर रोहित ने पूछा ।
“कुछ नहीं सोंच रही हूँ ये जाॅब छोड़ दूं । ,,
“क्यों क्या हो गया ? कितनी मेहनत से तुम्हें ये जाॅब मिली है । आफिस भी ज्यादा दूर नहीं है । फिर क्यों छोड़ना चाहती हो?,,
” रोहित तुम समझ नहीं रहे हो , वो आफिस में हम सिर्फ तीन हीं महिला कर्मचारी हैं बाकी सभी पुुुरुष हैं । ,,
“तो फिर क्या हो गया। ऐसा तो सभी जगह होता है । मेरे आफिस में भी यही कोई चार पांच हीं महिला कर्मचारी हैं। ,,
“तुम्हें पता है ,आज जब मैं वाशरूम से आ रही थी तब मेरा पल्लू दरवाजे में अटक गया और खींचने पर थोड़ा फट गया। ये देखकर हमारे साथ काम करने वाले शुक्ला जी ने हंसते हुए कहा, ” मैडम, पहले अपना पल्लू सम्भालिए फिर ऑफिस सम्भालिएगा। और हाँ जरा ध्यान रखिये इस आफिस में पुरुष भी काम करते हैं । वो हमेशा हमें नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहते जैसे हमारी कोई इज्जत ही नहीं है। ,,
“और बस तुम डर गई!……अरे, हर फिल्ड में ऐसे लोग भरे पड़े हैं जिनसे औरतों की तरक्की देखी नहीं जाती । पुरुष तो समाज से कहीं जाने वाले हैं नहीं। वो तो हर जगह मिलेंगे। तो क्या तुम घर में बंद हो जाओगी? तुम्हें उसे जवाब देना चाहिए ना की घर में दुबक कर बैठ जाना चाहिए। बराबरी का काम करती हो तो बराबरी का सम्मान और इज्ज़त भी पाने का हक है तुम्हारा। ,,
” लेकिन वो अजीब तरह से बिहेव करता है । मैं क्या करूँ? ,,
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” सबसे पहले अपने बाॅस से अलग लेडिज केबिन की डिमांड करो ,जिसमें तुम लोग कम्फर्टेबली बैठ सको और अपना काम कर सको । और दूसरा कल से तुम साड़ी पहनकर नहीं बल्कि आफिस ड्रेस में आफिस जाओगी, जिस तरह शादी से पहले जाती थी। ,,
” क्या अब मैं आफिस ड्रेस पहन सकती हूँ ?,, सपना ने आश्चर्य से पूछा ।
” क्यों नहीं, जब शादी के बाद मेरा पहनावा नहीं बदला तो तुम्हें भी अपना पहनावा बदलने की कोई जरूरत नहीं है । पता है सपना ,जब औरतें ज्यादा शर्माती हैं या डरती हैं तो मानो मर्दों को लाईसेंस मिल जाता है उन्हें तंग करने का । वहीं अगर औरतें बिंदास दिखतीं हैं तो किसी की हिम्मत नहीं होती उन्हें कुछ कहने की । ये बराबरी की दुनिया है मैडम यहाँ डरने से नहीं डटने से काम चलता है । और मुझे पता है मेरी बीवी बहुत बहादुर है।,,
रोहित की बात से जैसे सपना में एक नई ऊर्जा का संचार हो गया। उसमें आत्मविश्वास आ गया ।
सच में जब अगले दिन सपना आफिस ड्रेस में आफिस गई तो उसी पुरुष कर्मचारी (शुक्ला जी ) की आंखे नीची हो गई । छह महीने में हीं सपना ने अपनी मेहनत से तरक्की कर ली । एक दिन शुक्ला जी की फूली हुई तोंद के कारण छींकते हुए उनके कमीज़ का बटन टूट गया । अब वो सारे आफिस में अपनी झांकती हुई तोंद के साथ घूम रहे थे। उनकी ये हालत देखकर सपना ने चुटकी लेते हुए कहा, “शुक्ला जी, जरा ध्यान से , याद रखिये इस आफिस में महिलाएं भी काम करती हैं । ,,
शुक्ला जी झेंप गए उनसे कोई जवाब देते नहीं बन रहा था सपना ने अपनी साथी महिला कर्मचारी से कहा , ” हम औरतें तो पल्लू के साथ और पल्लू के बिना भी सबकुछ सम्भाल सकती हैं ,लेकिन इन मर्दों के पास तो कोई दूसरा आप्शन भी नहीं है ,, और सभी मुस्कुरा उठीं ।
#इज्जत
सविता गोयल।