यह कैसा प्यार है – मनीषा भरतिया 

शादी को लेकर बचपन से ही रश्मि  के मन में कई भ्रांतियां थीं, क्योंकि बचपन से ही उसने अपने मम्मी-पापा के बीच झगड़ा ही देखा| वो जब भी एक दूसरे से बात करते, शुरुआत झगड़े से ही होती थी| छोटी-छोटी बातों पर चिल्लाना, एक दूसरे पर ताना कशी करना, अपने आप को ही सही समझना, वगैरह-वगैरह| यह सब देख कर वह हमेशा यही सोचती रहती कि जिस तरह मम्मी पापा एक दूसरे से झगड़ा करते रहते हैं, वैसे ही शादी के बाद उसका पति भी उसके साथ ऐसे ही झगड़ा करेगा, बात बात में भला बुरा कहेगा, ताना देगा, यह सब ख्याल आते ही वह डर जाती|

एक तो बार-बार उसकी मां का उसके पिता को यह कहना कि मैं तो अपने दहेज में भर भर के सोना लाई थी| अगर पता होता कि तुम ऐसे निकलोगे मैं कभी तुमसे शादी नहीं करती| रोते-रोते बोल देना मेरा सोना दे दो मैं अभी घर छोड़ कर जा रही हूं| तब उसके पिताजी कहते, हां हां जल्दी लो और जाओ पिंडा छूटेगा| हां आप तो चाहते ही हैं कि मैं चली जाऊं, क्योंकि आप तो मुझसे प्यार करते ही नहीं, और ना कभी करोगे| वह तो मैं मेरी बिटिया के लिए रुकी हुई हूं और आपको बर्दाश्त कर रही हूं| कहे देती हूं, मेरी बिटिया बड़ी हो जाए, उसकी शादी हो जाए, फिर एक पल भी यहां नहीं रुकुंगी| अगर रुकी तो आप की जूती मेरा सर| 

उसके पिताजी हंसते लगते| अरी भागवान यह ड्रामा बंद करो, 10 सालों से सुनता आ रहा हूं| वो अभी बेटी पैदा हो गई है, नहीं तो छोड़ कर चली जाती, एक बार बेटी जवान हो जाए, उसकी शादी हो जाए वगैरह-वगैरह| चलो अब गुस्सा थूक दो, गलती हो गई माफ कर दो, हां मुझे भी माफ कर दो| मैंने भी कुछ ज्यादा ही बोल दिया था| रश्मि  मन ही मन यह सोचती यह कैसा प्यार है, 1 मिनट में रूठना, 1 मिनट में मनाना| यह सब तो जैसे रोज की दिनचर्या बन गया था| ऐसा एक भी दिन नहीं गुजरता की उसके मम्मी पापा के बीच लड़ाई ना हो, अब तो उसे भी आदत पड़ गई थी|




वक्त बीतता गया, रश्मि  भी छोटी से बड़ी हो गई| अब वह घड़ी आ गई थी| जब उसे रिश्ते की डोर से बंधना था, वह यह जानती थी| जितने भी बहाने बनाऊ शादी तो करनी ही पड़ेगी क्योंकि कोई भी माता-पिता लड़की को सारा जीवन घर में बिठाकर नहीं रखते, इसीलिए माता पिता के कहने पर डरते हुए ही सही उसने शादी के लिए हां कर दी | लड़का इंदौर से था| खानदान भी अच्छा था, देखने सुनने में भी अच्छा ही दिख रहा था| दोनों परिवारों में बात हुई, और शादी पक्की हो गई| आखिर वह घड़ी आ ही गई जब उसे विदा होकर मायके से ससुराल जाना पडा| उसने जैसे सोचा था |

विकास बिल्कुल उसके अनुरूप था| बहुत ही सुलझा हुआ और नेक विचारों वाला, और उसके ससुराल वाले भी बहुत ही नेक दिलवाले थे| ससुराल वाले उसे बहु नहीं बेटी मानते, विकास भी उसका बहुत ध्यान रखता, उसकी हर छोटी बड़ी जरूरतों का ख्याल रखता, घर के कामों में भी हाथ बंटाता| जितना भी समय उसे काम के बाद मिलता, वह उसके साथ बिताता, घुमाने लेकर जाता, सिनेमा दिखाता, शॉपिंग कराता, होटल में लेकर जाता, उसकी हर छोटी बड़ी खुशी का ख्याल रखता, यहां तक कि उसने तो यह भी कह दिया कि तुम्हारा अगर कोई भी सपना है जो तुम किसी कारणवश पूरा नहीं कर पाई, तो अभी भी देर नहीं हुई है| तुम चाहो तो उसे साकार कर सकती हो और हां अगर मेरी मदद की जरूरत हो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं|




यह सुनकर वह एकदम से खिलखिला गई और कहा धन्यवाद| धन्यवाद विकास जी आप बहुत अच्छे हैं| मैं तो पता नहीं क्यों शादी के नाम से ही डरती थी| क्योंकि बचपन से ही मैंने अपने मम्मी पापा को छोटी-छोटी बातों पर लड़ते झगड़ते देखा, इसलिए शादी के ख्याल से ही मेरे दिल में खौफ था| लेकिन सच में आप एक बहुत ही अच्छे इंसान हैं और उससे भी ज्यादा एक अच्छे पति और बेटे हैं| तनाव में रहने के कारण अपने सपने को कभी मंजिल दे ही ना सकी| बचपन से यह ख्वाब देखा गायिका बनने का, वह तब ना हो सका, लेकिन कोई बात नहीं, आपके सपोर्ट के साथ अब हो जाएगा|

विकास ने कहा क्यों नहीं? तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत है तो मुझे बताओ, मैं व्यवस्था कर दूंगा| उसने कहा मुझे एक संगीत टीचर चाहिए जो मुझे गाने का अभ्यास करा सके और सुरों का ज्ञान भी कराए, ताकि मैं बेहतर गायिका बन सकूं| ठीक है कल से ही टीचर आ जाएगी और तुम अपने सपनों को पूरा कर सकती हो, और भी किसी चीज की जरूरत हो तो प्लीज बोलना, मैं हमेशा हर घड़ी हर जगह तुम्हारे साथ हूं|

नहीं शुक्रिया, आपने जो मेरे लिए किया है, वह तो मेरी उम्मीद से भी बहुत ज्यादा है| एक बार फिर से धन्यवाद कहना चाहती हूं, वैसे तो धन्यवाद बहुत छोटा शब्द होगा आपकी प्रशंसा में, यह भी कहना चाहती हूं| आपको भी अगर मेरी कोई भी हेल्प लगे तो बेझिझक बोलिएगा| मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं| आपकी बहुत इज्जत भी करती हूं| आपकी पत्नी होना मेरे लिए गर्व ही नहीं सम्मान की बात है| अगर मैं अपने सपनों को पूरा कर पाई, तो इसका श्रेय भी आप ही को जाएगा| आप सचमुच में मेरी प्रेरणा हो, मुझे आपसे बहुत कुछ सीखना है| एक बात और कहना चाहूंगी भगवान करे हर लड़की को आप जैसा वर मिले ताकि जिस तरह से आप मेरी प्रेरणा बने हो, उसी तरह से हर पति अपनी पत्नी के लिए प्रेरणा बने|

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मनीषा भरतिया 

 

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