यह मुझे मंजूर नहीं – डॉ कंचन शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

‘बहू कान खोलकर सुन लो ! तुम्हारी सहेली की बेटी से मैं अपने पोते की शादी नहीं कराऊंगी ये मेरा आखिरी फैसला है इस घर में आज तक वही हुआ है जो मैंने चाहा है और आगे भी यही होता रहेगा मेरे सामने ये बात रखने की हिम्मत तुमने कैसे की कहां हमारा शाही खानदान और कहां  वो तुम्हारी सहेली जिसकी हमारे सामने बैठने की औकात नहीं है वो हमारे बगल में बैठेगी ये तुमने सोच कैसे लिया!!?”

सुगंधा की सास ने अपनी कड़कदार आवाज में कहा 

“मां जी!! मेरी सहेली की हैसियत भी कुछ कम नहीं है वो हमारे जितनी अमीर नहीं है पर उसका दिल बहुत अमीर है आपकी नजरों में वो छोटी होगी पर मेरी नज़रों में वो बहुत बड़ी है आपको उसका अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है वैसे मैं एक बात आपसे पूछना चाहती हूं मेरी सहेली की बेटी महक में क्या बुराई है”? सुगंधा ने अपनी सास से व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा!

“वह शहर की पढ़ी लिखी लड़की अंग्रेजी कपड़े पहनती हैं वो हमारे शाही खानदान  के रीति-रिवाज क्या निभाएंगी कहां हमारा ऊंचा खानदान और कहां उसका मामूली सा परिवार” ? सुगंधा की सास ने अंहकार भरी आवाज में  व्यंग से जवाब दिया!

” मां जी! गौरव! महक को पसंद करता है”सुगंधा ने गम्भीरता से कहा !

‘यह प्यार वार के चोंचले मैं नहीं जानती मैंने जो कह दिया ” वह कह दिया!! अब मैं किसी की नहीं सुनूंगी” सुगंधा की सास ने कठोरता से जवाब दिया!

‘मां जी आज आपको मेरी बात सुननी पड़ेगी!! सुगंधा ने भी कठोर शब्दों में जबाव दिया 

” बहू तुम मुझसे ऊंची आवाज में बात कर रही हो तुम्हारी इतनी मजाल!!?” सुगंधा की सास ने गुस्से में कहा 

  सुगंधा ने जैसे अपनी सास की बात सुनी ही नहीं उसने अपनी बात जारी रखी,

“मां जी गौरव महक से ही शादी करना चाहता है इसलिए मैं गौरव की शादी महक से ही करवाऊंगी ऐसा करने से मुझे कोई नहीं रोक सकता आप भी नहीं”!! सुगंधा ने अपनी सास से कठोर शब्दों में कहा 

“तुम मुझसे बहस क्यों कर रही हो तुम कौन होती हो इस घर के फैसले में दख़ल देने वाली??जो मैंने कह दिया वही होगा मेरा फ़ैसला नहीं बदलेगा!! सुगंधा की सास ने गुस्से में जवाब दिया। 

अपनी सास की बात सुनकर सुगंधा जी के चेहरे पर भी गम्भीरता छा गई ” मां जी मैं इस घर की बहू हूं मुझे भी इस घर के फैसले में दखल देना का हक है सबसे बड़ी बात मैं गौरव की मां हूं उसकी दुश्मन नहीं मैं अपने बेटे की शादी किसी और लड़की से करवा कर  अपनी तरह किसी और लड़की की और अपने बेटे की जिंदगी बर्बाद नहीं होने दूंगी, “सुगंधा जी ने सख्त लहज़े में कहा

“तुम कहना क्या चाहती हो मेरे बेटे से शादी करके तुम्हारी जिंदगी बर्बाद हो गई तुम होश में तो हो इतने बड़े खानदान की बहू हो?”

क्या नहीं है तुम्हारे पास मान, सम्मान धन, दौलत राज करा रहा है मेरा बेटा और क्या चाहती हो तुम” ? सुगंधा की सास ने गुस्से में चिल्लाते हुए पूछा!!

‘हां मैं इस बड़ी हवेली की बहू हूं सब कुछ दिया है! आपके बेटे ने मुझे! परंतु वह कभी नहीं दिया, जो एक पत्नी अपने पति से चाहती है, मैं इस घर पर जरूर राज कर रहीं हूं। पर उनके दिल पर नहीं वहां किसी दूसरी औरत का राज है !! और हमेशा रहेगा। सुगंधा ने अपनी सास को घूरते हुए गुस्से में कहा  जवाब दिया!

सुगंधा की सास ने चौंककर उसकी ओर देखा , सुगंधा का चेहरा गम्भीर और सपाट था वहां सिर्फ़ कठोरता थी, सुगंधा ने फिर कहना शुरू किया ” मां जी !! आज मैं चुप नहीं रहूंगी आपने अपने बेटे की शादी मुझे जबरदस्ती करा दी, जबकि वह किसी और से प्यार करते थे और शायद आज भी करते हैं

ये बात आप अच्छी तरह से जानती हैं आपने कुल खानदान के नाम पर दो दिलों की बलि चढ़ा दी। आपके बेटे ने आपका सम्मान करते हुए दुनिया के सामने और इस घर में मुझे पत्नी का दर्जा दिया पर अपने दिल में कभी भी मुझे वह स्थान नहीं दिया जो एक पति अपनी पत्नी को देता है। जो मेरे साथ हुआ है वह मैं किसी और लड़की के साथ नहीं होने दूंगी यह मेरा अंतिम निर्णय है। मेरा बेटा महक से प्यार करता है तो मैं उसकी शादी किसी और से कभी नहीं करूंगी, 

अब इस घर में कभी कोई दूसरी सुगंधा नहीं आएगी। वही लड़की मेरे बेटे की पत्नी बनेगी जिससे वह प्यार करता है। आपने अपने बेटे के जीवन का फ़ैसला किया, क्योंकि वह आपके बेटे थे उन पर आपका अधिकार था गौरव मेरा बेटा है उसके जीवन का फ़ैसला मैं करूंगी यह मेरा अधिकार है  यह शिक्षा मुझे आपसे ही मिली है मां जी । इसलिए मेरे इस फ़ैसले से किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए मैं तो इस खानदान की रीत को आगे बढ़ा रही हूं इस खानदान में अपने बेटे के विवाह का फैसला मां ही देती है तो मैं भी वही कर रही हूं”। 

सुगंधा ने कठोरता से व्यंग्यात्मकता लहज़े में जवाब दिया।

सुगंधा की सास सुगंधा की बातें सुनकर पहले तो सकपका गई क्योंकि सुगंधा की हर एक बात बिल्कुल सही थी। तभी सुगंधा की नज़र अपने पति पर पड़ी जो शायद बहुत देर से वहां खड़े सुगंधा की बात सुन रहे थे। सुगंधा ने अपने पति को गहरी नज़रों से देखा उसके चेहरे पर व्यंग्यात्मक मुस्कुराहट फ़ैल गईं फिर वो वहां से चलीं गईं, सुगंधा के जाने के बाद सुगंधा की सास ने अपने बेटे से कहा, ” देखा बेटा अपनी पत्नी को कैसे कत्तनी की तरह जुबान चला रही थी मुझसे   ??

यह सब इसकी सहेली का सिखाया पढ़ाया है !! वो मेरे हीरे जैसे पोते से अपनी लड़की की शादी बिना दहेज़ के कराना चाहती है। मैं अपने पोते के लिए अपने जैसे अमीर खानदान की लड़की लाऊंगी इसके कहने से क्या होता है। जहां मैं चाहूंगी वहीं शादी होगी और तुम कान खोलकर सुन लो तुम्हें मेरा साथ देना होगा । सुगंधा की सास ने अपने बेटे को धमकाते हुए कहा

मां! सुगंधा ठीक कह रही है !! गौरव की शादी वहीं होगी जहां गौरव चाहेगा मैं सुगंधा की बात से सहमत हूं जो गलती आपने की है वो अब सुगंधा नहीं करेगी इस घर में इतिहास दोहराया नहीं जाएगा यही मेरा भी फ़ैसला है आज मैं आपकी कोई बात नहीं सुनूंगा और न ही आपके गलत फैसले में आपका साथ दूंगा” सुगंधा के पति ने गम्भीरता से अपनी मां को जवाब दिया और वो भी अंदर चलें गए सुगंधा की सास भौचक्की होकर अपने बेटे को जाते हुए देखती रह गई आज वो टाक सा मुंह लेकर रह गई।  वो समझ गई कि, अब उनकी तानाशाही इस घर में नहीं चलेंगी क्योंकि झूठ को तो एक दिन झुकना ही पड़ता है।

डॉ कंचन शुक्ला 

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश 

#मुहावरा टका सा मुंह लेकर रह जाना

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