यह जीवन का सच है – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

मैंने सोचा आज ऑफिस जाने के पहले एक बार मंदिर चला जाता हूँ । यही मेरी आदत भी है कि जब भी दिल कहता है सीधे ईश्वर के पास माथा टेकने चला जाता हूँ । मैंने अभी सीढ़ियों पर पैर रखा ही था कि वहाँ बैठी हुई औरतों में एक औरत कुछ जानी पहचानी सी लगी थी ।

मैंने पलटकर उस चेहरे की एक झलक को देखा तो था परंतु याद नहीं आ रही थी कि कहाँ देखा है । इस बीच उन्होंने सर के पल्लू से चेहरा भी ढँक लिया था ।

मैं मंदिर में ईश्वर के सामने था परंतु उस औरत को याद करने की कोशिश कर रहा था । हाँ कमला जी सही है यह वहीं है । ईश्वर को नमस्कार करते हुए मैं सीढ़ियों के पास पहुँचा वे वहीं पर बैठी हुई थी मैंने कहा कमला जी उन्होंने मुझे देखते हुए कहा कि तुम !!!!

मैंने अपने आप ही परिचय देते हुए कहा कि कमला जी मैं प्रज्वल । उन्होंने मुझे पहचानते हुए कहा तुम हो प्रज्वल ?  कैसे हो ? उन्होंने बहुत ही कमजोर आवाज़ में पूछा था । मैंने कहा कि मैं ठीक हूँ कमला जी परंतु आप यहाँ इस हालत में?

उन्होंने कहा कि मेरा भाग्य जो फूट गया है कहते हुए उनकी आँखों में आँसू आ गए थे ।

आप यहाँ से उठिए और मेरे साथ चलिए । हम बाद में बातें करते हैं कहकर ज़बरदस्ती से उन्हें अपने घर ले आया था।

मेरी पत्नी सुप्रिया भी उनकी इस दशा को देखकर बहुत दुखी हो गई थी । उसने उन्हें चाय पिलाई कहा कि आप नहाकर खाना खाकर आराम कीजिए हम शाम को बात करेंगे कहते हुए उन्हें नहाने के लिए भेज दिया था ।

जब वे नहाकर अच्छे कपड़े पहनकर आईं थीं तो उन्हें खाना खिलाया । वे खाना ऐसा खा रहीं थीं जैसे बरसों बाद स्वादिष्ट खाना खा रहीं हों ।

 मुझे इस तरह से उन्हें खाते हुए देख कर बुरा लग रहा था कि एक ज़माने में इन्हीं हाथों से उन्होंने कितने ही लोगों को खाना खिलाया था । आज उन्हीं हाथों से भीख माँग रहीं थीं बरबस ही मेरी आँखें भर आईं थीं ।

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 उन्हें एक छोटी सी बच्ची के समान बेफ़िक्री से सोते हुए देख हम पति पत्नी का दिल भर गया था ।

रघुनाथ जी हमारे ऑफिस में मेरे बॉस थे । दोनों की जोड़ी शिव पार्वती के समान दिखाई देती थी ।

ऑफिस में किसी को भी कोई ज़रूरत होती थी तो दोनों हम हैं ना कहते हुए उनकी ज़रूरतों को पूरा करने में वे हिचकिचाते नहीं थे । ऑफिस में सबको अपने परिवार के समान देखते थे । ज़रूरत पड़ने पर हम सब उनसे ही सलाह मशविरा भी कर लिया करते थे ।उनका एक ही बेटा था सूरज अब वह कहाँ होगा । कमला जी को देख कर ही लग रहा था कि सर इस दुनिया में नहीं रहे ।

उन्हें मंदिर के पास क्यों बैठना पड़ा है ऐसे बहुत सारे सवाल मेरे दिमाग़ में चक्कर काट रहे थे । मुझे परेशान देखकर पत्नी ने कहा कि आप परेशान मत होइए । वे उठकर आपको सब बता देंगी । आप भी थोड़ी देर सो जाइए । सुप्रिया को क्या बताऊँ कि मेरे ऊपर कितने एहसान किए हैं उन्होंने । मेरी नौकरी जाने वाली थी उसे भी उन्होंने सँभाल लिया था । आर्थिक रूप से कई बार उन्होंने मेरी मदद की थी । जब भी मैं उनके घर गया कमला जी पेट भर कर खाना खिलाए बिना भेजती नहीं थी । मैं जब घर बना रहा था तब उन्होंने पैसों की मदद की थी उनके बिना तो मैं नए घर में पहुँच ही नहीं पाता था । इसलिए मुझे कमला जी की फ़िक्र हो रही है ।

जब शाम को वे उठीं तो हम तीनों बैठकर चाय पी रहे थे । मैंने पूछा कमला जी आपका बेटा सूरज कहाँ रहता है ।

कमला जी ने कहा कि वह हैदराबाद में ही रहता है प्रज्वल उसके दो बच्चे भी हैं ।

मैं असमंजस में पड़ गया और धीमी आवाज़ में पूछा कि फिर आप यहाँ इस हालत में?

तुम्हारे रघुनाथ सर के रिटायर होने के बाद सूरज ने हमें उसके साथ रहने के लिए बुलाया था तो हमने वहाँ का घर जायदाद सब कुछ बेचकर उसके साथ रहने के लिए आ गए थे ।

कुछ दिन तक तो सब ठीक ही चला मालूम नहीं कैसे उसके मन में स्वार्थ की भावना आ गई थी । उसे लगने लगा कि यहीं हैदराबाद में एक फ़्लैट खरीद लूँ और बच्चों के नाम पर प्रॉपर्टी ख़रीद लूँ ।

वह तुम्हारे सर से पैसे माँगने लगा हमने भी यही सोचा था कि हमारा अकेला लड़का है हमारी संपत्ति उसकी ही है बाद में देने के बदले अभी ही ले ले रहा है कोई बात नहीं है सोचते हुए पूरे पैसे उसे दे दिया था । हमारे पास एक भी पैसा नहीं था जब तुम्हारे सर बीमार पड़ गए थे ।

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हम जब पैसे माँगते थे तो ग़ुस्सा करने लगा । एक रात ये बहुत बीमार पड़ गए थे तो उन्हें उस्मानिया हॉस्पिटल ले जाकर भर्ती कर आया उसके बाद एक बार भी देखने नहीं आया था । उन्होंने अपने अंतिम दिनों में बहुत ही कष्ट सहा था ।  शारीरिक रूप से दुखी थे ही परंतु मानसिक रूप से बहुत ही अस्वस्थ हो गए थे । मैं कई बार ईश्वर से प्रार्थना करती थी कि इन्हें अपने पास जल्दी से बुला लो ।

मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि दुश्मन को भी ऐसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़े । उनकी मृत्यु शाम को हो गई थी तो अपने घर यह कहकर नहीं ले गया था कि रात भर घर में उनकी बॉडी को रखूँगा तो बच्चे डर जाएँगे ।

मैंने मन में सोचा ऐसे कसाई बेटे के हाथ से उनका अंतिम संस्कार कराऊँगी तो उनकी आत्मा को भी शांति नहीं मिलेगी इसलिए उनकी बॉडी को मेडिकल कॉलेज में डोनेट कर दिया और उसका मुँह भी देखने की इच्छा नहीं हुई थी तो सीधे यहाँ गुंटूर आकर मंदिर के पास आकर बैठ गई हूँ ।

यह सब बताते हुए बीच बीच में रोते हुए रुक जाती थी । उनके मुख यह सब सुनकर मैं और सुप्रिया जडवत हो गए थे परंतु आँखें बरस रहीं थीं । मैंने कहा कि सर नहीं रहे तो क्या हुआ हम सब आपके साथ हैं।  आप निश्चिंत होकर हमारे पास रहिए ।

उन्हें इस बात का दुख था कि पति के मरने के बाद उनके नाम पर कुछ क्रियाकर्म नहीं किया है । मैंने उन्हें सांत्वना दिया और सर के नाम पर सौ लोगों को खाना खिलाया कपड़े बाँटे । सर के बारे में पता चलते ही ऑफिस से बहुत सारे लोग आ गए । सबने अपनी तरफ़ से मदद की और कमला जी से कहा हम हैं आपको दुखी होने की ज़रूरत नहीं है । हमें आश्चर्य इस बात का हुआ कि उन्होंने सबको उनके नाम से धन्यवाद किया था । मुझे लग रहा था कि उनके बेटे के घर जाऊँ और उसे खूब खरी खोटी सुनाऊँ ।

हमने उन्हें अपने साथ ही रहने के लिए कहा परंतु वे तैयार नहीं हुईं तो उनके लिए सारी सुख सुविधाओं से युक्त एक वृद्धाश्रम देख कर उसमें उन्हें रखा । हम कभी कभी उन्हें देख कर आ जाते थे ।

वृद्धाश्रम जाते समय उन्होंने हम पति पत्नी को बिठाकर कहा मैं तुम लोगों से एक बात कहना चाहती हूँ बुरा मत मानना । प्रज्वल तुम बता रहे थे कि तुम छह महीने में रिटायर हो रहे हो तुम्हारा भी एक बेटा है । हम लोगों के समान पुत्र प्रेम में पड़कर सब कुछ उसके नाम मत कर देना।

लोग कहते होंगे कि रिश्ते प्यार इनके सामने पैसों की कोई क़ीमत नहीं है परंतु यह गलत है एक उम्र में पैसों की ज़रूरत होती है । यह कटु सत्य है बेटा । पति पत्नी में से कौन पहले कौन बाद में चला जाएगा पता नहीं है यह सुनने में अच्छा नहीं लगता है परंतु जो जीवित है उसे अकेलापन तो खलता ही है साथ ही अपने बच्चों पर निर्भर होना भी मुश्किल है इसलिए हमारे बाद ही बच्चों को पैसे देने चाहिए ।

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मैं नहीं कहती हूँ कि सारे बच्चे सूरज के समान होंगे । मेरे ख़याल से सावधानी बरतने से गलत नहीं है ना । हमारे जैसे कई लोग ऐसे ही हैं जो बच्चों के प्यार में पागल होकर सड़क पर आ गए हैं ।

मैं तुम्हें आगाह कर रही हूँ यह नहीं समझना कि तुम्हारे बेटे पर शक कर रही हूँ । तुम्हारे दिल को दुखाया है तो मुझे माफ करना मुझे लगा कि तुम्हें बताऊँ इसलिए बता दिया है ।

वे जब जा रहीं थीं तो ज़बरदस्ती उनसे सूरज का पता मैंने ले लिया था । मेरा बेटा भी हैदराबाद में ही रहता है तो मैं सुप्रिया को लेकर हैदराबाद पहुँच गया । सूरज का पता देखा तो बेटे के घर के पास ही उसका अपार्टमेंट था । मैं सीधे उसके घर नहीं जाना चाहता था । उससे ऐसे मिलना चाहता था जैसे कि अचानक उससे मुलाक़ात हो गई है ।

मुझे ऐसा मौक़ा मिल गया था । एक दिन घर के पास के सुपर मार्केट में मेरी मुलाक़ात उससे हो गई थी । उसे देखते ही मैंने कहा तुम सूरज हो ना रघुनाथ सर का बेटा । उसने पहले तो कहा हाँ मैं रघुनाथ जी का बेटा हूँ।  आपको नहीं पहचाना कहते हुए फिर कहा अरे! आप प्रज्वल अंकल हो ना । वाहहह बहुत जल्दी ही तुमने मुझे पहचान लिया है ।

अंकल बचपन से मैं आपको देख रहा हूँ तो भूल कैसे जाऊँगा । उसे मैंने अपने बेटे के बारे में बताते हुए कहा कि हम उसके पास आए हैं ।

मैंने कहा कि यह सब तो ठीक है सूरज रघुनाथ जी और कमला जी कैसे हैं । उसने उदास होकर कहा कि दोनों ही अब इस दुनिया में नहीं रहे । पिताजी दिल के दौरे से गुजर गए और माँ उनकी ही याद में छह महीने बाद उनके पास चली गई है।

उसने ही कहा कि प्लीज़ अंकल घर चलिए ना मेरा घर यहीं पर है ।

मैं इसी बात का इंतज़ार कर रहा था तो उसके साथ उसके घर पहुँच गया । जैसे बैठक में पहुँचा मेरे कदम अपने आप रुक गए मुँह खुला ही रह गया था क्योंकि सामने ही रघुनाथ सर और कमला जी की फ़ोटो थी जिस पर हार चढ़ा हुआ था । मन ही मन सोचा इडियट ज़िंदा माँ को भी हार पहना दिया है । दुनिया में इससे ज़्यादा अभागा कौन हो सकता है ।

मुझे तो लग रहा था कि उसके दोनों गालों पर जोर का तमाचा मारूँ । मैं अभी से कुछ बवाल खड़ा नहीं करना चाहता था इसलिए बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक लिया।

तीसरे माले पर ड्यूप्लेक्स घर में रह रहा है माँ को सड़क पर छोड़ कर पिताजी के पैसों से ऐश कर रहा है । मेरा खून खौल उठा था । उसने अपनी पत्नी और बच्चों से परिचय कराया ।

मैंने ही कहा रघुनाथ सर बहुत ही अच्छे इंसान थे हम सब उन्हें बहुत चाहते थे । उसी समय उसकी पत्नी ने बोलना शुरू किया था कि मेरी सास भी बहुत अच्छी थी । हम दोनों में माँ बेटी का रिश्ता था । हमें देख कोई नहीं सोच सकता था कि हम सास बहू हैं । पूरे घर को वही सँभालतीं थीं । उनके जाने के बाद हमारे सर से बड़ों का हाथ ही उठ गया है । कहते हुए मगरमच्छ के आँसू बहाने लगी ।

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मुझे बहुत ग़ुस्सा आ रहा था और मैं अपने आपको रोक नहीं सका । मैंने कहा अरे आप दोनों उनके लिए इतने दुखी हैं पता चलता तो आपकी माँ जैसी सास आपके घर की बड़ी को अपने साथ लेकर आ जाता था ।

इस बात को सुनते ही दोनों एक-दूसरे के मुँह को आश्चर्य चकित होकर देखने लगे थे । मैंने ही कहा कि सूरज तुममें थोड़ी सी भी इनसानियत बची है कि नहीं इतने अच्छे माता-पिता के संतान होकर उनसे तुमने कुछ नहीं सीखा है और इतने स्वार्थी कैसे हो सकते हो

कि जीवित माँ को दरदर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया और उनकी तस्वीर पर माला चढ़ाकर सबके सामने उन्हें मृत घोषित कर दिया है धिक्कार है तुम पर !! तुम तो मनुष्य कहलाने के लायक़ भी नहीं हो ।

पिताजी की मृत्यु हुई तो उन्हें घर लेकर नहीं आए कर्मकांड नहीं किया ईश्वर ऐसा बेटा किसी को भी ना दे । तुम्हारा भी बेटा है सूरज कल वह बड़ा होगा और तुम्हारे साथ ऐसा ही करेगा देख लेना तुम भी भुगतोगे ।

मेरी आवाज़ सुनकर आसपास के लोग अपने अपने घरों से बाहर आकर झांककर जाने लगे थे ।

सूरज जल्दी से जाकर दरवाज़ा बंद करते हुए कहने लगा कि प्लीज़ अंकल धीरे से बोलिए सब सुन रहे हैं । मुझे मालूम है कि एक मिडिल क्लास के व्यक्ति को अपनी इज़्ज़त बहुत ख़याल रहता है इसलिए सूरज भी मिन्नतें कर रहा है ।

मैंने इसका फ़ायदा उठाना चाहा । इसलिए मैं जानबूझकर जोर से कह रहा था कि सुनने दो सूरज जब वे लोग तुम्हारे मुँह पर थूक कर थू थू करेंगे ना तब तुम्हारी अक्ल ठिकाने लगेगी ।

उसी समय सूरज की पत्नी ने कहा कि यह हमारे घर का मामला है हम आपस में निपटा लेंगे आप कौन होते हैं बीच में बोलने वाले ।

हाँ क्यों नहीं तुम लोगों का खून का रिश्ता है तो हमारा उनसे दिल का रिश्ता है समझी जब लोगों को पता चलेगा कि अपनी माँ को सड़क पर छोड़ कर मर गई है कहते हुए उसके फ़ोटो पर हार पहनाने वाले तुम लोगों को वे जूते से मारेंगे और कॉलर पकड़ कर पूछेंगे ऐसे दानव हैं आप दोनों और कुछ नहीं तो मीडिया को बुला लिया ना तो देश भर में आपके किस्से सुनाने लगेंगे बुलाऊँ क्या बोलो । मैंने उसे जानबूझकर धमकाया था ।

सूरज ने पत्नी को डाँट कर चुप कराया और मुझसे कहने लगा कि अंकल आपके पैर पकड़ता हूँ प्लीज़ मेरी इज़्ज़त चली जाएगी । मैं यहाँ पर प्रेसिडेंट हूँ लोग मेरा सम्मान करते हैं । माता-पिता के साथ मैंने बहुत गलत किया है उसके लिए मैं शर्मिंदा हूँ । माँ के लिए मैं क्या करूँ बोलिए वही करूँगा ।

मैंने कहा तुम्हारी माँ वृद्धाश्रम में है उसके बैंक में अभी के अभी पच्चीस लाख रुपये जमा कर ताकि वह अपनी आगे की ज़िंदगी आराम से बिता सके ।

सूरज की पत्नी ने कहा कि पच्चीस लाख आप ऐसा कीजिए कि उन्हें यहाँ ला लीजिए हम उन्हें अपने घर में रख लेंगे ।

मैंने हँसते हुए कहा अरे वाह जब आपके आसपास और रिश्तेदारों को पता चलेगा कि आपने अपनी जीवित माँ की तस्वीर पर फूलमाला चढ़ा दिया है तब उसका जवाब क्या दोगे । तुम्हारे गंदे इरादे लोगों को पता नहीं चल जाएगा मैंने व्यंग्य से कहा ।

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सूरज ने पत्नी को फिर से डाँटा और कहा कि तुम्हारा मुँह कभी बंद नहीं होगा क्या?

सूरज ने कहा कि अंकल जैसा आप कहेंगे मैं वैसा ही करूँगा ।

मैंने हँस कर कहा करना तो पड़ेगा ही सूरज मुझे मालूम है कि यह प्लॉट अभी भी रघुनाथ सर के नाम पर ही है माँ को दिलवा दूँगा और तुम्हें घर से बेघर कर दूँगा समझ गए ना ।

माँ के बेटे को उसकी कोई फ़िक्र नहीं है तो भी हम पचास लोग उनके हाथों से खाना खाए हुए उनके शुभचिंतक अभी हैं । कल ऑफिस से तुम्हारे ही पहचान के और चार लोग आएँगे उनके मुँह से भी थोड़ी बातें सुन लेना । सबके सामने पच्चीस लाख का डिपोजिट माँ के नाम कर देना कहकर उसे धमकी देकर घर आ गया था ।

पच्चीस लाख रुपए देखते ही उदासी भरी हुई कमला जी की आँखों में चमक आ गई थी । उन्होंने खुश होते हुए कहा कि इसका इंट्रेस्ट ही मेरे लिए बहुत है । मेरे बाद यह पैसा मैं इसी आश्रम को डोनेट कर दूँगी ।

उन्होंने हम सबको आशीर्वाद दिया ।

हम सब भी सर से कुछ ना कुछ मदद पाने वालों में से ही हैं । हम सब ने उनसे सीख ली थी कि हमारे जीते जी सब कुछ बेटों के नाम नहीं करेंगे । यह जीवन का सच है इसे हम भूलकर भी नहीं भूले तो अच्छा होगा । मैं उस रात अच्छे से सुकून से सो सका था कि सर ने मेरी बहुत मदद किया था । कमला जी के लिए जो कुछ मैंने किया है उससे उनका थोड़ा सा ऋण चुका पाया हूँ ।

के कामेश्वरी

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