अब आगे…
चिंकी के घर वालों को मना कर रोहन के घर के सभी लोग गाड़ी में आकर बैठ गए हैं …
अभी भी रोहन का मन बेचैन था…
वह बोला..
दीदी..
आज तक मैंने आपकी किसी बात को नहीं काटा…
हमेशा आपकी बात मानी है ..
बट सॉरी टू से..
लेकिन आपका इस तरह का बिहेवियर आज मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा…
आप खुद एक लड़की हैं …
और इस तरीके से एक लड़की के घर वालों को मना करके आई हैं …
क्या यह सही बात है ..??
आप ही बताओ दी…
रोहन मनोरमा की तरफ देखते हुए बोला..
यह तू बोल रहा है भाई…
इससे पहले भी कई बार लड़कियों को शायद इससे भी र्यूड तरीके से मना किया है हमने…
लेकिन अबकी बार शायद तुझे यह बात ज्यादा ही बुरी लग गई…
मनोरमा गुस्से में बोली …
किसने रोका है ,,जा कर ले जाकर शादी …
मनोरमा …
बेटा अब तू शादीशुदा है…
दूसरे घर की है …
अब इस घर में ज्यादा दखलअंदाजी करने की जरूरत नहीं है तुझे…
प्यार से आ…
और कुछ दिन रहकर चली जा…
वहां तो कुछ नहीं बोल पाया मैं…
पर तुझ पर गुस्सा बहुत आ रहा था …
लेकिन तुझे कह रहा हूं फिर से..
तू अपना घर संभाल…
अगर लड़की पसंद नहीं भी आई है हमको या रोहन को…
वह हम बाद में बात कर लेते …
लेकिन इस तरह किसी के घर वालों को निराश करके आना बिल्कुल भी ठीक नहीं है…
ताऊ वीरेंद्र जी बोले…
ठीक है…
आज के बाद मैं कुछ बोलेगी ही नहीं ताऊ जी…
मैं कोई दुश्मन नहीं हूं …
मैं तो बस भाई का भला ही चाहती हूं …
दी गुस्सा मत होइए …
लेकिन हमने गलत तो किया….
रोहन बोला…
मीना जी भी बोल पड़ी…
हां …
सही बात है भाई साहब …
ऐसे किसी का दिल तोड़ना ठीक नहीं है…
हमारे घर में भी लड़कियां हैं …
हमें भी पता है कितनी तकलीफ होती है अगर कहीं रिश्ता नहीं होता है तो …
लड़की पसंद ना आना अलग बात है…
लेकिन मुंह पर मना करना गलत है …
ठीक है …
अब सब मनोरमा के पीछे मत पड़ जाओ…
अब जो हुआ सो हुआ…
लेकिन बात यहां पर ही खत्म हो गई , यह तो अच्छा ही हुआ …
वैसे ही लाडो बेचारी बहुत दुखी हो गई है …
रविकांत जी बोले …
भाई साहब मैं आपकी बात से सहमत हूं…
लेकिन मना तो करना ही था …
क्यों रोहन बेटा ..??
पिता रविकांत रोहन की तरफ देखकर बोले …
पता नहीं पापा …
मना करना सही था या नहीं …
लेकिन अभी ना नहीं कहना था मुंह पर…
घर आ गया…
सभी लोग रास्ते से ही खाना खा कर आए थे…
और अपने-अपने कमरे में जाकर सोने को जाने लगे…
मम्मा …मैं अभी चली जाती हूं …
मनोरमा बोली…
क्यों ..??
अब इतना कुछ सुनने के बाद मेरा मन तो कर नहीं रहा है रुकने का …
नहीं ..
तू कहीं नहीं जाएगी …
आज रात यहीं पर रह …
हमने कुछ कह दिया तो इतना बुरा मानने की क्या बात है…
सच में तू अब हमें पराया समझने लगी है…
मीना जी बोली…
आज रुक जा…
कल आराम से चली जाना …
रोहन छोड़ आएगा…
हां दी…
आज यहीं पर रुकिए…
कल चलेंगे…
रोहन बोला…
सॉरी दी…
अगर आपको मेरी बात का बुरा लगा हो तो…
मनोरमा मुस्कुरा दी ….
तेरी बात का मैंने कभी बुरा माना है भाई …
तो फिर जाइए…
आप आराम से सोइए…
गुड नाईट दी…
रात हो चली थी …
रोहन का मन अभी भी बहुत ही दुखी था…
वह अपना फोन स्क्रॉल कर रहा था…
आज उसका मन फोन पर वीडियो देखने में भी नहीं लग रहा था…
तभी ना जाने उसका मन चिंकी की फोटो को निहारने का करने लगा…
उसने गैलरी खोली …
वह फोटो निकाली ,,जो चिंकी के घर वालों ने भेजी थी …
रोहन उसे जूम करके गौर से देखता रहा …
इतनी भी बुरी नहीं है जितना दी बता रही थी…
मासूम सी लगी मुझे तो…
समझदार भी लगी …
क्या हुआ …
ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है तो…
पर घर तो अच्छे से संभाल लेगी…
तभी रोहन ने फेसबुक खोला …
सर्च बार पर चिंकी टाइप किया …
कई सारी लड़कियां चिंकी नाम की दिखाई पड़ी…
वह चिंकी नहीं दिखाई पड़ी जिसकी रोहन को तलाश थी …
वह निराश होकर फेसबुक बंद ही कर रहा था…
कि तभी उसे चिंकी की फोटो दिखाई पड़ी …
जिसमें वह अपने मम्मी और पापा के साथ खड़ी थी..
अरे हां…
यह तो चिंकी ही है …
रोहन चिंकी की प्रोफाइल में गया…
और देख कर दंग रह गया…
आगे की कहानी कल…
तब तक के लिये जय श्री राधे…
मीनाक्षी सिंह
आगरा