यह आजकल के बच्चे (भाग-5) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अब आगे…

चिंकी रोहन के घर वालों को और शायद रोहन  को भी  पसंद नहीं आई थी..

वह लोग आपस में डिस्कस कर रहे  हैं…

चिंकी के घर वाले खाने की व्यवस्था कर रहे हैं …

गरमा गरम पूड़िया छन  रही है…

तभी चिंकी के घर का लड़का बबलू यह  बात सुन लेता है.. कि  रोहन के घर वालों को चिंकी  पसंद नहीं आई…

चिल्लाता हुआ जाता है …

तभी बबलू की बात सुनकर बटुकनाथ जी चेहरे पर गुस्सा दिए आते हैं …

जी ..

भाई साहब मैं यह क्या सुन रहा हूं…??

जी क्या सुन रहे हैं…

मुझे कुछ समझ नहीं आया …

रोहन के ताऊजी बोले…

यही कि आपको हमारी चिंकी  पसंद नहीं आई है…

क्या कमी है आखिर मेरी बेटी में…

बटुकनाथ जी बोले…

जी ऐसी कोई बात नहीं…

आपके बेटे को शायद कन्फ्यूजन हुई होगी …

हम ऐसी कोई बात नहीं कर रहे थे ..

वह पहले भी लड़कियां देखी थी हमने शायद उसी के बारे में उसने कुछ सुना होगा…

नहीं..नहीं..

ताऊ …

मैंने सही सुना था…

यह कह रहे थे कि हमारी चिंकी दीदी उनके लड़के से बिल्कुल भी मैच नहीं खाती है…

बबलू बोला …

क्या यह सच कह रहा है ..

अगर आपको हमारी चिंकी सच में पसंद नहीं आई है …

तो आप अभी मना कर दीजिए तो ज्यादा अच्छा है….

क्योंकि हम आश  लगा कर बैठ जाते हैं…

फिर बाद में फोन आता है…

तो पूरा घर निराश हो जाता है …

और बाकी रिश्ते तो ऊपर से ही बनकर आते हैं…

मनोरमा को बटुक नाथ जी की बातें समझदारी भरी लगी …

वह सोच रही थी कि अच्छा मौका है कि डायरेक्टली मना कर दे…

वह आगे बढ़कर कुछ कहने वाली थी….

तभी रोहन ने उसका हाथ दबा लिया…

और आंखों के इशारे से कहा…

नहीं दीदी …

मनोरमा रोहन  को साइड में लेकर गई …

आखिर तेरे फ्यूचर का सवाल है भाई …

क्यों तू संकोच  कर रहा है…

अभी मना कर देने दे …

दीदी नहीं …

ऐसे अच्छा नहीं लगता…

किसी लड़की के घर वालों से आप उनके घर आकर के इस तरह बोले कि हमें आपकी लड़की पसंद नहीं है…

भाई तू फिक्र मत कर..

ऐसे नहीं बोलूंगी…

मुझ पर छोड़ दे  सारी बात…

तेरा डिसाइड है ना कि तुझे चिंकी  पसंद नहीं है ….??

दीदी  कंफ्यूजन में हूं…

क्या कंफ्यूजन में है …

तेरी लायक  बिल्कुल नहीं है ये लड़की….

तेरे को बहुत अच्छी मिलेंगी  …

बहन की बात के आगे रोहन  कुछ नहीं बोल पाया…

अंकल …

अंकल आई वांट टू से…

क्या बोली बिटिया …??

यहां पर अंग्रेजी मत बोल …

हिंदी में ही बता दे …

मीना  जी बोली …

अंकल  मैं यह कहना चाहती हूं …कि आपकी बेटी में कोई कमी नहीं है …

वह अच्छी है …

बहुत कुछ जानती है…

लेकिन हमारी चॉइस कुछ अलग है…

हमें नौकरी वाली ,,ज्यादा एजुकेशन वाली लड़की चाहिए…

जो मेरे भाई के एजुकेशन से मैच करे…

और उसकी हाइट से भी मैच करे…

यह बात तो आपको पहले ही पता थी कि चिंकी  आपके लड़के से कद में छोटी है …

और पढ़ाई का भी हमने  आपको बता ही दिया था …

सब लिखा था बायोडाटा में..

चिंकी के चाचा बोले …

हां…

आई नो….

वह सब ठीक है…

मनोरमा  कुछ नहीं कह पा रही थी…

अगर आप लोगों को पसंद नहीं थी…

तो  इस तरह से हमारा समय भी नहीं खराब करना था…

चिंकी के चाचा रोष में बोले अब…

समय खराब करने वाली कौन सी बात है…

हमें नहीं  पसंद आई तो नहीं आई लड़की…

मनोरमा गुस्से में आ गई थी …

आप खुद लड़की होकर कैसी बात कर रही हैं…

आपको खुद  समझना चाहिए कि एक लड़की वाले के दिल पर क्या बीतती  है…

मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ अंकल…

मुझे एक नजर में ही पसंद कर लिया गया था …

बार-बार मीना  और वीरेंद्र जी मनोरमा को रोकने का प्रयास कर रहे थे …

रोहन भी जमीन पर आँखे गढ़ायें  बस सुन रहा था…

हम लोगों ने एडवर्टाइजमेंट निकाला है…

अंकल आप समझते हैं ..

एडवर्टाइजमेंट क्यों निकाला जाता है …

जब हमें अपने आसपास से ,अपने परिवार में कोई अच्छी लड़की जैसा हम चाहते हैं वह नहीं मिलती…

हमारी एक्सपेक्टेशन ज्यादा होती हैं …

तो हम उस तरह की लड़की के लिए डालते हैं ऐड …

आपने क्लियर से पढ़ा था …

हमें नौकरी वाली, एक वेल  एजुकेटेड लड़की चाहिए …

अगर नौकरी वाली नहीं है…

तो एजुकेशन तो ऐसी हो कि आगे चलकर वह अपने पैरों पर खड़ी हो सके …

हमें कितनी हाइट की चाहिए…

वह भी लिखा था ..

बीए एमए पास हमारे  गांव में ही बहुत है…

हम किसी को भी उठा लाते…

चिंकी  आग बबूला हो रही थी यह सब सुनकर ….

बटुकनाथ जी  की आंखों में आंसू आ गए …

ठीक है बिटिया…

कोई बात नहीं…

आप लोगों को पसंद नहीं आई  हमारी लड़की तो कोई बात नहीं..

लेकिन कम से कम आप लोगों के लिए इतना इंतजाम किया है..

खाना तो खा कर जाइए …

रोहन भी बहुत उदास हो गया था…

कि  दीदी ने यह क्या कह दिया …

वीरेंद्र जी का बस चलता तो वह मनोरमा  को थप्पड़ ही मार देते …

और रविकांत जी पर कोई असर नहीं पड़ रहा था..

क्योंकि वह भी  मनोरमा के स्वभाव के ही थे ..

बाप बेटी एक ही तरह  के थे …

जी…

नहीं नहीं..

हमें खाना नहीं खाना है..

हम चलते हैं…

मनोरमा बोली..

जी माफ कीजिएगा …

लड़की की तरफ से मैं माफी मांगता हूं …

जरा यह गुस्से में ज्यादा बोल जाती है…

उसका कहने  का मतलब यह नहीं था…

बस अपने भाई से प्यार ज्यादा करती है ..

तो इसलिए भूल गई कि क्या कहना है….

वीरेंद्रजी  हाथ जोड़कर बोले…

हम लड़की वाले  हैं…

हमें तो झुकना ही  है हर जगह …

लेकिन इस तरह से हमारा भरे समाज के बीच,,हमारे परिवार के बीच बेइज्जत करना कुछ सही नहीं लगा …

आपको लड़की नहीं पसंद आई थी…

कोई बात नहीं ..

लेकिन इस तरह से नहीं कहना चाहिए था बिटिया को ….

जी मैं समझ सकता हूं…

उसकी तरफ से मैं आपसे माफी मांगता हूं….

हमें इजाजत दीजिए….

मैं भगवान से कामना करूंगा आपकी बिटिया को एक योग्य वर मिले ….

और हमसे भी अच्छा परिवार मिले …

वीरेंद्र जी बोले …

सभी लोग चिंकी के घर वालों को नमस्कार कर जाने को हुए…

रोहन ने छत की तरफ देखा….

वहां चिंकी  खड़ी हुई थी…

उसकी आंखें सुर्ख लाल और चेहरे पर आंसू छलक रहे थे …

उसका चेहरा फीका पड़ चुका था….

उसने अपना दुपट्टा मुंह में दबा लिया था…

रोहन शर्मिंदगी महसूस कर रहा था …

उसने अपनी आंखें नीचे की ओर  की ….

बाहर की ओर आ गया …

सभी लोग गाड़ी में बैठ गए …

तभी रोहन बोला …

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जय श्री राधे…

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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