यह आजकल के बच्चे (भाग-4) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अब आगे …

चिंकी को घर की दो औरतें लेकर आ रही  हैं..

नजरे झुकी हुई,,हरे रंग की चमक वाली  साड़ी पहने हुए आ रही है चिंकी…

जिसे देखकर रोहन हक्का-बक्का रह गया…

बैठो बेटा..

वीरेंद्र जी बोले…

बटुक नाथ जी की सहमति मिलने पर  चिंकी सामने पड़े सोफे पर बैठ गई…

रोहन चिंकी के सामने ही था …

मनोरमा चिंकी को देख रही थी …

और कभी रोहन को देख रही थी ..

और मन ही मन बोल रही थी

नो ..नेवर ….

और अपना हाथ  चेहरे पर रख कर बैठ गई …

मीना जी भी निहार रही थी चिंकी  को..

वो झुक झुक कर चिंकी को देखने का प्रयास कर रही थी …

गिर जाओगी ..

कमर लचक जाएगी …

सीधी बैठ जाओ …

रविकांत जी मीना जी को संभालते हुए बोले…

अजी देख तो लेने दो …

क्योंकि चिंकी  ने  सर पर पल्लू ले रखा था …

जी फॉर्मेलिटी की बात नहीं है…

यह सब रहने दीजिए…

अभी तो यह हमारी बेटी है…

थोड़ा उसके सर से पल्लू हटा देंगे…

मीना जी बोली …

हां ..हां ..

क्यों नहीं …

वह तो बस हमेशा से लड़कियां हमारे घर में ऐसे ही दिखाई गयी  हैं …

इसलिए बस…

आजकल तो जमाना बहुत बदल गया है…

चिंकी की मां रेखा बोली…

मीना जी के कहने पर चिंकी के सर के ऊपर से पल्लू उठाया जा रहा था…

मनोरमा  और रोहन सांस रोके बैठे थे…

कि बस लड़की अबकी बार पसंद आ जाए…

तो बात बन जाए …

जैसे ही पल्लू हटाया…

मनोरमा और रोहन एक दूसरे को देखकर उदास हो गए …

और मुंह लटका लिया ….

मीना जी भी , रविकांत जी और वीरेंद्र जी भी एक दूसरे को देख रहे थे …

कि शायद आकर  समय खराब कर दिया है …

पूछ लीजिए जो पूछना हो..

हमारी बेटी  पढ़ी लिखी है….

बिना संकोच के जवाब देगी…

बटुक नाथ जी बोले …

अब क्या ही प्रश्न पूछे …

जब उन लोगों को लड़की ही पसंद नहीं आई तो…

आप लोगों को कुछ नहीं पूछना…

तो अपने बेटे से ही कह दीजिए…

वही कुछ पूछ ले …

रोहन तो जैसे देवदास लग रहा  था…

चिंकी बहुत ही सांवले रंग की,,लंबाई में भी रोहन से  बहुत ही छोटी और नैन नक्श भी कुछ ऐसे खास नहीं थे…

ज़िसे देखकर कोई एक नजर में पसंद कर ले…

अगर आप लोगों को कुछ पूछना हो तो पूछ लीजिए…

तभी ताई बोली चिंकी की….

अरे आप लोग के सामने यह क्या पूछेंगे …

ऐसा करो बिन्नी..इन दोनों को छत पर भेज देते हैं…

रोहन के परिवार वाले समझ नहीं पा रहे थे कि क्या कहें…

ना कुछ कह पा रहे थे …

कि ऐसे मुंह पर मना करना भी  सही नहीं है …

बाद में मना  कर देंगे फोन पर ,,हर बार की तरह. ..

लेकिन यह लोग तो पीछे ही पड़ गए …

कि बात कर ले लड़का लड़की …

हद है भाई ..

नहीं करनी बात ..

मनोरमा मन ही मन बोली…

औपचारिकता निभाने के लिए रोहन को और चिंकी को छत पर भेज दिया गया …

चिंकी सिकुड़ी जा रही थी ..

मुस्कुरा भी  रही थी…

और बार-बार रोहन को देख रही  थी…

रोहन तो बस सामने आकाश में डूब रहे सूरज की ओर ही देख रहा था…

कि शायद उसका भविष्य भी डूबने वाला है …

क्या जी….

पूछ लीजिए जो जो पूछना हो…

यह तो हर बार का ही है मेरे साथ…

चिंकी बोली…

आपको  कुछ नहीं पूछना क्या …??

क्यों मैं आपको भी अच्छी नहीं लगी …??

नहीं,,नहीं…

ऐसी कोई बात नहीं है…

रोहन धीरे से बोला…

मैं आपसे एक विनती करती हूं…

हां हां….

बोलिए चिंकी जी …

अगर मैं आप लोगों को पसंद नहीं भी आई हूं…

तो कृपया मेरे पिताजी के सामने मना मत करिएगा…

अब तक उनका दिल कई बार टूट चुका है…

वह मेरे लिए अपनी औकात से बढ़कर ही कई रिश्ते देखते  आए हैं…

लेकिन आज तक बात नहीं बनी…

मुझे पता है…

मैं सुंदर नहीं हूं …

ना ज्यादा पढ़ी-लिखी हूं …

जैसे पापा रिश्ते मेरे लिए देखते हैं…

उन लड़कों के मुकाबले में मैं कुछ भी नहीं …

चिंकी की बात में रोहन थोड़ा दिलचस्पी ले रहा था अब….

don’t think so much …

ऐसी कोई बात नहीं…

अच्छा…

ऐसी बात नहीं है ….

तो मैं आपको पसंद हूं ना..??

मेरे घर वाले आपस में सब बात करेंगे …

तब आगे बात बढ़ेगी…

वैसे आपका आगे पढ़ने का कुछ विचार है …??

रोहन बोला…

मैं आपको सही-सही बता दूं जी…

कि मेरा बचपन से ही पढ़ने में ज्यादा मन नहीं लगा …

किसी तरह एमए  कर ली है …

पापा और मां  तो बस मेरे बारे में  बढ़ा चढ़ा कर बताते   रहते हैं …

कि पढ़ने में बहुत होशियार है…

लेकिन मैं कुछ भी छुपाना नहीं चाहती किसी से भी…

क्योंकि मैंने अपने ताई की लड़की को देखा है …

उन्होंने भी बड़ी-बड़ी बातें करके शादी कर दी …

दीदी को कितने ताने  झेलने पड़ते हैं …

हां ..घर के सब कामों में निपुण हूं …

कढ़ी,,बेसन गट्टे ,,इडली,,डोसा,,अंग्रेजी खाना ,,वह केरला और गोवा वाला हर तरह का खाना बनाना आता है मुझे …

घर पर कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ा  लेती हूं…

तो थोड़ी सी नॉलेज आ गई है….

मुझे लेकर पापा बहुत परेशान है…

मेरे बाद और भी भाई-बहन है…

जिनकी उन्हें चिंता है …

और हमारे हालात भी इतने ठीक नहीं है …

आपको नहीं पता कि लड़के वाले जब आते हैं उनकी  खातिरदारी पर कितना खर्चा होता है…

2 दिन पहले से तैयारी होती है …

और जब वह जाने के बाद फोन पर मना कर देते हैं…

कि लड़की छोटी है …

कुंडली नहीं मिल  रही…

या कोई भी कारण कहकर के  मना करते हैं…

तो उस दिन हमारे घर में कोई भी खाना नहीं खाता …

और सब ऐसे ही सो जाते हैं …

आप एक लड़की वालों की समस्या को नहीं समझ सकते….

रोहन अब सोच रहा था …

मैंने तो  आज तक न जाने कितनी लड़की वालों को अब तक मना किया …

तो क्या सच में उनके घर में भी कोई खाना नहीं खाता होगा…

पापा तो बहाना  भी अच्छा नहीं बनाते…

हमेशा डायरेक्टली कह देते हैं …

हमें लड़की पसंद नहीं आई …

रोहन मन ही मन बुदबुदा रहा था…

आपको अपने पति से क्या एक्सपेक्टेशन है…??

रोहन ने चिंकी से पूछा ..

जी  एक्सटेशन…??

यह क्या होता है …??

रोहन सोचा इसे तो अंग्रेजी भी नहीं आती ..

जी..

मेरे कहने का मतलब क्या उम्मीदें हैं ..?

रोहन ने सीधा  सवाल पूछा …

चिंकी फिर शर्मा गई…

जी बस इतनी..

कि वह ज्यादा दहेज ना मांगे..

और मुझे अपने घर खुशी-खुशी ब्याह के ले जाए ….

मेरे पापा और मां को मेरी शादी बोझ ना लगे…

बस इतना ही चाहती हूं मैं ..

बाकी सात फेरों में इतनी ताकत होती है …

कि प्यार अपने आप ही हो जाता हैं…

रोहन को चिंकी  की बातें बहुत ही समझदारी वाली लग रही थी…

जी ..आपकी भी तो कुछ एक्सेप्शन होगी …??

आपको कैसी लड़की चाहिए…??

आप तो मुझसे देखने में भी बहुत सुंदर है …

और पढ़े-लिखे भी बहुत है…

सरकारी नौकरी में है…

रोहन क्या ही कहे..

कि इतना कुछ होने के बाद भी अभी तक मुझे अच्छी लड़की नहीं मिल पाई है…

जी बस मुझे ऐसी लड़की चाहिए …

जो मेरी मां-बाप को अपने मां-बाप जैसा समझे…

रोहन ने वही  मोस्ट पॉपुलर डायलॉग बोला…

मेरे घर को ऐसे संभाल ले …

कि मुझे कभी भी नौकरी पर फिक्र ना रहे कि   मेरे मां पापा मेरे पीछे अकेले हैं …

इस बात की तो आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए…

इस चीज में तो  पारंगत हूं…

इतनी शुद्ध हिंदी सुनकर रोहन मुस्कुरा दिया…

तो चले फिर नीचे …

रोहन बोला…

हां जी चलिए…

दोनों मुस्कुराते हुए नीचे आ गए …

बटुकनाथ और उनकी पत्नी के चेहरे पर तो मुस्कान बड़ी हो चली थी …

कि गए तो दोनों घबराते हुए थे…

लेकिन आए बड़े सहज होकर हैं …

मनोरमा और मीना भी रोहन को देख रही थी…

कि इसे क्या हुआ …

लड़की तो इसके बिल्कुल भी लायक नहीं…

फिर भी मुस्कुरा रहा है…

ठीक है तो…

खाना लगवा देता हूं …

बहुत समय हो गया है…

बटुकनाथ जी बोले…

नहीं नहीं…

हम लोग खाना नहीं खाएंगे …

आप क्यों फिक्र करते हैं ..

अरे  ऐसे कैसे ..

घर आएं  हैं ..

आपके लिए इतने हमने इंतजाम किए हैं…

खाना कैसे नहीं खा कर जाएंगे…

बेचारे  कुछ नहीं बोल पाए ..

सब बैठे रहे ..

थोड़ी देर के लिये  रोहन के  घर वाले आपस में डिस्कस करने आएं  …

वीरेंद्र भाई साहब बोले…

क्यों टाइम खराब कर रहे हो सब…??

जब लड़की पसंद ही नहीं है  किसी को..

तो क्यों उनसे इतनी खातिर करवा रहे  है …

ऐसा करो डायरेक्टली मना करो..

या कुछ बहाना बना चल दो…

अब रविकांत जी बोले …

अब क्या कह सकते हैं जी..

आप ही बताएं ताऊजी..

रोहन तुझे भी लड़की पसंद नहीं आई ना..??

मनोरमा बोली..

रोहन कुछ नहीं बोला…

क्योंकि वह अभी भी असमंजस में था…

भाई..

I know she is not of your choice…

not in education.

not in looks also…

she can’t match in our family ..

so please Deny it..

मनोरमा बोली

दी..अभी तो यहां से निकलते हैं …

बाकी बातें बाद में देखी जाएगी …

ठीक है…

मनोरमा और रोहन के घर वालों की बातें  घर के लड़के बबलू ने सुन ली…

वह चिल्लाता हुआ गया..

ताऊ जी ,,ताई,,चिंकी जीजी ..

अब तो रोहन के परिवार वाले घबरा गए…

इसने सुन लिया कि हमें लड़की  पसंद नहीं है…

बटुक नाथ जी चेहरे पर गुस्सा लिए आए..

जी मैं यह क्या सुन रहा हूं …?.

जय श्री राधे

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