यह आजकल के बच्चे (भाग-2) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अब आगे …

रविकांत जी अपने बेटे रोहन के फोन की चैट पढ़ लेते हैं…

वह किसी लड़की से कह  रहा है …

कि तुमसे ही शादी कर लेता …

तो ठीक था…

पीछे अपने पापा  को देखकर रोहन सकपका जाता है …

पापा  आप…

सब ठीक तो है …??

हां all is ok…

ये  तू किससे  बात कर रहा है …

जरा फोन दिखा तो सही ..

वो  फ्रेंड है पापा…

ऐसी भी कौन सी friend होती है…

जिससे तू  यह बोले कि तुमसे ही  शादी कर लेता …

हम इधर-उधर तेरे लिए रिश्ता देख रहे हैं …

सर भारी हो जाता है हर दिन …

तेरी फरमाइश सुन सुनकर…

और तेरे माइंड  में कुछ और ही  चल रहा है….

तू  कह दे तो कल से अखबार वाले को ,,मैट्रिमोनी वाले सबको मना कर दूं…

कि अब से इसका बायोडाटा  ना डालें…

लड़की फाइनल हो गई है …

नहीं पापा …

ऐसी कोई बात नहीं है…

क्यों तू अभी तो कह रहा था …

कौन है ये …??

क्या करती है …??

तू ही बता दे…

हम तो परेशान हो गए …

ऐसी कोई बात नहीं..

बस ऐसे ही फ्रेंड है…

मजाक में कह रहा था…

दिखाना जरा अपना फोन …

पापा देख लो …

सच में फ्रेंड ही है …

रविकांत जी ने रोहन का फोन  अपने हाथ में लिया…

देखने लगे…

ऊपर लिखा था रिंकी…

और उन्होंने पीछे स्क्रॉल करके उन दोनों की चैट  पढ़ी…

उन्हें ऐसी कोई खास बात दोनों के बीच नजर नहीं आई…

कि लगे कि  लवर है दोनों…

ठीक है …

अब बता वो  जो लड़की है  यही अपने दिल्ली में ही काम करती है…. सीए है….

वह तुझे कैसी लगी…??

तेरी हाइट से मैच करती  है ….

गोरी भी है …

लुक वाईज अच्छी है…

नौकरी भी अच्छी कर रही है…

तू कहे तो बात बढ़ाऊँ आगे…

पहले ही आपसे कहा था…

मुझे दिल्ली की लड़की से  शादी नहीं करनी …

दिल्ली में रहकर तू  दिल्ली की लड़की से  शादी नहीं करेगा…

तो क्या पाकिस्तान की  लड़की से करेगा…

रविकांत जी चिल्लाकर बोले …

क्या आपने खुद माहौल नहीं देखा है यहां मेट्रो का …

और चारों तरफ का…

लड़कियां कितनी एडवांस है…

कोई प्राइवेट कंपनी में काम कर रही है …

कैसे लड़कों के साथ,,किन-किन के साथ उठना बैठना होगा…

उसका आप समझ ही सकते हैं…

मैं  भी देख ही रहा हूं चारों तरफ…

मुझे तो बहुत सिंपल सी,,घरेलू लड़की चाहिए …

वहाट  सिंपल सी..??

तुझे अभी तक तो  नौकरी वाली चाहिए थी…

नौकरी वाली हो तो सरकारी नौकरी वाली हो …

छोटी-मोटी नौकरी करती हो…

और अपने शहर से ज्यादा बाहर न निकली हो …

तुझे  क्या लगता है रोहन…

गांव में रहने वाली और घर से बाहर  ना निकलने वाली बहुत अच्छी होती है  लड़कियां …

जब पापा उसने बाहर की  दुनिया ही नहीं देखी होगी…

तो क्या जानेंगी  दुनियादारी को …

कम से कम घर को तो अच्छे से चलाएंगी …

और हमारे घर के लिए एक अच्छी इसी तरह की लड़की चाहिए….

आप तो जानते ही हैं…

मां कितनी बीमार रहती है…

चल ये  तो अच्छी बात है….

कि तू अपनी मां की फिक्र करता है….

बाप  की फिक्र  तो तुझे वैसे भी कभी नहीं रही …

आपकी भी  करता  हूं पापा…

लेकिन आप फिजिकली फिट है …

इसलिए आपकी  कितनी टेंशन नहीं होती …

लेकिन अब  आपकी भी उम्र बढ़ेगी …

बहुत बड़ी बातें करने लगा है…

तो बता फिर…

पापा वो एक अपने गांव प्रतापगढ़ की लड़की का भी तो कोई रिश्ता आया था …

उनके पापा का फोन आया था ना शायद…

वह लड़की वही प्रतापगढ़ में बैंक में काम करती है ना…

गवर्नमेंट बैंक में है वो…

हां ..

लेकिन वह गांव के लोग है…

तुझे समझ आएंगे..

एक बात बता तू  यहां दिल्ली में नौकरी करेगा…

वह लड़की वहां  पर नौकरी करेगी …

तो फिर शादी का मतलब ही क्या …??

पापा  बात सही कह रहे हो आप …

जीवन भर भाग दौड़  में ही निकल जाएगा…

मुझे नहीं लगता पापा  मेरी शादी हो पाएगी इस जन्म में …

दोनों  बाप बेटे हंसने लगे…

तो ऐसा करते हैं…

नौकरी वाली छोड़ते हैं…

घरेलू लड़की लेते हैं..

वह जो अपने अलीगढ़ की लड़की थी…

जिसने एमए किया हुआ है…

ब्यूटी पार्लर का कोर्स कर रखा है…

सिलाई भी जानती है…

बहुत जोर से रोहन हंसा …

हा हा हा हा …

सही कह रहे हैं पापा…

अब तो ऐसी ही  लड़की सही रहेगी …

तो बता फिर …

उसके पापा से बात करूं…

ठीक है कर लीजिए…

अब तो मेरी शादी हो जाए …

यही बहुत है…

ठीक है तू आराम कर …

यह सब बातें तो चलती रहती है…

जहां लिखा होगा वही ले जाएगी डेस्टिनी …

अगले दिन सुबह उठकर पत्नी मीना से रविकांत जी बोले…

अलीगढ़ वाली लड़की सही रहेगी क्या मीना…??

आपने तो मेरे मन की बात छीन ली…

मीना जी रविकांत जी के  पास सरक कर आ  गई …

सही कह रहे हैं….

मुझे भी वह लड़की एक ही पल में  भा गयी …

कैसे नजर झुका करके साड़ी पहन के फोटो में खड़ी हुई है….

बड़ी गुणवान होगी…

कैसे बड़े-बड़े हाथ  कितने सुंदर लग रहे थे …

वह लड़की तो मुझे सर्वगुण संपन्न लगी….

हां तुमने फोटो देखकर ही जान लिया….

कि  सर्वगुण संपन्न है…

तुम भी  ऐसी बात करती हो मीना…

कभी-कभी शक होता है कि तुम्हारा दिमाग तो सही है …

आप फिर चाह रहे  है घर में क्लेश हो …

ठीक है तुमसे बहस मैं  करना भी नहीं चाहता…

नहीं तो अभी सांस फूलने लगेगी तुम्हारी…

पर उसके  पिताजी भी बात करने से बहुत ही सभ्य लगे  और पारिवारिक लगे…

बात करता हूं…

वह तो हमारे  फोन का इंतजार कर रहे हैं बस…

ठीक है…

कर लो तो अगले 2 महीने में ही अपने रोहन को घोड़ी चढ़ते देख  लूँ …

अगले ही पल रविकांत जी फोन लगाते हैं…

हेलो राम राम सा ..

हां जी ..

राम राम …

बहुत दिनों बाद आपने  फोन किया…??

सब कुशल मंगल तो है ..??

हां जी आप लोगों की कृपा से सब कुछ ठीक है ..

जी बस ऐसे ही थोड़ा काम में व्यस्त थे…

रविकांत जी बोले …

कि हम तो आप ही के फोन का इंतजार कर रहे थे …

तो क्या सोचा है आपने..

इश्तेहार तो हर हफ्ते ही आपका निकल रहा है अखबार में …

जी वह तो पैकेज होता है ..

चार हफ्ते चलेगा ही …

हमें लगा कि शायद आपकी रुचि हमारी तरफ से खत्म हो गई है…

इसलिए हमने दोबारा फोन करना उचित नहीं समझा…

ऐसी बात नहीं है…

बस थोड़ा उलझन में थे…

अब  उलझन सुलझ गई हो …

तो क्या मैं आपके घर आऊं…??

जी आप आयें  उससे पहले हम चाहते हैं कि हम आपके घर आ जायें…

एक  तो अलीगढ़ ही हमारे  बड़े भाई साहब रहते हैं…

तो सोच रहे हैं इसी बहाने उनसे मिलना हो जाएगा…

आपकी बिटिया को भी देख लेंगे …

जी यह तो बहुत अच्छी सोची आपने…

हमने भी कुंडली मिलवा ली है…

शादी तो बन रही है …

बाकी आगे ऊपर वाला जाने …

जी ठीक है तो फिर संडे को हम आते हैं…

जी  जरूर ..

हम सब को  इंतजार रहेगा आपका…

जी दामाद जी को जरूर ले आइयेगा …

दामाद जी …??

हां जी वह अपने बेटे को…

हमारे तो दामाद ही हुए ना…

रविकांत जी मन ही मन सोचे  यह बुढ़ऊँ तो अभी से ही हमारे रोहन को अपना दामाद मान  बैठे हैं…

हां वह तो आएगा ही …

वही तो फाइनल करेगा…

ठीक है जी…

राम राम…

तो ठीक है मीना…

कहां गई मीना…

नीचे देखो आपके पैरों के पास ही तो बैठी हूं….

हां तो …

बात हो गई है…

संडे को मनोरमा को भी बुला लेना …

और रोहन को भी कह देना कि छुट्टी ले ले…

संडे को ऑफ नहीं रहता उसका…

चला ही जाता है…

ठीक है जी…

वह बाल काले करने   वाला कलर ले आना …

मैं कर लूंगी…

कब से बाल काले  नहीं किए हैं …

और थोड़ा पार्लर भी हो आऊंगी …

बुढ़ापे में क्या ही पार्लर जाओगी …

मोहतरमा बुढ़ापा नहीं छुपता पार्लर जाने से …

मजाक ना करो मुझसे…

मैं तो अभी जवान हूं …

संडे आ गया था …

बिटिया मनोरमा भी बच्चों के साथ घर आ चुकी थी…

तो चलो फिर सब तैयार हो तो….

रविकांत जी अपना सूट ठीक करते हुए बोले…

पापा क्यूँ अलीगढ़ जा रहे हो…??

फिर तूने बीच में टोक लगा दी…

इतनी दूर से आ गई है …

आती नहीं तो ठीक था….

पापा मैं तो ऐसे ही कह रही थी …

अच्छा चलिए …

सभी लोग गाड़ी में बैठ चुके हैं…

अलीगढ़ पहुंच चुके हैं…

जय श्री राधे …

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मीनाक्षी सिंह

आगरा

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