अब आगे…
रोहन के घर वालों ने चिंकी के रिश्ते के लिए हां कर दी है ..
पर चिंकी के मन में अभी भी उथल- पुथल चल रही थी..
वह अपने पिता बटुक नाथ जी से रोहन से बात करवाने को कहती है..
बटुक नाथ जी फोन लगाते हैं …
चिंकी ने कहा…
हेलो,,रोहन जी…
हां ,,बोलो चिंकी…
रोहन जी …
आई एम वेरी सॉरी…
फॉर व्हाट…
लेकिन आपको फोन करना मेरे लिए बहुत जरूरी था…
हां बोलो चिंकी..
फोन करने में कोई बुराई नहीं है…
तुम कर सकती हो …
आखिर हम दोनों के जीवन का सवाल है …
मन में कोई भी घबराहट, कोई भी प्रश्न हो तुम मुझे बेझिझक पूछ सकती हो…
रोहन ने कहा…
रोहन की बात से चिंकी थोड़ा सहज हुई…
उस दिन तो रोहन जी आपकी बहन ने इतना कुछ कहा…
और आपको देखकर भी कुछ ऐसा नहीं लगा कि आपको मैं पसंद हूं …
लेकिन अचानक से इस तरह आपके ताऊ जी का फोन आया …
तो मन में यही प्रश्न आ रहा है बार-बार …
कैसा सवाल…??
यही कि बाद में आप लोगों ने ऐसा क्या सोचा कि रिश्ते के लिए हां कह दी…
प्लीज ..
एक भी बात झूठ मत कहिएगा…
जो कुछ भी हो,सच-सच बता दीजिएगा…
चिंकी बोली…
चिंकी ,सच बताऊँ तो उस दिन मनोरमा दी के आगे मैं ज्यादा कुछ कह नहीं पाया …
क्योंकि आज तक दी की बात जल्दी काटी नहीं है…
और वह थोड़ा गुस्से वाली भी हैं…
मुझे इस रिश्ते से उस समय भी कोई प्रॉब्लम नहीं थी…
और ना ही अब है…
और हां..
एक बड़ा रीजन उसका यह भी है…
कि मेरी मम्मा बहुत बीमार रहती है…
वहां से आने के बाद मम्मा की हालत बहुत ही ज्यादा खराब हो गई थी चिंकी….
उन्हें होस्पिटल में भी एडमिट करना पड़ा ..
जिसकी वजह से मेरा मन बहुत घबरा गया ..
कि शायद मम्मा कहीं बहू का सुख देखे बिना ही दुनिया से विदा ना हो जाए …
इन्होंने हमारे लिए पूरी लाइफ इतना कुछ किया…
हम उन्हें इतनी खुशी तो दे ही सकते हैं …
और ऊपर से तुम में बुराई क्या है …
तुम्हें पत्नी के रूप में पाकर शायद मैं खुद को किस्मत वाला मानूंगा…
चिंकी ,, यह मैं सिर्फ तुम्हें खुश करने के लिए नहीं कह रहा हूं…
मैंने खुद महसूस किया है…
अगर तुम मुझे अपने लायक समझती हो…
तो बता देना …
और अगर तुम्हारे मन में एक परसेंट भी डाउट है…
तो तुम मना कर सकती हो …
किसी को बुरा नहीं लगेगा घर में…
रोहन जी..
मैंने आपसे पहले भी कहा था..
कि एक लड़की जो होती है वह अपने घर वालों के लिए बोझ के समान ही होती है…
भले ही कितने अच्छे हो मां-बाप ..
लेकिन उन्हें अपनी बेटी को एक अच्छे घर में भेजने के लिए पूरे जीवन मेहनत करनी पड़ती है…
आप बड़े घर के लोग हैं …
इस बात को नहीं समझ पाएंगे …
यह एक बड़े सपने पूरे होने जैसा ही होता है हमारे लिये…
तो फिर बताओ,,कब आऊं तुम्हें अपनी दुल्हन बनाने …??
चिंकी शर्मा गई..
उसने फोन रख दिया…
बात हुई बिटिया…??
तूने फोन रख दिया…
वह क्या सोच रहे होंगे …
जी पापा…
हो गयी…
अब मन में कोई भी उलझन नहीं है …
आप इस रिश्ते को आगे बढ़ा सकते हैं…
चिंकी इतना बोल करके आंखें नीचे कर चली गई …
बटुकनाथ जी की आंखों में भी चमक आ गई थी…
उन्हें लग रहा था…
आज जीवन की सबसे बड़ी खुशी मिल गई है…
उनके आगे और भी बेटियां थी,,जिन्हे उन्हें अभी विदा करना बाकी था …
तो फिर ठीक है …
आगे बात बढ़ाते हैं …
धीरे-धीरे कर तारीख भी तय कर दी गई…
पंडित को भी दोनों तरफ से दिखा लिया गया…
आज बटुकनाथ जी रविकांत जी के घर पर आए हुए हैं…
वह अपने बड़े भाई साहब और पिता के साथ आए हैं…
घर में अंदर आते ही जैसे ही बटुक नाथ जी सोफे पर बैठते हैं…
उनकी आंखों से आंसू गिर पड़ते हैं …
क्या हो,,बटुक नाथ जी …
कोई बात बुरी लग गई क्या हमारी …??
वीरेंद्र जी बोले..
हां सा ,,एक बात तो बुरी लगी है …
तब तक चिल्लाती हुई मनोरमा भी घर में आ चुकी होती है…
जिसे देखकर सभी लोग स्तब्ध रह जाते हैं…
आगे की कहानी जल्द ..
जय श्री राधे ..
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यह आजकल के बच्चे (भाग-11) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi
मीनाक्षी सिंह
आगरा