जीजा जी..
कोई भी लड़की समझ में आई क्या अपने रोहन को..??
साले संतोष ने अपने जीजा जी रविकांत जी से फोन पर पूछा…
तुझे तो सब पता है…
क्या ही बताऊं…
हर जगह तो बायोडाटा पड़ा है रोहन का …
अखबार में..
न्यूज़पेपर में..
मैट्रिमोनी पर…
लेकिन फिर भी कहीं बात नहीं बनती …
क्यों जीजा जी …??
बात कहां फंस रही है..??
रिश्ते तो खैर अच्छे ही आ रहे होंगे…??
आखिर अपना रोहन भी तो लाखों में एक है ..
वह सब तो ठीक है संतोष…
लेकिन साहबजादे को पसंद आए कोई लड़की तब तो …
क्यों क्या कहता है हमारा रोहन…??
अगर दिल्ली की लड़की है तो कहता है …
कि बहुत फैशन वाली होगी…
बहुत उड़ने वाली होगी …
घर लेकर नहीं चलेगी…
कोई थोड़ी सी भी उससे ऊंची नौकरी की होती है…
तो बोलता है..
उसका ग्रेड पे ज्यादा है…
उसकी सैलरी ज्यादा है…
तो मुझे नहीं पूछेगी…
घमंड में रहेगी…
ना मम्मी को पूछेगी…
कोई उससे हाइट में कम होती है….
तो बोलता है कि हाइट में छोटी है…
रंग ऐसा है…
वैसा है…
दांत उठे हुए हैं…
कुछ समझ ही नहीं आ रहा…
किस तरह की लड़की चाहिए इस गधे को…
ऐसे तो जीजा जी हो चुकी शादी….
अब 19 – 20 की कमी तो हर जगह एडजस्ट करनी पड़ती है….
और ये भी बात हैं कि जब तक भगवान नहीं चाहता …
तब तक कुछ नहीं होता…
और कई बार जो लड़की हम छोड़ रहे होते हैं…
वही लड़की पसंद आ जाती है…
अगर रिश्ता वही लिखा होता है तो…
इसलिये जो कुछ भी है ऊपर वाले पर छोड़ दीजिए …
लेकिन रोहन से कहिए …
इतना भी ज्यादा समय ना लें…
उसकी उम्र भी हो गई …
32 साल का हो गया हैं…
यह तो सही कह रहा है तू संतोष….
आज फिर शाम को उससे बात करता हूं …
रविकांत जी फिर चिंता में पड़ गए ….
पत्नी है मीना जो दमा की मरीज है …
गैजेटेड ऑफिसर थे रविकांत जी..
रिटायर्ड हो गए हैं…
एक बिटिया हैं …
उसका भी ब्याह कर दिया है …
बेटा है रोहन ….
अच्छी सेंट्रल गवर्नमेंट की नौकरी कर रहा है….
लेकिन अभी तक एक योग्य वधू नहीं मिल पाई है ….
हर तरह का प्रयास किया ….
और आजकल के लड़कों की भी आकांक्षाएं कुछ ज्यादा ही होती हैं …
नौकरी पेशा भी चाहिए …
उनसे ज्यादा सैलरी वाली भी ना हो ….
घर भी चलाने वाली हो…
तो भाई एक ही लड़की में इतनी चीज तो मिलना बहुत ही मुश्किल है …
लेकिन फिर भी प्रयास जारी है उनका…
आखिर बाप जो हैं…
उनकी बिटिया मनोरमा का भी फोन आया है…
हेलो पापा..
good evening
भाई से कुछ बात हुई क्या …??
कोई लड़की पसंद आई उसे…
तू तो सब जानती है ..
फिर क्यों हर दिन फोन करके अपना भी मूड खराब करती है…
और मेरा भी …
दो-चार दिन बाद फोन कर लिया कर…
रविकांत जी झल्लाकर बोले…
इससे अच्छा तो नौकरी ही नहीं करता …
तो किसी भी लड़की को पसंद कर लेता…
अब इसके भाव भी कुछ ज्यादा हो गए हैं…
जब से नौकरी क्या लगी है …
पापा आप किस्मत वाले हैं…
जो आपको भाई जैसा बेटा मिला है…
अपने आप कोई लड़की पसंद नहीं की उसने…
अभी जात बिरादरी से बाहर कोई लड़की पसंद कर लेता….
और आपके सामने लाकर खड़ा कर देता …
तो आप क्या कर लेते ….
कम से कम हम लोगों की मर्जी से करना चाह रहा है….
आप अपने आप को खुश नसीब समझिए…
हां हां ठीक है….
बहुत बड़ी हो गई है…
बातें करने लगी है बड़े बूढ़ो की तरह….
और बता दामाद जी और बच्चे कैसे हैं…??
सब बढ़िया है पापा …
ठीक है आराम कर …
अपने घर के काम कर लें…
शाम को अपनी मां से बात कर लेना…
अभी किचन में लगी है …
ठीक है पापा …
टेक केयर …
बाय…
शाम हो चली है…
रविकांत जी अपने बेटे रोहन के पास आए हैं…
वह थककर ऑफिस से आया है …
अपने फोन पर चैटिंग करने में व्यस्त है…
बिना कुछ बोले रोहन के पीछे जाकर खड़े हो जाते हैं ..
और रोहन के फोन पर चल रही चैट पढ़ रहे हैं …
यार ..
पापा…
कई लड़कियां देख रहे हैं …
पर समझ ही नहीं आ रही …
सोच रहा हूं तुमसे ही शादी कर लूं …
पीछे पापा की भनक लगते ही रोहन सकपका गया…
जय श्री राधे…
अगला भाग
यह आजकल के बच्चे (भाग-2) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi
मीनाक्षी सिंह
आगरा