” बेटा, बाथरूम में बहुत से कपड़े पड़े हैं। आज धुल जाते तो कल तक सूख जाएंगे। ,, रमा जी ने मनुहार करते हुए अपनी बेटी प्राची से कहा।
” मां मैं तो बहुत थक गई हूं। आज मुझसे कपड़ों की मशीन नहीं लगने वाली…. ,कल देखूंगी। ,, कहते हुए प्राची कमरे की ओर चल पड़ी।
कमरे में लेटी हुई सुमन मां बेटी की बातें सुन रही थी। चार दिन पहले हीं उसने एक प्यारे से बेटे को जन्म दिया था। अब बहू जापे में थी तो घर के काम और जच्चा बच्चा की देखभाल सबकुछ रमा जी से अकेले करना बहुत मुश्किल था इसलिए उन्होंने अपनी शादी शुदा बेटी प्राची को बुला लिया था।
सुमन और बच्चे की मालिश और नहलाना धुलाना तो एक आया करके चली जाती थी लेकिन जच्चा के खाने पीने और घर का बाकी काम करने में भी प्राची तंग हो जाती थी क्योंकि हमेशा से ही मायके आकर आराम करने की आदत जो थी। इसलिए इस बार मायके में उसका मन नहीं लग रहा था।
रमा जी भी कुछ बीमार सी रहती थीं तो वो भी बहुत मुश्किल से ही कुछ हाथ बंटा पाती थीं
सुमन की मां विमला जी और छोटी बहन नम्रता भी सुमन और उसके बच्चे को देखने आई थीं। सुमन की छोटी बहन नम्रता बहुत हीं चंचल और हंसमुख थी। आते हीं भाग भागकर सब कामों में हाथ बंटाने लगी। शाम को जब उसकी मां और बहन वापस जाने लगीं तो रमा जी बोलीं, ” नम्रता बेटा, तुम तो बहुत फुर्तीली हो। मुन्ना भी देखो तुम्हारे पास कैसे खेल रहा है। ,,
सास की बात सुनकर सुमन ने कुछ सोचते हुए अपनी मां से कहा, ” मां, यदि आप ठीक समझो तो कुछ दिनों के लिए नम्रता को यहां छोड़ दो। दीदी और मां जी की थोड़ी मदद हो जाएगी।
सुमन की मां ने नम्रता की ओर देखा तो वो भी चहकते हुए बोली, ” मां, प्लीज़ थोड़े दिन मुझे यहां रहने दो ना। मुझे भी बेबी के साथ खेलना है। वैसे भी मेरे इक्जाम हो चुके हैं। अभी तो कालेज भी स्टार्स नहीं हुए हैं। ,,
नम्रता का मन देखकर विमला जी ने हामी भर दी। नम्रता अपनी आदत के अनुसार भाग भागकर जो काम होता कर देती फिर अपने भांजे और दीदी के पास बैठ जाती। एक दो दिन तो सब ठीक चला लेकिन धीरे-धीरे प्राची को नम्रता का थोड़ी देर बैठना भी अखरने लगा। जैसे ही नम्रता मुन्ने को खिलाने के लिए गोद में लेती प्राची झट से उसे कोई ना कोई काम बता देती।
नम्रता, जरा कपड़े मशीन में डाल दो , नम्रता चाय बना लो, जरा ये कपड़े प्रेस कर दो , वगैरह वगैरह …. एक दिन तो हद हो गई , कामवाली बाई नहीं आई तो नम्रता के सामने बर्तनों का ढेर लगाकर दोनों मां बेटी आराम से बैठ गईं । नम्रता को वैसे तो काम करने में कोई परेशानी नहीं थी लेकिन जब उसने प्राची और रमा जी को हंस हंसकर बातें करते सुना तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। प्राची रमा जी से कह रही थी, ” मां, भाभी की बहन को अगर पहले बुला लेते तो काम वाली लगाने की जरूरत हीं नहीं पड़ती। मुझसे तो ये बर्तन और साफ सफाई बिल्कुल नहीं होती लेकिन इन लोगों को तो ये सब करने की आदत है। ,,
नम्रता ने जब ये सब सुना तो उसे बहुत बुरा लगा। वो तो बहन के घर को अपना समझ कर सारे काम कर रही थी लेकिन बहन की ननद ने तो उसे नौकरानी समझ लिया था।
सुमन भले ही आराम कर रही थी लेकिन उसे भी अपनी छोटी बहन के साथ किया व्यवहार पसंद नहीं आ रहा था।
लगभग पंद्रह दिन बीत चुके थे नम्रता को आए। अब सुमन भी अपने काम खुद करने लगी थी तो उसने अपनी सास से कह दिया ,” मां जी, मम्मी का फोन आया था कि उनकी तबियत ठीक नहीं है और नम्रता के कालेज भी स्टार्स हो गए हैं इसलिए नम्रता को वापस भेज दें। ,,
ये सुनते हीं प्राची फटाक से बोल पड़ी, ” लेकिन भाभी अभी तो आपका जापा भी पूरा नहीं हुआ और आपके ननदोई का भी रोज फोन आ जाता है कि वहां मेरे बिना बहुत दिक्कत होती है। मैं भी अब ज्यादा रह नहीं पाऊंगी। ,,
प्राची की बात सुनकर सुमन बोली, ” कोई बात नहीं दीदी, आप चली जाइये । वैसे भी अब मैं ठीक हूं और अपना काम कर सकती हूं। बाकी कुछ दिनों के लिए एक खाना बनाने वाली रख लेंगे। क्यूं मां जी ? ,, अपनी सास की ओर देखते हुए सुमन ने कहा।
रमा जी कुछ बोल ना सकी और हामी में सर हिला दिया।
एक दिन रमा जी चहकते हुए बोलीं, ” सुमन , … बहू खुशखबरी है…. मैं नानी बनने वाली हूं। अभी प्राची का फोन आया था। ,,
सुमन भी ये खबर सुनकर बहुत खुश हुई। देखते देखते समय बीत गया और प्राची की डिलीवरी की डेट भी आ गई। प्राची की अपनी सास और ननद से कुछ खास नहीं बनती थी इसलिए इस समय वो अकेली पड़ गई थी।
एक दिन उसने फोन पर अपनी मां रमा जी से कहा,
” मां, यहां तो संभालने वाला कोई नहीं है….. और आपके दामाद कह रहे हैं कि डिलिवरी यहीं करवाऊंगा चाहे तो फुल टाइम मेड रख लेंगे। लेकिन मां, फिर भी कोई अपने घर का हो तो अच्छा रहेगा। ,,
प्राची की बात सुनकर रमा जी बोलीं, ” बेटा, आने को तो मैं आ जाऊंगी लेकिन तुझे तो पता ही है मुझसे कुछ होता नहीं है। ,,
” मां, आप भाभी की बहन नम्रता से बोल दो ना कि कुछ दिनों के लिए मेरे घर आ जाए । ,,
” बेटा…. लेकिन…… मैं सुमन से बोल कर देखती हूं। ,,
जब रमा जी ने सुमन से कहा तो सुमन को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे। इतनी देर में प्राची का फिर फोन आ गया ,” मां आपने भाभी से कहा क्या??? वैसे मैं मुफ्त में उससे काम नहीं करवाऊंगी….. मेड को जितना देंगे उससे कुछ ज्यादा हीं नम्रता को दे दूंगी …. ,,
ये सुनकर सुमन को बहुत गुस्सा आया। दरअसल इस बार फोन रमा जी ने नहीं बल्कि सुमन ने उठाया था।
सुमन बोली,” दीदी, मैं तो सोच रही थी कि आपको किसी अपने की जरूरत है लेकिन आपने तो मेरी बहन को नौकरानी समझ लिया। माफ करना दीदी नम्रता वहां नहीं आ सकती लेकिन हां आप चाहें तो यहां आ सकती हैं क्योंकि मैं आपकी भाभी हूं इसलिए आपके प्रति मेरी जिम्मेदारी बनती है, मेरी बहन की नहीं। मेरे जापे में वो मेरी बहन बनकर यहां आई थी लेकिन आपलोगों ने उसे आया समझ लिया था। तो फिर आपके यहां तो पता नहीं उसके साथ कैसा व्यवहार होगा ,,
कहकर सुमन ने फोन काट दिया। रमा जी और प्राची दोनों से ही अब कुछ बोलते नहीं बन रहा था। दोनों ही अपनी बात पर शर्मिन्दा थीं।
सविता गोयल
बदतमीजी की भी कोई हद होनी चाहिए
Nice story
Absolutely
Enough is enough