शिवी अपनी २० दिन की बेटी के साथ अपने कमरे में सो रही थी। साथ ही उनकी देखभाल के लिए उसकी जेठानी गौरी लेटी हुई थी।
घोर गर्मी थी, सब ऐ . सी . चला कर आराम से सो रहे थे, क्यूंकि शिवि और बेबी अभी ऐ सी में नहीं सो सकते थे तो वो केवल पंखा चला कर सोये हुए थे ।
गौरी शिवि का बहुत ध्यान रख रही थी। दोनों जेठानी देवरानी कम दोस्त ज्यादा थी। शिवि की डिलिवरी की सारी ज़िम्मेदारी गौरी ने ही ले रखी थी। इसलिए वो भी शिवि के कमरे में सो रही थी।
अचानक आधी रात में गुड़िया जाग गयी और रोने लगी। शिवि उसे फीड कराने लगी, तभी उसने कराहने की आवाज महसूस की।
उसने गौरी को आवाज दी … गौरी दी …. गौरी दी …
पर फिर महसूस किया गौरी दी नही बोल पा रही।
शिवि ने गुड़िया को हटा.. लाइट चलाई तो देखा …..
गौरी अपना पेट पकड़ कराह रही थी।
शिवि ने पुछा .. दी, क्या हुआ?
कुछ नहीं शिवि .. अचानक से पेट दर्द होने लगा है … शायद गैस का दर्द है ।
फीड से हटाने की वजह से गुड़िया भी रोने लगी थी।
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गौरी – रुक, शिवि.. मैं इसकी बोतल लती हूँ , और अजवाइन भी ले लुंगी, शायद दर्द ठीक हो जाये ।
उठने लगी ही थी एकदम से फिर बैठ गयी …
दी .. आप बैठो , मै लाती हूँ।
गौरी- – नहीं, शिवि.. तुम अभी किचन में नहीं जा सकती।अभी 40 दिन नहीं हुए है , मम्मी जी गुस्सा होगी।
ऐसा कर मम्मी जी को जगा ले।
शिवि ने सासु माँ के कमरे में एक 2-3 आवाजे लगाई , पर वो बाहर नहीं आयी।
दूसरी तरफ गुड़िया और गौरी दोनों कराह रही थी,
एक पेट दर्द से दूसरी भूख से।
अब शिवि से रहा न गया, वो किचन में चली गयी, पानी और दूध हल्का गरम कर लायी। गुड़िया को दूध दिया, गौरी को अजवाइन के साथ गरम पानी ।
गुड़िया तो सो गयी थी, लेकिन गौरी का दर्द वैसा ही था .. शिवि ने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर ली थी पर गौरी का दर्द कम नही हुआ।
तभी उसने अपने हस्बैंड को फ़ोन मिलाया जो ऊपर के कमरे में जेठ जी के साथ सो रहे थे ।
दोनों नीचे आए और माजरा समझ गैस की गोली गौरी को दी।
और शिवि को गरम पानी की सिकाई वाली बोतल लाने को कहा ।
शिवि अभी किचन में पानी गरम कर बोतल में डाल ही रही थी कि सास उठ कर आ गयी।
शिवि को किचन में देख… एक दम चिल्ला कर पड़ी…
यह क्या अनर्थ क दिया … शिवि बहु तुमने…
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जापे में रसोई में क्या कर रही हो….
क्या तुम्हे पता नहीं जापे में रसोई में नहीं आते।
सब अशुद्ध कर दिया तुमने।
जो चाहिए था… गौरी से ले लेती।
शिवि बोली…. माँजी, दीदी को बहुत तेज़ दर्द हो रहा हैं।
उन्हें गरम पानी की बोतल दे रही थी।
तो मुझे उठा लेती
आवाज सुन दोनों भाई बाहर आ गए। बोलने ही लगे थे कि प्रेमा ने बोली…
चार दिन बीबी बिना नही रह सकते ना तुम लोग….
माहौल गरम होता देख….
शिवि …माँ एक मिंट ….वो पानी की बोतल गौरी को देने चली गई।
गौरी परेशान सी शिवि की तरफ देख रही थी, बोली शिवि ऍम सॉरी मेरी वजय से …
दी, आप आराम करो मैं आती हूँ अभी …कह बाहर आ गयी ।
सासु मां से बोली … मम्मी जी कुछ देर पहले दी और गुड़िया दोनों को आपकी जरूरत थी ।
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उठाया था मैने आपको … आपका दरवाजा भी खड़खाया … पर आप शायद घोर नींद में थी…
फिर गुड़िया का दूध के लिए रोना मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ … ना ही दी का कराहना … इसलिए मैं खुद ही रसोई में चली गयी।
सासु मां … पर रीती रिवाज भी तो कुछ होते है… हर घर के कुछ नियम होते है… उन्हें निभाना भी जरूरी होता है..
पर नहीं, यहाँ तो सब ने अपनी मर्जी करनी है ….
सब चुप थे …किसी ककी हिम्मत न थी उनके आगे बोलने की….
उनका सास प्रेमा जी एक रौबबदार औरत थी, घर में केवल उनका ही हुकुम चलता था, उनकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था ।
प्रेमा बडबडाए जा रही थी।
तभी ससुर जी जो भीतर बैठे सारी बात सुन रहे थे।
बाहर आकर बोले …..बस!!! प्रेमा, बहुत हुआ ।
यह क्या कब से अनर्थ, रीती-रिवाज, नियमो का राग अलाप रही हो।
अरे! तुम्हे तो खुश होना चाहिए कि हमे इतनी अच्छी बहुएँ मिली है, जो एक दूसरे के दर्द में साथ देने के लिए हरपल तैयार रहती है और रही बात रीती-रिवाजो, नियमो की यह इंसान ने अपनी सुख सुविधा के लिए और आराम के लिए बनाए है।
किसी को तकलीफ देने के लिए नही।
कुछ अनर्थ नही हुआ है, भगवान का शुक्रिया करो जो तुम्हे इतने अच्छे बेटे-बहु मिले है। वर्णा घर-घर की कहानी तो तुम जानती ही हो।
प्रेमा जी .. जी बिल्कुल सही कहा आपने।
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बेटी मुझे माफ़ कर दो।
बेटा तुम लोग भी।
कह कर सास गौरी के पास जाती है
और बोली गौरी बहु आज तुम अपने कमरे में आराम करो।
यहाँ मैं देख लुंगी ।
सब मुस्करा देते है ।
रीतू गुप्ता
स्वरचित
अप्रकाशित
#ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने