ये कैसा प्यार ? – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” हैलो मम्मी !” श्रुति फोन मिला बोली।

” कौन ?” उधर से आवाज आई।

” मम्मी अपनी बेटी को भी भूल गई आप !” श्रुति उदास हो बोली।

” बेटी …कौन बेटी ?” उधर से अभी भी सपाट स्वर था।

” मम्मी ऐसे मत बोलो प्लीज !” श्रुति रोते हुए बोली।

” यहां आपकी कोई मम्मी नही है माफ करना !” ये कह सामने से फोन रख दिया गया।

फोन कटते ही श्रुति फूट फूट कर रो दी।

आपको यहां तक की कहानी कंफ्यूज कर रही होगी तो चलिए पहले आपको इससे पहले की थोड़ी सी कहानी बता दें….

श्रुति अपने माता पिता की इकलौती संतान जिसे बहुत लाड़ प्यार से पाला उसके पिता रविंद्र और मां सरिता ने। दोनो की आंख का तारा थी वो। श्रुति जब बड़ी हुई तो जैसे हर मां बाप बच्चे की शादी के सपने सजाते है वैसे ही रविंद्र और सरिता ने भी सजाए

और उन्हें हकीकत का रूप देने के लिए सुयोग्य वर की तलाश शुरू हुई। जब कुछ रिश्ते उन दोनो को समझ आए तो उन्होंने बेटी को तस्वीरे दिखा उसकी राय पूछी। लेकिन श्रुति ने लड़कों की तस्वीर देखने की जगह एक धमाका कर दिया ये बोलकर की वो अपने बॉस संभव से शादी करना चाहती है। उस वक्त रविंद्र ने संभव के परिवार वालों से बात करने की कही क्योंकि वो अपनी बेटी से प्यार करते थे और उसकी खुशी चाहते थे।

जब रविंद्र ने संभव के घर जाकर संभव के पिता से  बात की जोकि शहर के जाने माने व्यापारी थे उन्होंने रविंद्र को काफी कुछ सुना डाला और रिश्ते से ये कहकर इनकार कर दिया कि रविंद्र जैसे लोग अपनी बेटियों को अमीर घर के लड़के फसाने के लिए तैयार करते है।

रविंद्र जी अपमान का घूंट पीकर रह गए। उन्होंने घर आकर सरिता को सब बताया तो उन्हे भी बहुत बुरा लगा। उन्होंने श्रुति से साफ कह दिया ये शादी नही होगी। श्रुति के ज़िद करने पर उनका यही जवाब था अब अगर संभव के पिता खुद से रिश्ता लायेंगे

तभी ये शादी होगी। ऐसा मुमकिन नहीं था क्योंकि संभव के पिता को दौलत का नशा जो था। इधर संभव श्रुति से प्यार तो करता था पर अपने पिता के सामने बोलने की उसकी हिम्मत ना थी। 

कुछ दिनों बाद श्रुति घर में एक खत छोड़ गायब हो गई उस खत का सार यही था कि वो संभव से शादी कर रही है और उसको ढूंढने की कोशिश न की जाए कुछ दिन मे वो खुद वापिस आ जाएगी । संभव के गायब होने के बाद उसके पिता ने रविंद्र और सरिता के घर आ उनको काफी जलील किया

यहां तक की अपने बेटे की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा दी और आरोप रविंद्र पर लगाया वो तो अच्छा है रविंद्र का दोस्त नामी वकील था इसलिए वो जेल जाने से बच गए। श्रुति को घर से भागे हुए आज एक महीना हो गया था जब उसका फोन आया।

” क्या करने आई हो तुम यहां तुम्हारा इस घर से अब कोई रिश्ता नहीं !” अगले दिन श्रुति अपने घर आई तो सरिता दरवाजे पर ही उससे बोली।

” मम्मी खून के रिश्ते ऐसे तो नही टूटते ना ?  क्यों नाराज हो मैने अपनी पसंद से शादी ही तो की है बस… संभव बहुत अच्छे है मैं उनके साथ बहुत खुश हूं अब तो हमें संभव के पिता ने भी अपना लिया आप भी सब भूल जाओ ना  !” श्रुति खुशामद सी करती बोली।

” अच्छा लगा सुनकर कि तुम खुश हो पर यहां क्या लेने आई हो ? और किस खून के रिश्ते की बात कर रही हो तुम उसकी जिसे तुम खुद ताक पर रख चली गई थी । ” सरिता सपाट लहजे में बोली।

” मम्मी तब मेरी मजबूरी थी और अपने पीहर बेटियां क्या लेने आती है शादी के बाद अपने मां बाप का आशीर्वाद वही लेने आई हूं मैने सुना है मां कभी खफा नही होती इसलिए यहां आई हूं इस उम्मीद से कि आप मुझे माफ करके गले लगा लेंगी !” श्रुति रोते हुए बोली।

” मां खफा नही होती पर एक पत्नी जरूर होती है. और आशीर्वाद माँ बाप शादी के मंडप मे देते है ।..तुम्हारे कारण मेरे पति का जो अपमान हुआ उसे नही भूल सकती मैं हमने संभव से तुम्हारे रिश्ते को इनकार नही किया था फिर भी हमें खासकर मेरे पति को बहुत कुछ झेलना पड़ा

जो कभी भुलाया नही जा सकता हमे अफसोस है दो साल का प्यार चौबीस साल के रिश्ते पर भारी पड़ गया और तुम अपने मां बाप की इज्जत तो तार तार कर भाग गई अब तुम्हारा ना यहां मायका है ना मां बाप इसलिए तुम यहां से जा सकती हो !” सरिता दरवाजा बन्द करती हुई बोली।

” मम्मी एक बार पापा से तो मिल लेने दो !” श्रुति बंद होते दरवाजे पर हाथ रख बोली।

” तुम्हे देख मेरे पति के जख्म हरे हो जायेंगे जो मैं नही चाहती। अब तुम जा सकती हो यहां से !” ये बोल सरिता ने गेट बन्द कर दिया और फफक पड़ी आखिर एक पत्नी होने के साथ एक मां भी तो थी वो।

दोस्तों प्यार करना गलत नही न प्रेम विवाह गलत पर ऐसा प्रेम विवाह भी क्या जो आपके जन्मदाताओं को जलील कर दे। भविष्य के गर्भ में क्या मैं नही जानती हो सकता है रविंद्र और सरिता बेटी को माफ करके अपना ले। हो सकता है संभव के पिता भी रविंद्र से माफी मांग ले पर अभी मेरी नजर में सरिता गलत नही क्योंकि उन्होंने उस गुनाह की सजा भुक्ति है जो उनका था ही नही।

आपकी इस कहानी को ले क्या सोच है मुझे अवगत जरूर करवाइएगा ?

आपकी दोस्त

संगीता अग्रवाल

#टूटते रिश्ते

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