Moral Stories in Hindi : “
उस कागज के टुकड़े को बार-बार खोलकर बंद कर फिर हिम्मत कर विधि ने खोला।
विकास ने लिखा था
“विधि, हिम्मत करो और अपने सामान के साथ घर से बाहर निकल जाओ ।मैं स्टेशन पर तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।
हम कहीं दूर चले चलेंगे और अपनी जिंदगी एक नए सिरे से बसाएंगे।
तुम्हारा विकास!”
हतप्रभ होकर विधि बार-बार उस पत्र को पढ़े जा रही थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे! उसका दिमाग सुन्न पड़ने लग गया था।
कल से शादी की रस्में शुरू होने वाली थी। माँ ने ब्यूटी पार्लर वाली को फोन कर ढेर सारे उबटन मंगाए थे।
पापा बैंड वालों को न्योता दे आए थे।
घर पर मेहमानों का आना जाना शुरू हो गया था। इस समय वह यदि अपने सामान के साथ निकल जाए तो क्या होगा?
विधि का दिल फूट फूट कर रो रहा था। घुटन उसकी आंखों से भी निकलने लगा था ।
वह अपने कमरे के दरवाजे के पीछे खड़ी हो रोने लगी थी ।
किसी काम से उसकी मां अंदर आई तो उसे रोते देखकर अपने गले से लगा लिया और सिर पर हाथ फेरते हुए कहा
” हर एक लड़की के साथ ऐसा ही होता है बेटी।कुछ दिन बुरा लगेगा फिर यही जिंदगी अच्छी लगने लगती है!
तू चिंता मत कर!” उन्होंने अपने हाथों से विधि की आंखें पोंछा।
उन्हें नहीं पता था कि विधि के दिल में क्या बीत रहा है?
“विधि…विधि…!”तभी पापा की आवाज सुनाई पड़ी।
विधि घबरा गई।उसने जल्दी से उस परची को छुपाया और बाहर निकल आई।
“जी पापा?”
” बेटा यह लो तुम्हारी पसंद के रबड़ी और जलेबी!”
पापा की आंखों से प्यार झलक रहा था।
“अरेवाह रबड़ी जलेबी!”विधि दौड़ कर पापा से लिपट गई।
पापा उसके हाथ सर पर हाथ रखते हुए बोले
” खुश रहो बेटा !अपने घर परिवार में हमेशा ही खुश रहना।”
विधि की आंखें छलक आई।
उसने अपने प्यार की बारे में कभी अपने माता-पिता को बताया भी नहीं था, बल्कि उसे बताने का मौका ही नहीं मिला था।
कॉलेज खत्म हुआ ही था कि पापा रिश्ता लेकर आ गए।
कॉलेज के समय ही विकास और विधि दोनों में एक दूसरे से प्यार करते थे ।दोनों एक दूसरे के साथ एक जिंदगी बिताना चाहते थे लेकिन अचानक ही विधि की शादी तय हो गई तो दोनों ही बहुत घबरा गए।
कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था आज तो हद ही हो गई जब विकास ने अचानक कहीं और भाग जाने का प्रोग्राम बना लिया था।
तभी विधि की छोटी बहन रुचि उसका मोबाइल लाकर उसे देते हुए कहा
” दी, तुम्हारे दोस्त विकास भैया का फोन है।”
एक बार फिर से विधि घबरा गई ।उसके पापा उसे देख कर चौक गए।
” क्या हुआ बेटी….!”
” नहीं पापा कुछ नहीं।”विधि घबराते हुए बोली।
उसने फोन लिया और किनारे जाकर बात करने लगी।
उधर से घबराते हुए विकास बोला
” विधि मैं ने टिकट खरीद लिया है।मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं।जल्दी करो।अभी नहीं तो फिर कभी भी हम अपने सपने पूरे नहीं कर सकते हैं।”
विधि की आँखें भर आईं।पर उसने सधे हुए स्वर में कहा
“मेरा इंतजार मत करना !मैं नहीं आ रही हूं। अपनी चंद खुशियों के लिए मैं अपने माता-पिता की इज्जत मिट्टी में नहीं मिला सकती।”
विकास नाराज हो गया।वह चिल्ला कर बोला
” क्या कह रही हो विधि ! हम दोनों ने एक दूसरे से प्यार किया था। तुम मुझे धोखा दे रही हो…तुम कभी खुश नहीं रह पाओगी !”
“मुझे पता है कि मैं कभी भी खुश नहीं रह पाऊंगी लेकिन भी मैं अपने माता-पिता को और अपने परिवार का सिर नहीं झुका सकती!
मैं तुम्हारे सारे इल्जाम अपने सिर लेती हूं।मगर मुझे भागने के लिए विवश ना करो…मैं नहीं आ सकती… प्लीज मुझे माफ कर दो विकास!”
विकास सिसकने लगा
“नहीं मैं तुम्हें कभी भी नहीं माफ करूंगा कभी नहीं!तुमने मेरा दिल तोड़ा है!”
अपने दिल में विकास के प्यार और नफरत का इल्जाम समेटकर विधि अपने ससुराल पहुंच गई और एक नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करने लगी।
जब भी विकास का जन्मदिन आता वह अपने वैनिटी बॉक्स में छुपाए हुए इस खत को पढ़ती और फिर मोड़कर उसी में छुपा कर रख देती। दो बूंद आंसू उसकी आंखों से गिर जाते..!!!
पता नहीं विकास कैसा होगा.. कहां होगा…?मैं ने उसे धोखा दे दिया।” यह ख्याल उसे हर दिन खाता जा रहा था।
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“विधि कहां हो?” उसके पति शशांक ने उसे आवाज देते हुए कहा।
” यही हूं ।”दो बच्चों की मां विधि अपने बालों पर कंघी फिराते हुए बोली।
” विधि, आज हमारे ऑफिस में पार्टी है ।
कुछ नए लोग आए हैं उनके वेलकम के लिए ऑर्गेनाइजेशन एक पार्टी रखी है तो प्लीज तुम तैयार हो जाना। मैं आकर तुम्हें ले जाऊंगा।”
” ठीक है जी!” कह कर विधि अपने काम में लग गई ।
शाम को पार्टी के लिए तैयार होकर वह शशांक के साथ निकल गई ।
ऑफिस के दूसरे माले में ही पार्टी का आयोजन किया गया था। शोर शराबी और पार्टी की लकदक के बीच में अचानक ही शशांक ने आकर विधि का परिचय कराया और कहा
” देखो विधि, इनसे मिलो यह है विकास कुमार और यह उनकी पत्नी ऋचा। ये हमारे नए मैनेजर होकर आए हैं। इन्हीं के वेलकम में ऑर्गेनाइजेशन ने पार्टी दिया है।”
” विकास!!!,यह तो वही है… !
” अरे विकास तुम यहां ?”
विकास भी तब तक उसे पहचान लिया था।
विकास ने अपनी पत्नी का परिचय कराते हुए कहा
” यह मेरी वाइफ है रिचा!”
” तो तुम लोग एक दूसरे को जानते हो ?”
शशांक ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हमलोग कॉलेज फ्रेंड्स हैं। हम लोग एक साथ पढ़ते थे।”
विधि के घबरा गई ।विकास हंसते हुए अपने कॉलेज के किस्से शशांक को सुना रहा था लेकिन उसने दोनों के लव स्टोरीज को ही गुम कर दिया था।
शशांक बड़ी खुशी से दोनों की कहानी सुन रहे थे। काफी देर तक गपशप करने के बाद शशांक पार्टी में व्यस्त हो गए।
मौका देखकर विकास विधि के पास पहुंचा।
उसने कहा
” विधि, कैसी हो?”
विधि की आंखें भर आई।
उसने कहा
“बस ठीक हूं। तुम कैसे हो?”
” मैं भी ठीक हूं। “
“तुम्हारे सारे इल्जामात मुझपर लगे हुए हैं।”विधि बोली।
” कोई बात नहीं, हम दोनों ही गुनहगार हैं ।
हमने अपनी सीमाओं की कदर नहीं की मगर मैं तुम्हारी फैसले की दाद देता हूं। तुमने बहुत ही सही फैसला लिया।
विधि, मैं भावनाओं में भाग रहा था पर तुमने संभाल लिया। यह सच है कि तुम्हें कभी नहीं भूल पाऊंगा।
हम दोनों ने हीं एक दूसरे से प्यार किया था कोई बात नहीं हम मिले ना मिले हमारा प्यार सच्चा था। चलो हम एक दूसरे को क्षमा करते हैं और सारे इल्जाम यहीं खत्म करते हैं।
हम दोनों की अपनी जिंदगी हो गई है पुरानी जख्म कुरेदने का कोई फायदा नहीं।”विकास ने कहा।
” बिल्कुल सही कहा तुमने विकास!”
विधि ने कहा।
एक लंबे अरसे के बाद विधि अपने आप को मुक्त समझ रही थी ।जैसे किसी न्यायालय ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया हो।
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सीमा प्रियदर्शिनी सहाय
#इल्जाम
बहुत ही सुंदर कहानी 👌👌
विधी ने बहुत ही अच्छा फैसला लिया
Absolutely