याराना – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ देख सुमन अपने बेटे से कह दे,मेरी रानी से दूर रहें, कल तक दोनों साथ हँसते बोलते थे तो सही था पर अब ये सब शोभा नहीं देता,तू समझ रही है ना, अब लोग मेरी रानी पर उँगली उठाने लगे हैं कह रहे हैं देखो इसको अभी अभी ऐसा हादसा हुआ और ये आशिक के साथ गुल खिला रही है.. मैं नहीं चाहती मेरी रानी के लिए कोई भी ऐसी बात कर बखेड़ा खड़ा करे।” रेवती अपनी सखी से बाहर बरामदे में खड़ी होकर कह रही थी 

वही सुमन चुपचाप उसकी बात सुन अपने बेटे को मन ही मन कोसें जा रही थी ।

ऑफिस से जब उसका बेटा नयन घर आया सुमन ने कहना शुरू कर दिया,” तुम्हें जरा सी भी शर्म नहीं आती.. रानी से अभी भी पहले की तरह ही बात करते, लोग तरह तरह की बातें बना रहे हैं…आज उसके लिए कह रहे हैं गुल खिला रही है कल तेरे लिए कहेंगे, अब तुम उससे बात नहीं करोगे समझें।”

नयन सुन कर अपने कमरे में गया अपना बैग रख बाहर निकल गया।

सुमन समझ गई हर दिन की भाँति ही ये रानी से मिलने गया है ।

“ नमस्ते आंटी “ सामने रेवती को देखते उसने हाथ जोड़कर अभिवादन किया 

“फिर आ गए तुम .. रानी घर पर नहीं है ।” कहते हुए नयन के मुँह पर ही रेवती दरवाज़ा बंद करने को हुई 

हाथ बीच में रखते हुए नयन ने कहा ,” मुझे आज आपसे और अंकल से कुछ ज़रूरी बात करनी है ।” 

तभी रानी के पिता पीछे से आए और बोले ,” क्या कहना चाहते हो … जानते ही हो हम अभी कितने परेशान है और उपर से तुम रानी से हर दिन मिलने चले आते हो.. मेरी बेटी को बख्श दो।”

“ अंकल माना रानी की शादी तय हो गई थी ,बारात भी आने वाली थी पर उसके पहले ही लड़के की दुर्घटना में मृत्यु हो गई तो इसमें रानी की क्या गलती… लोग क्या कहते मुझे नहीं पता है क्या…मैं उसका दोस्त पहले भी था अभी भी हूँ…आप भी जानते हैं रानी मुझसे हर बात खुल कर कह  पाती हैं… वो इस सदमे से उबर नहीं पा रही है और आप सब उससे हमारी दोस्ती छीनने पर तुले है.. लोग क्या कहते है ये ज़्यादा ज़रूरी हो गया है या फिर उसको थोड़ी राहत मिले वो ज़्यादा ज़रूरी .. आप लोग तो उसे समझने की कोशिश करें ।”नयन कह रहा था तभी उसे सिसकियों की आवाज़ सुनाई दी

वो भागकर रानी के कमरे में गया।

रानी उसे देखते ही बोली,” मुझे कुछ समझ नहीं आता नयन क्या करूँ यहाँ रहूँगी तो सब मेरा जीना दुर्भर कर देंगे.. सोच रही हूँ यहाँ से कहीं दूर जाकर नौकरी कर लूँ।”

“ हाँ रानी तुम्हें आगे बढ़ना होगा, जो हो गया वो नियति थी जिसे कोई रोक नहीं सकता था पर जो लोग तुम्हारे बारे में कह रहे हैं उसे तो रोक सकती हो।” नयन उसे समझाते हुए बोला

रानी के माता-पिता समझ गए कि बेटी अंदर ही अंदर घुट रही है जो हमसे भी नहीं कह पाती अपने दोस्त से कह देती हैं ।

कुछ समय बाद रानी बाहर जॉब करने निकल गई और लोगों ने बात बनाना भी बंद कर दिया क्योंकि अब रानी के घर जाता हुआ नयन जो नहीं दिखता था।

अक्सर लोग दोस्ती या रिश्ते को ग़लत संदर्भ में ही देखते समझते हैं पर कुछ दोस्त या रिश्ते पाक भी होते हैं उनपर अनुचित इल्ज़ाम लगा कर उसे बेवजह मैला कर देते हैं ।

रचना पर आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

#मुहावरा 

#गुलखिलाना

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